Pitru Paksha 2025: सात सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत, जानें तर्पण व श्राद्ध के नियम

पितृ पक्ष सात सितंबर से 21 सितंबर तक रहेगा। जानें श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण के नियम, महत्व और सही विधि जिससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त हो।

Pitru Paksha 2025: सात सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत, जानें तर्पण व श्राद्ध के नियम
पितृ पक्ष श्राद्ध (फाइल फोटो)।

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। साल 2025 में पितृ पक्ष की शुरुआत सात सितंबर से होगी। इसका समापन 21 सितंबर को होगा। इस पखवाड़े को महालय पक्ष भी कहा जाता है, जब लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करते हैं। मान्यता है कि पितृ पक्ष में किए गए श्राद्ध से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे आशीर्वाद देकर परिवार की सुख-समृद्धि सुनिश्चित करते हैं।
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पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पितरों को याद कर उनका आशीर्वाद लेते हैं। माना जाता है कि इस अवधि में पितृ धरती लोक पर आते हैं और सभी के कष्टों को दूर करते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि सात सितंबर को देर रात एक बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन सात सितंबर को ही रात 11 बजकर 38 मिनट पर होगा। ऐसे में दिन रविवार, सात सितंबर 2025 के दिन से ही पितृ पक्ष की शुरुआत होने जा रही है।इसकी समाप्ति सर्व पितृ अमावस्या यानी 21 सितंबर 2025 को होगी।
पितृ तर्पण और श्राद्ध के नियम
सही तिथि - श्राद्ध हमेशा पितरों की मृत्यु तिथि पर ही किया जाता है। अगर आपको अपने पितरों की मृत्यु की तिथि याद न हो तो सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर्म कर सकते हैं।
ब्राह्मण भोजन: श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान-दक्षिणा देना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
तर्पण : पितृ पक्ष में प्रतिदिन जल, तिल और कुशा से पितरों का तर्पण किया जाता है। तर्पण करते समय उनका नाम लेकर जल अर्पित किया जाता है।
पवित्रता: इस दौरान घर में सात्विक भोजन ही बनाना चाहिए और मांस, मदिरा, व किसी भी तरह के तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
दान : पितृ पक्ष में जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और अन्य आवश्यक चीजों का दान करना चाहिए। इससे पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है।
पवित्र स्थान: श्राद्ध कर्म किसी पवित्र स्थान, जैसे गंगा घाट आदि पर करना अधिक फलदायी माना जाता है।