राम माधव की पांच साल बाद BJP में वापसी, जम्मू-कश्मीर के चुनाव प्रभारी बनाये गये
बीजेपी ने राम माधव को जम्मू-कश्मीर चुनाव का प्रभारी बनाया गया है। बीजेपी से 2020 में साइडलाइन किये गये माधव पांच साल बाद वापस पार्टी का हिस्सा बने हैं। माधव ने नेतृत्व का आभार जताया है।
- संघ से दूरी घटाने की कोशिश या कोई और है रणनीति
नई दिल्ली। बीजेपी ने राम माधव को जम्मू-कश्मीर चुनाव का प्रभारी बनाया गया है। बीजेपी से 2020 में साइडलाइन किये गये माधव पांच साल बाद वापस पार्टी का हिस्सा बने हैं। माधव ने नेतृत्व का आभार जताया है।
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लंबे अंतराल के बाद राम माधव की वापसी को राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। राम माधव की वापसी आरएसएस और बीजेपी के रिश्तों के नजरिए से भी अहम है। खासतौर पर 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के प्रदर्शन के बाद संघ की ओर से आलोचना के बाद राम माधव को जिम्मेदारी मिली है। बीजेपी ने अनुच्छेद 370 हटाने के बाद होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए माधव को यह जिम्मेदारी सौंपी है।
माधव को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में बीजेपी को मजबूत बनाने का श्रेय दिया जाता है। 2020 में उन्हें पार्टी के पदों से हटा दिया गया था। माधव आरएसएस के सीनियर नेता हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में बीजेपी और आरएसएस नेतृत्व का आभार व्यक्त किया है।राम माधव ने अपने ट्वीट में लिखा, 'संघ मेरी मां है। हम आम तौर पर इसके बारे में सार्वजनिक रूप से ज्यादा बात नहीं करते हैं। लेकिन मुझे पार्टी के काम पर लौटने के लिए संघ नेतृत्व द्वारा दिये गये अपवाद को स्वीकार करना चाहिए (और) नये कार्यभार में मुझे जो पूर्ण समर्थन मिला है।”
पीएम मोदी का जताया आभार
अपने ट्वीट में, माधव ने कहा कि वह उन्हें चुनने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के बेहद आभारी हैं। माधव ने कहा कि बातचीत से मुझे एहसास हुआ कि अनुच्छेद 370 को ऐतिहासिक रूप से निरस्त करने के बाद, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के माध्यम से सत्ता की बागडोर उन्हें सौंपकर जम्मू-कश्मीर के लोगों को सुशासन प्रदान करना उनका एकमात्र और राजनीतिक मिशन है।' माधव ने कहा कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भी आभारी हैं, और उन्हें आगामी चुनावों और पार्टी के लिए भरोसेमंद समझा, साथ ही बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा का भी आभार व्यक्त किया।
कश्मीर में बीजेपी को मजबूत कराने में बड़ी भूमिका
बीजेपी ने न सिर्फ उस सीनियर आरएसएस नेता राम माधव को वापस लाकर एक साथ कई निशाने साधे हैं। राम माधव ने बीजेपी को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के सीमावर्ती क्षेत्रों में पैर जमाने में मदद की। यह इलाका कभी बीजेपी की पहुंच से बाहर थे। बीजेपी ने राम माधव को अपने सबसे महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों में से एक के लिए फिर से जम्मू-कश्मीर भेज दिया है।
बीजेपी अच्छी सीटें दिलाने में हो सकते हैं कारगर
बताया जाता है कि राम माधव को वापस लाने के फैसले में जम्मू-कश्मीर में उनके रिकॉर्ड की अहम भूमिका थी। हालांकि कुछ लोगों ने कहा कि यह 2014 से पार्टी के पास मौजूद फायदों के बावजूद इस क्षेत्र में एक मजबूत नेतृत्व बनाने में पार्टी सफल नहीं हो सकी। गुलाम नबी आज़ाद जैसे राजनीतिक नेताओं के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों के साथ, माधव ही सबसे अच्छे व्यक्ति हैं जो बीजेपी के लिए जम्मू-कश्मीर में संख्या सुरक्षित कर सकते हैं।
काबिलियत साबित करने का मौका
बीजेपी सोर्सेज ने कहा कि यह एक चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी है, जहां माधव अपनी काबिलियत साबित कर सकते हैं। बीजेपी का चुनावी प्रभाव जम्मू क्षेत्र तक ही सीमित है, जहां केंद्र शासित प्रदेश की 90 में से 43 सीटें हैं। जब तक पार्टी घाटी में ठोस संबंध विकसित नहीं कर लेती, तब तक सरकार बनाना पार्टी के लिए संभव नहीं है। पार्टी नेतृत्व को पता है कि माधव इसके लिए सबसे अच्छे दांव हैं।
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के लिए अहम रहे हैं राम माधव
राम माधव ने 2014 में जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की चुनावी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बीजेपी 25 सीटों के साथ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (28 सीटों) के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और नेशनल कॉन्फ्रेंस (15 सीटों) से आगे रही थी। 2008 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के पास सिर्फ 11 सीटें थीं। जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा के बाद राज्यपाल शासन के दौरान, राम माधव ने ही पीडीपी के साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करवाया था ताकि मुफ्ती मोहम्मद सईद को सीएम बनाकर गठबंधन सरकार बनाई जा सके। माधव ने 2015 में बीजेपी और अप्रत्याशित सहयोगी पीडीपी के बीच समझौता कराया था, जिसके कारण दोनों दलों ने गठबंधन सरकार बनाई। बढ़ते तनाव के बोझ तले 2019 में गठबंधन टूट गया और तब से जम्मू-कश्मीर केंद्र के शासन में है।
20 साल की उम्र में संघ प्रचारक बने थे राम माधव
राम माधव मूल रूप से आंध्र प्रदेश के रहने वाले, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। माधव 20 साल की उम्र से पहले ही आरएसएस के प्रचारक बन गये थे। उन्होंने एक ऐसे नेता के रूप में ख्याति अर्जित करके संघ के भीतर अपनी जगह बनाई जो हमेशा एक सौंपे गये मिशन को पूरा करते थे। राम माधव कट्टर संघ नेता हैं। वर्ष 2020 में बीजेपी से किनारे कर दिये गये थे।