बोकारो से ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर पहुंच गया नोयडा, बचाई फ्रेंड की जान, पढ़ें-देवेंद्र और रंजन की फ्रेंडशीप स्टोरी

देवेंद्र और रंजन की फ्रेंडशीप की स्टोरी आजकल सोशल मीडिया पर छायी हुई है। लोग बड़े प्रेम से रियल लाइफ की इस स्टोरी को पढ़ रहे हैं। बोकारो निवासी टीचर देवेंद्र ने अपने फ्रेंड रंजन अग्रवाल के लिये नोयडा में ऑक्सीजन सिलिंडर पहुंचा दिया।इस तरह कोरोना संक्रमित दोस्त की जान बचा ली।

बोकारो से ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर पहुंच गया नोयडा, बचाई फ्रेंड की जान, पढ़ें-देवेंद्र और रंजन की फ्रेंडशीप स्टोरी

बोकारो। देवेंद्र और रंजन की फ्रेंडशीप की स्टोरी आजकल सोशल मीडिया पर छायी हुई है। लोग बड़े प्रेम से रियल लाइफ की इस स्टोरी को पढ़ रहे हैं। बोकारो निवासी टीचर देवेंद्र ने अपने फ्रेंड रंजन अग्रवाल के लिये नोयडा में ऑक्सीजन सिलिंडर पहुंचा दिया। इस तरह कोरोना संक्रमित दोस्त की जान बच गयी।
बताया जाता है कि रंजन अग्रवाल दिल्लीव की एक आइटी कंपनी में काम करते हैं। वह कोरोना संक्रमित हो गये।उनका ऑक्सीजन लेबल लगातार गिर रहा था। डॉक्टरों ने कहा कि कि जान बचाने के लिए ऑक्सीजन अनिवार्य है। नोयडा व  दिल्ली में ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हो पाई। बोकारो में रहे टीचर देवेंद्र को जानकारी मिली तो वह ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था में जुट गये।

खाली सिलेंडर के बगैर ऑक्सीजन देने को तैयार नहीं था। देवेंद्र ने किसी और की मदद से बियाडा स्थित झारखंड इस्पात ऑक्सीजन प्लांट के संचालक से संपर्क कर उन्हें परेशानी बताई तो वह तैयार हो गया। लेकिन उसने ऑक्सीरजन सिलेंडर की सिक्योरिटी मनी जमा करने की शर्त रखी। इसके बाद देवेंद्र ने जंबो सिलेंडर के लिए 10 हजार रुपये दिए। इसमें 400 रुपये ऑक्सीडजन की कीमत और 9600 रुपये सिलिंडर की सिक्योरिटी मनी थी।
देवेंद्र ऑक्सीजन सिंलिंडर अपनी कार में लेकर रविवार की सुबह नोयडा के लिए निकले। वह 24 घंटे में 1400 किमी दूरी तय कर नोयडा पहुंच गये। रास्ते कई बार पुलिस की पूछताछ से गुजरना पड़ा। वह सिलेंडर लेकर रंजन के पास पहुंचे। इसके बाद डॉक्टरों ने रंजन को ऑक्सीन सपोर्ट दिया। कुछ दिन बाद रंजन कोरोना मुक्त हो गये।