नई दिल्ली: पीएम मोदी ने रखी नये संसद भवन की आधारशिला, कहा- आत्मनिर्भर भारत का गवाह बनेगा नया संसद भवन
पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नये संसद भवन की आधारशिला रखी। मौके पर होम मिनिस्टर अमित शाह, डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह, लॉ मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद, लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला, संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी, आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी और राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह, टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन रतन टाटा और कई देशों के राजदूत उपस्थित थे।
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नये संसद भवन की आधारशिला रखी। मौके पर होम मिनिस्टर अमित शाह, डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह, लॉ मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद, लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला, संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी, आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी और राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह, टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन रतन टाटा और कई देशों के राजदूत उपस्थित थे। इस मौके पर सर्धवर्म प्रार्थना का भी आयोजन हुआ। विभिन्न धर्मों के घर्मगुरुओं ने प्रर्थना की।
संसद भवन के शिलान्यास के बाद अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है। नई संसद भवन की नींव रखी जा चुकी है। हम भारत के लोग मिलकर संसद के इस नए भवन का निर्माण करेंगे। यह 130 करोड़ से अधिक भारतीयों के लिए गर्व का दिन है जब हम इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बन रहे हैं। नया संसद भवन समय और जरूरतों के अनुसार स्वयं के भीतर परिवर्तन करने का प्रयास है।उन्होंने कहा कि पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को दिशा दी, तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा। पुराने संसद भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ, तो नये भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जायेंगी।
माथा टेककर लोकतंत्र के इस मंदिर को नमन किया था: मोदी
पीएम मोदी ने कहा, 'मैं अपने जीवन में वो क्षण कभी नहीं भूल सकता जब 2014 में पहली बार एक सांसद के तौर पर मुझे संसद भवन में आने का अवसर मिला था। तब लोकतंत्र के इस मंदिर में कदम रखने से पहले, मैंने सिर झुकाकर, माथा टेककर लोकतंत्र के इस मंदिर को नमन किया था।हम भारत के लोग मिलकर अपनी संसद के इस नए भवन को बनायेंगे। इससे सुंदर क्या होगा, इससे पवित्र क्या होगा कि जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मनाए, तो उस पर्व की साक्षात प्रेरणा, हमारी संसद की नई इमारत बने।उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र एक संस्कृति है। लोकतंत्र एक जीवन मूल्य, जीवन जीने का तरीका और भारत के लिए राष्ट्र के जीवन की आत्मा है। भारत का लोकतंत्र सदियों के अनुभव के साथ विकसित एक प्रणाली है। भारत के लोकतंत्र में समाई शक्ति ही देश के विकास को नई ऊर्जा दे रही है, देशवासियों को नया विश्वास दे रही है। भारत में लोकतंत्र नित्य नूतन हो रहा है। भारत में हम हर चुनाव के साथ वोटर टर्नआउट को बढ़ते हुए देख रहे हैं।
संसद पहुंचा हर प्रतिनिधि जवाबदेह
पीएम मोदी ने कहा कि हमें याद रखना है कि वो लोकतंत्र जो संसद भवन के अस्तित्व का आधार है।उसके प्रति आशावाद को जगाये रखना हम सभी का दायित्व है। हमें ये हमेशा याद रखना है कि संसद पहुंचा हर प्रतिनिधि जवाबदेह है। ये जवाबदेही जनता के प्रति भी है और संविधान के प्रति भी है। भारत की एकता-अखंडता को लेकर किए गए प्रयास, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की ऊर्जा बनेंगे। जब एक एक जनप्रतिनिधि, अपना ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, अपना अनुभव पूर्ण रूप से यहां निचोड़ देगा, उसका अभिषेक करेगा, तब इस नए संसद भवन की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। पीएम ने कहा कि आजादी के समय एक लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत के अस्तित्व पर संदेह जताया गया था। अशिक्षा, गरिबी, सामाजिक विविधता सहित कई तर्कों के साथ ये भविष्यवाणी की गई थी कि भारत में लोकतंत्र असफल हो जायेगा।
राष्ट्रहित के प्रति समर्पण लगातार झलकना चाहिए
उन्होंने कहा कि पॉलिसी अलग हो सकती है। पॉलिटिक्स अलग हो सकती है, लेकिन जनता की सेवा के लिए लक्ष्य में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए। वाद-संवाद संसद के भीतर हो या बाहर, राष्ट्रसेवा का संकल्प, राष्ट्रहित के प्रति समर्पण लगातार झलकना चाहिए। दुनिया में 13वीं शताब्दी में मैग्राकार्टा से पहले ही 12 शताब्दी में भगवान बसेश्वर ने लोकसंसद की शुरुआत कर दी थी। दसवीं शताब्दी में तमिलनाडु के एक गांव में पंचायत व्यवस्था का वर्णन है। उस गांव में आज भी वैसे ही महासभा लगती है, जो एक हजार साल से जारी है। तब भी नियम था कि अगर कोई प्रतिनिधि अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं देगा तो वो और उसके करीबी रिश्तेदार चुनाव नहीं लड़ पायेंगे।पीएम मोदी ने कहा कि नये संसद भवन में कई नई चीजें की जा रही हैं, जिससे सांसदों की दक्षता बढ़ेगी क्योंकि कार्य संस्कृति आधुनिक तरीकों को शामिल किया जायेगा।
आवास और शहरी मामलों के मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि पिछले 6 वर्षों में पीएम मोदी ने हमारे गौरवशाली इतिहास के समावेश के साथ एक आधुनिक, मजबूत, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत की नींव रखी है। इसके मद्देनजर आज एक बहुत महत्वपूर्ण दिन है। नए संसद भवन का निर्माण वर्ष 2022 तक पूरा करेंगे जिससे 2022 के संसद का शीतकालीन सत्र नए भवन में ही हो वर्ष 2022 का विशेष महत्व है क्योंकि इस वर्ष हमारे देश के स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ होगी।
अक्टूबर 2022 तक पूरा निर्माण करने का टारगेट
नये संसद भवन का निर्माण अक्टूबर 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि देश की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर नए भवन में संसद सत्र आयोजित किया जा सके। नये संसद भवन में लोकसभा वर्तमान के मुकाबले तीन गुना बड़ा होगा। राज्यसभा का आकार भी बढ़ेगा। टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड 64,500 वर्ग मीटर के कुल क्षेत्र में नये संसद भवन का निर्माण करेगा। डिजाइन एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया है।
अगले सौ वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाया जायेगा
नया संसद भवन 2022 में आजादी के 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर नए भारत की संवेदनाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप तैयार होगा। नए संसद भवन को अगले सौ वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाया जायेगा, ताकि भविष्य में सांसदों की संख्या बढ़ाने में कोई कठिनाई न हो। नया संसद भवन सौर ऊर्जा तंत्र जैसे अत्याधुनिक तकनीकी सुविधाओं से लैस होगा। मौजूदा संसद भवन से सटे नया संसद भवन को अत्याधुनिक सुरक्षा सुविधाओं से लैस होगा।
नये संसद भवन में ये सुविधाएं भी होंगी
नये संसद भवन के डिजाइन प्लान में एक संविधान हॉल शामिल है जो आम जनता के लिए खुला होगा। संसद के सदस्यों के लिए लाउंज, पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र, पार्किंग स्थान, आरामदायक बैठने की व्यवस्था और आपातकालीन निकासी की व्यवस्था होगी। यह इमारत भूकंपरोधी होगी।नई संसद भवन सेंट्रल विस्टा नये संसद भवन आजादी के 75 साल पूरे होने तक यह नई बिल्डिंग तैयार हो जायेगी। नया भवन मौजूदा बिल्डिंग से अधिक बड़ी, आकर्षक और आधुनिक सुविधाओं वाली है। जबकि सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय राजधानी में सेंट्रल विस्टा के निर्माण के खिलाफ एक याचिका सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने शिलान्यास कार्यक्रम कराए जाने को लेकर असंतोष जाहिर किया लेकिन इस कार्यक्रम को करने की अनुमति दे दी।
क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट?
सेंट्रल विस्टा राजपथ के दोनों तरफ के इलाके को कहते हैं। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के करीब प्रिंसेस पार्क का इलाका इसके अंतर्गत आता है। सेंट्रल विस्टा के तहत राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उपराष्ट्रपति का घर आता है। नेशनल म्यूजियम, नेशनल आर्काइव्ज, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (IGNCA), उद्योग भवन, बीकानेर हाउस, हैदराबाद हाउस, निर्माण भवन और जवाहर भवन भी सेंट्रल विस्टा का ही हिस्सा हैं। सेंट्रल विस्टा रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के इस पूरे इलाके को रेनोवेट करने की योजना को कहा जाता है।
सेंट्रल विस्टा कहलाता है ये इलाका
इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन की ओर करीब 3 किलोमीटर का ये सीधा रास्ता और इसके दायरे मे आने वाली इमारतें जैसे कृषि भवन, निर्माण भवन से लेकर संसद भवन, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, रायसीना हिल्स पर मौजूद राष्ट्रपति भवन तक का पूरा इलाका सेंट्रल विस्टा कहलाता है।
वर्तमान संसद
छह साल में मौजूदा संसद भवन का निर्माण पूरा हुआ था।
1921 में हुई निर्माण की शुरुआत।
83 लाख रुपये कुल खर्च हुए थे संसद के निर्माण कार्य में।
03 समिति कक्ष हैं मौजूदा संसद भवन में इस समय।
47500 वर्ग मीटर में बना हुआ है पूरा संसद भवन।
543 सदस्यों की बैठने की व्यवस्था है लोकसभा में।
नये संसद भवन की जरूरत क्यों
फरवरी 2021 में मौजूदा संसद भवन को बने 100 साल हो जायेंगे।
वर्ष 2026 में लोकसभा सीटों का नए सिरे से परिसीमन का काम होना है।
परिसीमन के बाद लोकसभा और राज्यसभा की सीट बढ़ सकती है।
सीटें बढ़ जाने के बाद मौजूदा भवन में बैठने की व्यवस्था नहीं है।
नया संसद भवन
दो साल में बनकर तैयार हो जायेगा नया संसद भवन।
971 करोड़ रुपये की लागत से इसका निर्माण होगा।
06 समिति कक्ष होंगे नए संसद भवन में।
64,500 वर्ग मीटर होगा नई संसद का निर्माण।
876 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी लोकसभा में।
100 वर्ष होगी अनुमाति अवधि नए संसद भवन की।
8000 से अधिक श्रम संसाधन लगाये जा रहे हैं नये भवन को बनाने में।
मयूर की आकृति जैसा होगा लोकसभा कक्ष
नये भवन में लोकसभा कक्ष का डिजाइन राष्ट्रीय पक्षी मयूर को दृष्टिगत रखते हुए किया जायेगा। जबकि राज्यसभा का डिजाइन राष्ट्रीय पुष्प कमल के दृष्टिगत किया गया है। पूरे भवन के डिजाइन में देश के महत्वपूर्ण हैरिटेज भवनों जैसे राष्ट्रपति भवन इत्यादि की स्थापत्य कला को ध्यान में रखा गया है। भवन का डिजाइन एचसीपी डिजाइन एवं मैनेजमेंट प्रा.लि. अहमदाबाद द्वारा तैयार किया गया है।
हर सीट पर लगी होगी टच स्क्रीन
नये संसद भवन में प्रत्येक बेंच पर एक साथ दो सदस्य बैठ सकेंगे।
प्रत्येक सीट डिजीटल प्रणाली और टच स्क्रीन से सुसज्जित होगी।
नया भवन रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम तथा वाटर रिसाइकिलिंग सिस्टम से सुसज्जित होगा।
पूरे भवन में 100% यूपीएस पावर बैकअप की व्यवस्था होगी। आधुनिक ऑडियो-विजुअल की सुविधा।
सभी सांसदों को मिलेगा कार्यालय
संसद सदस्यों के लिए लगभग 800 चैम्बर्स रेड क्रॉस रोड पर श्रम शक्ति भवन एवं परिवहन भवन के निकट निर्मित किये जायेंगे। इसका निर्माण अप्रैल, 2022 में आरंभ होगा और मार्च 2024 तक संपन्न हो जायेगा।
पुराना भवन होगा पुरातात्विक धरोहर
नए भवन के निर्माण के बाद भी पुराने भवन का उपयोग जारी रहेगा। दोनों भवन एक दूसरे के पूरक के रूप में कार्य करेंगे। पूरे निर्माण कार्य में मौजूदा भवन की ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। नये भवन के निर्माण के उपरांत यह भी प्रयास किया जा रहा है कि मूल संसद भवन की दृश्यता में कोई अधिक अंतर न आये। संसद परिसर में स्थित सभी प्रतिमाओं को भी गरिमा एवं प्रतिष्ठा के साथ पुनः स्थापित किया जायेगा।
लुटियंस ने बनाई थी वर्तमान संसद भवन की डिजाइन
ब्रिटिश कालीन इस इमारत की डिजाइन और निर्माण कार्य की जिम्मेदारी एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बाकर को दी गयी थी। इन्हीं लुटियंस के नाम पर संसद भवन और आसपास के क्षेत्र को लुटियंस जोन कहा जाता है। वर्तमान संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी 1921 को रखी गई और छह साल चले निर्माण कार्य में उस समय 83 लाख रुपये का खर्च आया था। भवन का उद्घाटन भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने किया था।
560 फुट है संसद भवन का व्यास
वर्तमान संसद भवन गोलाकार है और इसका व्यास 560 फुट है, पहली मंजिल पर खुला हुआ बरामदा है जहां 27 फुट ऊंचे 144 लाल बलुआ पत्थर के स्तंभ लगे हुए हैं। इन स्तंभों ने संसद भवन को एक अलग पहचान दी है।