समस्तीपुर: JDU के एक्स एमएलए रामबालक सिंह आर्म्स एक्ट के केस में दोष करार, जेल भेजे गये
मस्तीपुर व्यवहार न्यायालय ने विभूतिपुर से जेडीयू के एक्स एमएलए व उनके भाई लाल बाबू सिंह को आर्म्स एक्ट के मामले में दोषी करार दिया है। दोनों को जेल भेज दिया गया है। सजा बिंदु पर 13 सितंबर सोमवार को फैसला सुनाया जायेगा।
- 21 साल भोज खाकर लौटते समय हुई थी फायरिंग
- ललन सिंह की चार अंगुलियां काटनी पड़ीं
समस्तीपुर। व्यवहार न्यायालय ने विभूतिपुर से जेडीयू के एक्स एमएलए व उनके भाई लाल बाबू सिंह को आर्म्स एक्ट के मामले में दोषी करार दिया है। दोनों को जेल भेज दिया गया है। सजा बिंदु पर 13 सितंबर सोमवार को फैसला सुनाया जायेगा।
मुंबई में मजदूरी करने वाले औरंगाबाद के युवक के बैंक अकाउंट में 10 माह में आये 1.25 करोड़, विजीलेंस जांच
सीपीएम लीडर ललन सिंह पर जानलेवा हमला करने से संबंधित स्पेशल सत्र संख्या 39/2019 सत्र में तृतीय अपर एवं सत्र न्यायाधीश प्रणव कुमार झा ने मामले की सुनवाई की। 21 वर्ष पूर्व विभूतिपुर पुलिस स्टेशन एरिया के शिवनाथपुर गांव निवासी गंगा सिंह के पुत्री की शादी थी। इसमें ललन सिंह के साथ रामबालक सिंह एवं उनके भाई लालबाबू सिंह भी आमंत्रित थे। तत्कालीन मुखिया रामबालक सिंह ने सीपीएम नेता को देखते ही उसे पकडऩे की कोशिश की। लेकिन वह भाग निकला। इसके बाद पीछा करते हुए उस पर फायरिंग की गई। जिससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गया।
धनबाद :मैनेजर राय के महादेव हार्डकोक भट्ठे से 7944 टन कोयला सीज, गोविंदपुर पुलिस स्टेशन में FIR
गोलियां का आवाज सुनकर गांव के लोग मौके पर पहुंचे।। आनन-फानन में लोगों ने खून से लथपथ ललन सिंह को उठाकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र विभूतिपुर ले गये। जहां से इलाज के लिए डॉक्टरों ने ललन सिंह को सदर अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। वहां हालत नाजुक देखते हुए डॉक्टरों ने पीएमसीएच के लिए रेफर कर दिया। पीएमसीएच में ललन सिंह के दायें हाथ की चारों अंगुलियों को काटना पड़ा।घटना के समय रामबालक सिंह शिवनाथपुर पंचायत के मुखिया थे। जबकि ललन सिंह मुखिया उम्मीदवार थे, दोनों के बीच पंचायत चुनाव को लेकर अदावत चल रही थी। दोनों एक ही गांव के हैं। ललन सिंह इस संबंध में पीडि़त ने विभूतिपुर पुलिस स्टेशन में कांड संख्या 62/2000 के तहत एफआइआर दर्ज कराई थी।
एलजेपी से शुरू किया था विधानसभा का सफर, अभी हैं जेडीयू महासचिव
एफआइआर दर्ज होने के बाद ललन सिंह ने आरोपी रामबालक सिंह और उसके छोटे भाई मास्टर लाल बाबू सिंह का केस कोर्ट में चलता रहा। आरोपी रामबालक सिंह को 2005 में विभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र से एलजेपी ने अपना कैंडिडेट बनाया। उन्होंने जीत हासिल की। इसके बाद वह जेडीयू में शामिल हो गये। 2010 में जेडीयूके टिकट पर एमएलए बने। 2015 में रामबालक सिंह फिर से महागठबंधन के टिकट पर एमएलए बने। 2020 के विधानसभा चुनाव में रामबालक सिंह को सीपीएम विधायक अजय कुमार से हार का सामना करना पड़ा।