कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन में आये संत बाबा राम सिंह ने खुद को मारी गोली, मौत
सेंट्रल गवर्नमेंट के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन के दौरान बुधवार को संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मारकर सुसाइड कर ली। मौके पर ही उनकी मौत हो गई। यह घटना करनाल में बॉर्डर के पास हुई है।
नई दिल्ली। सेंट्रल गवर्नमेंट के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन के दौरान बुधवार को संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मारकर सुसाइड कर ली। मौके पर ही उनकी मौत हो गई। यह घटना करनाल में बॉर्डर के पास हुई है। संत बाबा राम सिंह किसानों पर सरकार के रवैये से आहत थे।
संत बाबा राम सिंह के पास से सुसाइड नोट भी मिला है। वे पिछले काफी दिनों से दिल्ली के पास हो रहे आंदोलन में शामिल थे। उन्होंने एक शिविर की भी व्यवस्था की थी और कंबल भी बांटे थे।सुसाइड नोट में बाबा राम सिंह ने लिखा है कि वे किसानों की हालत नहीं देख सकते हैं। सेंट्रल गवर्नमेंट विरोध को लेकर कोई ध्यान नहीं दे रही है, इसलिए वे किसानों, बच्चों और महिलाओं को लेकर चिंतित हैं।बाबा राम सिंह ने लिखा है कि उनसे किसानों का दुख देखा नहीं जा रहा है। 'अपने हक के लिए सड़कों पर किसानों को देखकर बहुत दिल दुख रहा है। सरकार न्याय नहीं दे रही है। जुल्म है। जुल्म करना पाप है। जुल्म सहना भी पाप है।
बाबा द्वारा खुद को गोली मारे जाने के बाद साथी किसान उन्हें लेकर तुरंत पानीपत के पार्क हॉस्पीटल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। करनाल के निसिंग कस्बे के गांव सिंगरा निवासी बाबा राम सिंह वहां गुरुद्वारा नानकसर में ग्रंथी थे। वे धरने में शामिल होने के लिए करनाल से लगातार आते-जाते रहते थे। चार-पांच दिन पहले भी वे धरने में शामिल होने के लिये आये थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बुधवार को भी वे धरनास्थल पर पहुंचे और मंच के पीछे रोड की दूसरी ओर जाकर खुद को गोली मार ली। कृषि कानूनों के विरोध में कुंडली बॉर्डर पर 27 नवंबर से किसान धरना दे रहे हैं।