पांच स्टेट में इलेक्शन के बाद देश में 12 रुपये लीटर तक बढ़ सकते हैं पेट्रोल और डीजल के दाम
उत्तर प्रदेश सहित पांच स्टेट में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद पेट्रोल और डीजल के दाम में 12 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो सकती है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में ये बात कही है।
- इंडिया में कच्चे तेल की खरीदारी तीन मार्च को बढ़कर 117.39 डॉलर प्रति बैरल पहुंची
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सहित पांच स्टेट में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद पेट्रोल और डीजल के दाम में 12 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो सकती है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में ये बात कही है।
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पिछले चार महीने से पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर हैं। इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें गुरुवार को नौ साल में पहली बार 120 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गईं। हलांकि शुक्रवार को थोड़ा कम होकर 111 अमेरिकी डॉलर पर आ गईं, लेकिन लागत और खुदरा दरों के बीच की खाई बढ़ गई। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि तेल कंपनियों के लिए मार्जिन को शामिल करने के बाद कीमतों में 15.1 रुपये की बढ़ोतरी की जरूरत है।
यह है रिपोर्ट में
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की ताजा रिपोर्ट के अनुसार खुदरा ईंधन विक्रेताओं को लागत वसूली के लिए पेट्रोल और डीजल के दाम 16 मार्च तक 12 रुपये प्रति लीटर से भी अधिक बढ़ाने की जरूरत है। तेल कंपनियों के मार्जिन को भी जोड़ लें तो 15.1 रुपये प्रति लीटर की मूल्य वृद्धि की जरूत है। ब्रोकरेज कंपनी जे.पी. मॉर्गन ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘अगले हफ्ते तक राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त हो जाएंगे। अनुमान है कि इसके बाद ईंधन की दरें दैनिक आधार पर बढ़ सकती हैं।रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘तीन मार्च, 2022 को वाहन ईंधन का शुद्ध विपणन मार्जिन शून्य से नीचे 4.92 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया। चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में अब तक यह 1.61 रुपये लीटर है। हालांकि ईंधन के मौजूदा अंतररराष्ट्रीय मूल्य पर 16 मार्च को शुद्ध मार्जिन घटकर शून्य से नीचे 10.1 रुपये प्रति लीटर और एक अप्रैल को शून्य से नीचे 12.6 रुपये लीटर तक जा सकता है।’’
रिकॉर्ड हाई पर कच्चे तेल की प्राइस
पेट्रोलियम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के अनुसार इंडिया जो कच्चा तेल खरीदता है उसके दाम तीन मार्च को 117.39 डॉलर प्रति बैरल हो गए। ईंधन का यह मूल्य वर्ष 2012 के बाद सबसे ज्यादा है। पिछले साल नवंबर की शुरुआत में जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि पर रोक लगी थी, तब कच्चे तेल की औसत कीमत 81.5 डॉलर प्रति बैरल थी। घरेलू स्तर पर ईंधन की कीमतें तेल की इंटरनेशनल कीमतों से सीधे प्रभावित होती हैं क्योंकि इंडियाअपनी तेल जरूरत का 85 परसेंट हिस्सा आयात करता है।पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) की जानकारी के मुताबिक, भारत में कच्चे तेल की खरीदारी 3 मार्च को बढ़कर 117.39 डॉलर प्रति बैरल हो गई, जो 2012 के बाद सबसे ज्यादा है। यह पिछले साल नवंबर की शुरुआत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में ठंड के समय कच्चे तेल की इंडियन बास्केट के औसत 81.5 डॉलर प्रति बैरल की तुलना में है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने कहा है कि ऑटो फ्यूल नेट मार्केटिंग मार्जिन तीन मार्च, 2022 को माइनस 4.92 रुपये प्रति लीटर और Q4 FY22 में 1.61 रुपये है। हालांकि, नई अंतरराष्ट्रीय ऑटो ईंधन की कीमतों पर शुद्ध मार्जिन 16 मार्च को शून्य से 10.1 रुपये प्रति लीटर और 1 अप्रैल को शून्य से 12.6 रुपये कम होने की संभावना है। पिछले महीने रूस द्वारा यूक्रेन की सीमा पर अपनी आर्मी लगाने के बाद से तेल की कीमतों में उछाल आ गया है। रूस यूरोप की प्राकृतिक गैस का एक तिहाई और वैश्विक तेल उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत बनाता है।
यूरोप को लगभग एक तिहाई रूसी गैस आपूर्ति आमतौर पर यूक्रेन को पार करने वाली पाइपलाइनों के माध्यम से होती है। लेकिन भारत के लिए, रूसी आपूर्ति का प्रतिशत बहुत कम है। जबकि भारत ने 2021 में रूस से प्रति दिन 43,400 बैरल तेल का आयात किया (इसके कुल आयात का लगभग 1 प्रतिशत), 2021 में रूस से 1.8 मिलियन टन कोयले का आयात सभी कोयले के आयात का 1.3 प्रतिशत था। घरेलू ईंधन की कीमतें, सीधे अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों से जुड़ी हैं, क्योंकि भारत अपनी तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत आयात करता है।