झारखंड में नक्सलियों की संख्या कम हुई, उग्रवाद नहीं होने देंगे हावी: डीजीपी नीरज सिन्हा
डीजीपी नीरज सिन्हा ने कहा है कि गुमला और खूंटी में हुए दोनों एंकाउंटर शानदार रहे हैं। गुमला में पुलिस को शुरुआती नुकसान भी हुआ, लेकिन पुलिस ने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा कि राज्य में नक्सलियों की संख्या कम हुई है। लेकिन तकनीक और अत्याधुनिक हथियार के बल पर वे हावी होने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पुलिस यह नहीं होने देगी।
रांची। डीजीपी नीरज सिन्हा ने कहा है कि गुमला और खूंटी में हुए दोनों एंकाउंटर शानदार रहे हैं। गुमला में पुलिस को शुरुआती नुकसान भी हुआ, लेकिन पुलिस ने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा कि राज्य में नक्सलियों की संख्या कम हुई है। लेकिन तकनीक और अत्याधुनिक हथियार के बल पर वे हावी होने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पुलिस यह नहीं होने देगी।
डीजीपी ने कहा कि अफीम की खेती कर भी कुछ नक्सली संगठन फंड रेजिंग करना चाहते हैं, जो नहीं होने दिया जायेगा। डीजीपी शनिवार को पुलिस हेडक्वार्टर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस मौके पर बुद्धेश्वर उरांव के एंकाउंटर में शामिल गुमला एसपी हरदीप पी जनार्दन समेत कई पुलिस अफसर और जवानों को सम्मानित किया।
टारगेट का पीछा करने से मिली सफलता
डीजीपी नीरज सिन्हा ने कहा कि शानदार एनकाउंटर रहा। हमारे जवानों ने हौसला बनाये रखा और टारगेट का पीछा करते रहे, तब जाकर यह सफलता मिली है। बुद्धेश्वर उरांव का एंकाउंटर पिछले 15-20 सालों में अहम एंकाउंटर था। डीजीपी नीरज सिन्हा ने नक्सलियों से अपील करते हुए कहा कि सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत सरेंडर कर मुख्यधारा में लौटें। डीजीपी ने कहा कि पुलिस का काम रक्षा करना है, एनकाउन्टर अंतिम टारगेट है।
पुलिस को ऐसे मिली सफलता
झारखंड में उग्रवादी संगठन भाकपा माओवादी और पीएलएफआई के खिलाफ पुलिस को दो दिनों में लगातार सफलता मिली हैं। सुरक्षाबलों ने 15 जुलाई को गुमला जिले के नक्सल प्रभावित कुरुमगढ़ क्षेत्र के जंगल में भाकपा माओवादी के रिजनल कमांडर (15 लाख के इनामी) बुद्धेश्वर को मुठभेड़ में मार गिराया। पुलिस ने 16 जुलाई की रात्रि में खूंटी-चाइबासा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में पीएलएफआई उग्रवादियों के साथ हुई एनकउंटर में 10 लाख का इनामी शनिचर सुरीन को ढे़र किया है।
गुमला में 13 जुलाई से ही चल रहा था ऑपरेशन
माओवादी बुद्धेश्वर भाकपा माओवादियों के रिजनल कमेटी के साथ-साथ कोयल शंख जोन का सचिव भी था। बुद्धेश्वर के खिलाफ गुमला, लोहरदगा, लातेहार, सिमडेगा और गढ़वा जिले में 109 मामले दर्ज थे। नक्सली बुद्धेश्वर के गुमला के कुरूमगढ़ के जंगल में छिपे होने की सूचना के बाद सुरक्षाबलों ने 13 जुलाई से सर्च ऑपरेशन न शुरू किया था। ऑपरेशन के पहले दिन आईईडी की चपेट में आने से श्वान द्रोण शहीद हो गया था, जबकि उसका हैंडलर भी गंभीर रूप से जख्मी हो गया था। ऑपरेशन दूसरे दिन 14 जुलाई को सुरक्षाबलों की मदद के लिए आये ग्रामीण की भी मौत आईईडी की चपेट में आने से हो गई थी। सुरक्षाबलों की टीम गुरुवार की सुबह ऑपरेशन में थी,इसी दौरान माओवादियों ने फायरिंग कर दी। पुलिस की जवाबी फायरिंग में बुद्धेश्वर मारा गया। पुलिस ने मौके से एके 47, दो इंसास राइफल व आईईडी समेत कई सामान बरामद किये थे।