अब जमाबंदी के बिना कर सकेंगे जमीन की खरीद-बिक्री, हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाइकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें कहा गया था कि बगैर जमाबंदी व होल्डिंग कायम हुए किसी भी जमीन की खरीद -बिक्री नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए अगली तारीख सितंबर माह में तय की है।
पटना। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाइकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें कहा गया था कि बगैर जमाबंदी व होल्डिंग कायम हुए किसी भी जमीन की खरीद -बिक्री नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए अगली तारीख सितंबर माह में तय की है।
यह भी पढ़ें:Bihar: नीतीश कुमार जैसा मुख्यमंत्री ना पैदा हुआ और न होगा:अनंत सिंह
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने समीउल्लाह की ओर से दायर एसएलपी(सिविल) पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। विदित हो कि इस नियम के तहत शहरी क्षेत्र के अपार्टमेंट और फ्लैट को छोड़ कर सभी इलाकों में जमीन की रजिस्ट्री के लिए विक्रेता के नाम से संबंधित प्लॉट की जमाबंदी होना अनिवार्य कर दिया था। इस जमाबंदी का उल्लेख नये डीड में भी किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि पटना हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन एवं जस्टिस राजीव राय की बेंच ने स्टेटे गवर्नमेंट द्वारा वर्ष 2018 में निबंध नियमावली में लाए उस संशोधन को कानूनी रूप से सही ठहराया था। जिसके तहत किसी जमीन को बेचने या दान करने हेतु दस्तावेज का निबंधन तभी स्वीकृत होगा, जब विक्रेता अथवा दानकर्ता के नाम पर संबंधित जमीन का जमाबंदी/होल्डिंग संख्या का कोई कागजी सबूत हो।
स्टेट में कम होने लगी थी जमीन की रजिस्ट्री
याचिकाकर्ता की ओर से सीनीयर एडवोकेट मनन कुमार मिश्रा और अधिवक्ता अंजुल द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि स्टेटे गवर्नमेंट ने 10 अक्तूबर, 2019 को बिहार निबंधन नियमावली के नियम 19 में संशोधन कर नया नियम जोड़ दिया था। इसके तहत जमीन की खरीद-बिक्री और दान तभी हो सकेगा जब जमीन बेचने वाले व दान देने वाले के नाम से जमाबंदी और होल्डिंग कायम हो। इस आदेश के बाद से बिहार के निबंधन कार्यालय में जमीन की रजिस्ट्री कम होने लगी थी. जिससे सरकार को राजस्व भी कम आ रहा था।
60 परसेंट दस्तावेजों की रजिस्ट्री घटी
बिहार में जमीन विवाद कम करने और फर्जी रजिस्ट्री पर अंकुश लगाने को लेकर 21 फरवरी 2024 से जमाबंदी की अनिवार्यता लागू की गयी थी. लेकिन, बीते लगभग ढाई महीने में इस नियम के चलते निबंधन विभाग के राजस्व पर बड़ा असर पड़ा है। इसके चलते सिर्फ मार्च में निबंधन विभाग का राजस्व करीब 80 परसेंट तक गिर गया था।अप्रैल और मई माह में भी रजिस्ट्री दस्तावेजों की संख्या में लगभग 60 परसेट जबकि राजस्व में 50 परसेंट की कमी रही।
अप्रैल-मई माह में 50 परसेंट रेवन्यू
विभागीयअफसरों के अनुसार नये जमाबंदी नियम के चलते वित्तीय वर्ष 2023-24 में 2022-23 के मुकाबले लगभग 15 लाख कम दस्तावेजों की रजिस्ट्री हुई। 2022-23 में 1.54 करोड़ दस्तावेज रजिस्टर्ड हुए थे, जिसके मुकाबले 2023-24 में मात्र 1.40 करोड़ दस्तावेजों की ही रजिस्ट्री हो सकी। नियम लागू होने के बाद सिर्फ मार्च महीने में हर साल 1.50 लाख दस्तावेजों की रजिस्ट्री के मुकाबले मात्र 33 हजार दस्तावेजों की रजिस्ट्री संभव हुई है।फ्लैट और अपार्टमेंट की बिक्री के लिए जमाबंदी से जुड़ा आदेश प्रभावी नहीं था।
उल्लेखनीय है कि 10 अक्टूबर, 2018 को राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर बिहार निबंधन नियमावली के नियम-19 में संशोधन कर निबंधन पदाधिकारी को अचल संपत्ति की बिक्री/दान हेतु निबंधन कराने हेतु दस्तावेज को निबंधन करने से अस्वीकृत करने का अधिकार प्रदान किया था।