Niraj Singh Murder Case Dhanbad: नीरज सिंह हत्याकांड में संजीव सिंह समेत 10 को झारखंड हाई कोर्ट का नोटिस
झारखंड हाई कोर्ट ने नीरज सिंह हत्याकांड में पूर्व विधायक संजीव सिंह समेत 10 को नोटिस जारी किया। लोअर कोर्ट के बरी फैसले पर सवाल, रिकॉर्ड तलब।
- लोअर कोर्ट की ‘बरी’ पर सवाल
- झारखंड हाई कोर्ट ने तलब किया रिकॉर्ड
- हाई-प्रोफाइल केस में नई कानूनी जंग शुरू
रांची/धनबाद। झारखंड के बहुचर्चित नीरज सिंह हत्याकांड में एक बार फिर बड़ा कानूनी मोड़ आया है। पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह सहित 10 आरोपितों को झारखंड हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। लोअर कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के बाद हाईकोर्ट यह कार्रवाई की।
यह भी पढ़ें: Dhanbad : एमपीएल को मिला नया नेतृत्व! बासुदेव हांसदा बने मैथन पावर के नये सीइओ, पदभार ग्रहण किया
लोअर कोर्ट का रिकॉर्ड तलब, बरी पर सवाल
झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस पीके मिश्रा की कोर्ट में धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह सहित चार लोगों की हत्या मामले में बरी हुए पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह के खिलाफ पीड़ित पक्ष की अपील पर मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने लोअर कोर्ट रिकार्ड (एलसीआर) तलब करते हुए मामले की विस्तृत जांच के लिए संकेत दे दिए हैं।
प्रार्थी इंदू देवी की ओर से दायर अपील में कहा गया कि लोअर कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार नहीं किया और साक्ष्यों की अनदेखी की गयी। इससे पहले धनबाद की विशेष MP/MLA अदालत ने 27 अगस्त 2025 को संजीव सिंह सहित सभी 10 आरोपितों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था।
पीड़ित पक्ष का तर्क: आरोपी प्रभावशाली, छेड़छाड़ का खतरा
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शैलेश कुमार सिंह ने दलील दी कि— बरी किये गये सभी आरोपी प्रभावशाली हैं, रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की संभावना है। कुछ आरोपी राज्य से बाहर रहते हैं, इसलिए फरार होने की भी आशंका है। कोर्ट ने इन तर्कों को सुनने के बाद अपील स्वीकार की और सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
2017 में हुई थी चार लोगों की गोली मारकर हत्या
यह हत्याकांड 21 मार्च 2017 की शाम धनबाद सरायढेला थाना क्षेत्र के स्टील गेट के समीप कांग्रेस नेता एवं पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह, उनके ड्राइवर घोल्टू महतो, प्राइवेट बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी और सहयोगी अशोक यादव की बाइक सवार हमलावरों ने गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी। मामले में नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह ने संजीव सिंह, जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, गया सिंह, महंत पांडेय और सिद्धार्थ गौतम उर्फ मनीष सिंह के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराया था। बाद में जांच के दौरान कई और नाम भी सामने आये थे। पुलिस जांच में हंत पांडेय और सिद्धार्थ गौतम उर्फ मनीष सिंह के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला था। संजीव सिंह को लगभग आठ साल बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी, जिसके बाद निचली अदालत ने उन्हें बरी किया था।
हाई प्रोफाइल मामला फिर से सुर्खियों में
हाई कोर्ट द्वारा अपील स्वीकार करने के बाद यह हाई-प्रोफाइल मामला एक बार फिर चर्चा में है। धनबाद की राजनीति में भी हलचल बढ़ गई है, क्योंकि सिंह मैंशन और रघुकुल के बीच यह विवाद वर्षों से सुर्खियों में रहा है । अब हाई कोर्ट द्वारा रिकॉर्ड तलब किए जाने के बाद लोअर कोर्ट के फैसले की दोबारा पड़ताल होगी। इससे साफ है कि नीरज सिंह हत्याकांड में कानूनी लड़ाई अब नये दौर में प्रवेश कर गयी है।
राजनीति और कोर्ट दोनों में जारी है संघर्ष
धनबाद में सिंह मैंशन (सूरजदेव सिंह परिवार) और रघुकुल (नीरज सिंह परिवार) के बीच सियासी वर्चस्व की जंग दशकों पुरानी है। एक ओर संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह झरिया की विधायक हैं, तो दूसरी ओर पूर्णिमा नीरज सिंह पहले ही विधायक रह चुकी हैं। अब यह विवाद एक बार फिर अदालत की चौखट पर पहुंच गया है — जिससे धनबाद की राजनीति में हलचल तेज हो गयी है।
21 मार्च 2017 को हुई थी नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डर
धनबाद के एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों को सरायढेला स्टील गेट के समीप वर्ष 2017 की 21 मार्च की शाम गोलियों से भून दिया गया था। एक्स डिप्टी मेयर सह कांग्रेस लीडर नीरज सिंह अपनी फॉर्च्यूनर (जेएच10एआर-4500) से झरिया से सरायढेला स्थित अपने आवास रघुकुल लौट रहे थे। नीरज गाड़ी में ड्राईवर के साथ आगे की सीट पर बैठे थे। पीछे की सीट पर उनके सहायक सरायढेला न्यू कालोनी निवासी अशोक यादव और प्राइवेट बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी बैठे थे। स्टील गेट के पास बने स्पीड ब्रेकर पर नीरज की फॉर्च्यूनर की स्पीड कम होते ही दो बाइक पर सवार हमलावरों ने उनकी चारों तरफ से घेर फायरिंग करनी शुरु कर दिया । चारों तरफ से अत्याधुनिक आर्म्स से 50 से अधिक राउंड फायरिंग की गयी थी। नीरज सिंह समेत अशोक यादव, मुन्ना तिवारी और ड्राइवर घोलटू महतो की भी मौके पर ही मौत हो गयी थी। फॉर्च्यूनर सवार एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह को निशाना बनाकर 70 से अधिक गोलियां चली थीं। नीरज सिंह बॉडी से 17 गोलियां निकाली गयी थीं, जबकि 36 जख्म के निशान मिले थे।
नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह ने दर्ज करायी थी एफआइआर
नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह उर्फ गुड्डू सिंह की लिखित कंपलेन पर मामले में संजीव सिंह, मनीष सिंह, पिंटू सिंह, महंथ पांडेय व गया सिंह के खिलाफ सरायढेला पुलिस स्टेशन में कांड संख्या 48/2017 के तहत एफआइआर दर्ज की गयी थी। नीरज के चचेरे भाई झरिया के तत्कालीन एमएलए संजीव सिंह ने 11 अप्रैल 2017 को सरायढेला पुलिस स्टेशन में सरेंडर किया था। पुलिस इस मामले 11 अप्रैल को नीरज के चचेरे भाई झरिया के तत्कालीन एमएलए संजीव सिंह, राकेश मिश्रा उर्फ डब्लू मिश्रा उर्फ डब्लू गिरि, रणधीर धनंजय सिंह उर्फ धनजी, संजय सिंह व जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह को जेल भेजा था। बाद में घनुडीह निवासी बिनोद सिंह को भी अरेस्ट कर जेल भेजा गया। इसके बाद यूपी पुलिस ने इस मर्डर में शामिल शूटरों उत्तर प्रदेश के शूटर सोनू उर्फ कुर्बान अली, विजय उर्फ शिबू उर्फ सागर सिंह,अमन सिंह, रिंकू सिंह, सतीश सिंह व पंकज सिंह को बारी-बारी से अरेस्ट कर धनबाद पुलिस को सौंपी थी। ये सभी झारखंड के अलग-अलग जेलों में बंद है।धनबाद जेल में तीन दिसंबर 2023 को गैंगस्टर अमन सिंह की मर्डर कर दी गयी थी।
राकेश मिश्रा उर्फ डब्लू मिश्रा उर्फ डब्लू गिरि के पकड़े जाने के बाद मिले अहम सुराग
नीरज मर्डर केस में पुलिस को राकेश मिश्रा उर्फ डब्लू मिश्रा उर्फ डब्लू गिरि की गिरफ्तारी के बाद अहम सुराग हाथ लगे थे। डब्ल्यू पर यूपी से आये शूटरों को किराये का मकान दिलाकर ठहराने का आरोप है।पुलिस ने नीरज सिंह मर्डर केस में पहले राकेश मिश्रा उर्फ डब्लू मिश्रा उर्फ डब्लू गिरि, रणधीर धनंजय सिंह उर्फ धनजी ( संजीव सिंह का प्राइवेट बॉडीगार्ड), संजय सिंह ( स्वर्गीय रंजय सिंह का भाई व एमएलए संजीव के अनुसेवक) व जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह ( सिंह मैंशन के करीबी) को अरेस्ट कर जेल भेजी। बेल होने से पहले तक संजीव सिह रांची के रिनपास में इलाजरत थे।
केस के अहम कड़ी संतोष सिंह उर्फ नामवर का पता नहीं लगा पायी पुलिस
पुलिस अभी तक इस केस की अहम कड़ी संतोष सिंह उर्फ नामवर का पता नहीं लगा पायी है। पुलिस के पास संतोष सिंह उर्फ नामवर की फोटो तक नहीं है। हालांकि इस केस में नामवर नाम पंकज सिंह के साथ शूटरों को लाने में शामिल था। संतोष उर्फ नामवर की तलाश में पुलिस बिहार व यूपी में कई बार दबिश दे चुकी है। बलिया व कैमूर के चक्कर लगा चुकी है। लेकिन पुलिस को संतोष नहीं मिला। पुलिस की जांच में पता चला था पंकज सिंह के आदेश पर संतोष ने सारे शूटरों को लाइनअप किया था। संतोष पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। उसके बाद आज तक पुलिस उसे ढूंढ नहीं पायी है।
निष्कर्ष
धनबाद की सबसे चर्चित राजनीतिक और पारिवारिक जंग एक बार फिर कोर्ट के गलियारों में पहुंच गई है। अब सबकी नजरें झारखंड हाईकोर्ट पर हैं, जहां आने वाले दिनों में यह तय होगा कि लोअर कोर्ट का फैसला कायम रहेगा या केस दोबारा खुलेगा।






