देश में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट का खतरा बढ़ा,हेल्थ मिनिस्टरी ने आठ स्टेट को भेजे पत्र में दिये कई निर्देश
देश में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट का खतरा बढ़ने के साथ ही सेंट्रल गवर्नमेंट अलर्ट हो गई है। सेंट्रल हेल्थ सेकरटेरी राजेश भूषण ने शुक्रवार को तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के चीफ सेकरेटरी को पत्र लिखकर डेल्टा प्लस वैरिएंट के प्रसार को रोकने के उपायों को बढ़ाने का निर्देश दिया है।
- तमिलनाडु गुजरात आंध्र प्रदेश राजस्थान कर्नाटक पंजाब जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के चीफ सेकरटेरी को पत्र
डेल्टा प्लस वैरिएंट के प्रसार को रोकने के उपायों को बढ़ाने का निर्देश - 11 स्टेट में मिले 50 केस, वैक्सीन के असर की हो रही जांच
- दिल्ली के हॉस्पीटल में होगा कोरोना के विभिन्न वैरिएंट पर स्टडी, जल्द शुरू होगी जीनोम टेस्ट लैब
नई दिल्ली। देश में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट का खतरा बढ़ने के साथ ही सेंट्रल गवर्नमेंट अलर्ट हो गई है। सेंट्रल हेल्थ सेकरटेरी राजेश भूषण ने शुक्रवार को तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के चीफ सेकरेटरी को पत्र लिखकर डेल्टा प्लस वैरिएंट के प्रसार को रोकने के उपायों को बढ़ाने का निर्देश दिया है।
सेंट्रल ने स्टेट से कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग बढ़ाने के लिए कहा है। हेल्थ सेकरेटरी ने आठ स्टेट के चीफ सेकरेचरी को लिखे लेटर में डेल्टा प्लस वेरिएंट को चिंतित करने वाले वेरिएंट बताते हुए कहा है कि यह अधिक संक्रामक है। फेफड़ों की कोशिकाओं में रिसेप्टर्स का मजबूत बंधन होता है तो मोनोकोनल एंटीबॉडी रिस्पॉन्स को भी संभवत: कम कर सकता है। स्टेट से अपील की गई है कि जिन जिलों में डेल्टा प्लस वेरिएंट के केस पाए गए हैं वहां तुरंत ही कंटेनमेंट उपायों को अपनाया जाए। इन इलाकों में भीड़ लगने से रोका जाए, टेस्टिंग को बढ़ाया जाए, ट्रेसिंग की जाए और वैक्सीनेशन को तेज किया जाए। संक्रमित लोगों के अधिक से अधिक सैंपल की जिनोम सिक्वेंसिंग कराने को भी कहा गया है।
11 स्टेट में मिले 50 केस, वैक्सीन के असर की हो रही जांच
देश में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट के कुल 50 मामले फिलहाल मौजूद हैं। आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले मिले हैं। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के डायरेक्टर डॉ. एसके सिंह ने कहा कि इन आठ स्टेट में ही 50 परसेंट से ज्यादा केस मिले हैं।
हेल्थ मिनिस्टरी ने शुक्रवार को ब्रीफिंग में मीडिया से बात करते हुए आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव ने कहा कि फिलहाल कोरोना का यह वैरिएंट दुनिया के 12 देशों में पाया गया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल इसके 50 केस भारत में हैं। लेकिन ये एक सीमित दायरे में ही हैं। उन्होंने इस वैरिएंट पर कोरोना वैक्सीन के असर को लेकर कहा कि इसके लिए टेस्ट किए जा रहे हैं। आने वाले सात से 10 दिनों इसके बारे में जानकारी मिल पायेगी। भार्गव ने कहा कि डेल्टा प्लस से पहले मिले अल्फा बीटा, गामा और डेल्टा जैसे वैरिएंट पर कोविशील्ड और कोवैक्सिन कारगर रही हैं। उन्होंने कहा कि हमारी ओर से फिलहाल इसका टेस्टिंग जारी है कि कोरोना की वैक्सीन इस वैरिएंट पर कितना असर करती हैं। हमें लैबोरेट्री के नतीजों का इंतजार है। इसके रिजल्ट 7 से 10 दिन में आ जायेंगे।
प्रेगनेंट महिलाओं को वक्सीन लगने से विपरीत असर पड़ने की अफवाहों को किया खारिज
उन्होंने प्रेगनेंट महिलाओं को वैक्सीन लगने से विपरीत असर पड़ने की अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है। बलराम भार्गव ने कहा कि हेल्थ मिनिस्ट्री की ओर से यह गाइडलाइन जारी की गई है कि प्रेगनेंट महिलाओं को भी कोरोना का वैक्सीन लगाया जा सकता है। वैक्सीनेशन प्रेगनेंट महिलाओं के लिए भी फायदेमंद है और यह होना चाहिए। बच्चों की वैक्सीन को लेकर बलराम भार्गव ने कहा कि अभी दुनिया में सिर्फ एक ही ऐसा देश है, जहां यह किया जा रहा है। हालांकि बेहद छोटे बच्चों को शायद कभी वैक्सीन की जरूरत न हो। यह एक बड़ा सवाल है।
भार्गव ने कहा कि फिलहाल हम बच्चों के वैक्सीनेशन को लेकर स्टडी कर रहे हैं और डेटा जुटा रहे हैं। मुझे लगता है कि हम बड़े पैमाने पर बच्चों को टीका लगाने की स्थिति नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि हमने 12 से 18 साल के किशोरों पर टीके को लेकर स्टडी शुरू कर दी है। इसके परिणाम सितंबर तक आने की उम्मीद है। हालांकि अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे लेकर चर्चा चल रही है कि बच्चों को टीका लगना चाहिए या फिर नहीं।
अब हर सप्ताह होगी रिव्यू मीटिंग
देश में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले को देखते हुए अब Indian SARS-CoV-2 Genomic Consortia (INSACOG) अब हर सप्ताह इसकी समीक्षा बैठक करेगा। इस बैठक में देश में आयेमामलों और इसके खात्मे पर विचार विमर्श किया जायेगा। कई राज्य कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर अलर्ट हो गये हैं। एएनआई की खबर के अनुसार ICMR ने महामारी की तीसरी लहर आने की आशंकाओं के बीच कहा है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट को कारण बताना जल्दबाजी होगी। आईसीएमआर के मुताबिक फिलहाल इसको लेकर चिंतित होने की भी जरूरत नहीं हैं। आइसीएमआर) के विज्ञानी और महामारी विज्ञान व संचारी रोग विभाग के कार्यक्रम अधिकारी डा.सुमित अग्रवाल के मुताबिक एमआरएनए वायरस में बदलाव होना उसकी एक सामान्य प्रवृत्ति है। इसको कंट्रोल भी नहीं किया जा सकता है। समय बीतने के साथ इसकी प्रवृति के बारे में भी पता लगाया जा सकेगा। आने वाले समय में इस वायरस में और बदलाव आ सकते हैं। डेल्टा वैरिएंट के तीन लक्षणों में इसका तेजी से संक्रमण, हाई एफिनिटी है और इस पर मोनोक्लोनल एंटीबाडी थेरेपी के बहुत कारगर साबित न होने की बात सामने आई है।
WHO ने इस डेल्टा वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ कंसर्न की लिस्ट में शामिल किया है। न्यूजजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, पुर्तगाल, स्विटजरलैंड, जापान, पौलेंड, रूस और चीन में भी सामने आ चुके हैं। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इसके मामले करीब 11 देशों में सामने आने की भी बात कही गई है। डेल्टा वैरिएंट सार्स-कोव-2 का बदला हुआ रूप था जिसका महामारी की सेकेंड वेव के दौरान भारत में सबसे अधिक प्रभाव देखने केा मिला था। इसी दौरान इस वैरिएंट में जो बदलाव सामने आया उसको डेल्टा प्लस AY.1 के नाम से जाना गया है। पीटीआई की एक खबर के अनुसार देश के जाने-माने वीरोलॉजिस्ट शाहिद जमाल का कहना है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट न केवल डेल्टा वैरिएंट के लक्षणों के साथ दिखाई देता है बल्कि इसमें दक्षिण अफ्रीका में पाए गए बीटा वैरिएंट (K417N) के भी लक्षण दिखाई देते हैं।
दिल्ली के हॉस्पीटल में होगा कोरोना के विभिन्न वैरिएंट पर स्टडी, जल्द शुरू होगी जीनोम टेस्ट लैब
लोकनायक हॉस्पीटल दिल्ली में जुलाई के पहले सप्ताह से कोरोना वायरस के विभिन्न स्वरूपों (वैरिएंट) का पता लगाने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग लैब शुरू करने की तैयारी है। हॉस्पीटल के मेडिकल डायरेक्टर डा सुरेश कुमार ने बताया कि इसके लिए हम सिंगापुर से मशीन खरीद चुके हैं। अब इसे स्थापित कर लैब शुरू करने की तैयारी चल रही है। जुलाई के पहले सप्ताह में इसे शुरू कर दिया जायेगा। लैब शुरू होने से हॉस्पीटल में ही स्टडी कर कर कोरोना वायरस के स्वरूप का पता लगाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि दूसरी लहर की शुरूआत के समय ही दिल्ली सरकार ने लोकनायक हॉस्पीटल में लैब शुरू करने की तैयारी के लिए बोला था।इसलिए हमने दो महीने पहले ही सिंगापुर से मशीन मंगाने का आर्डर कर दिया था। अब अस्पताल में मशीन आ चुकी है। इसे स्थापित कर कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले पेसेंट का सैंपल लेकर वायरस के नए स्वरूप और उसमें किस स्तर का म्यूटेशन है इसका अध्ययन शुरू किया जायेगा।
एनसीडीसी और पुणे की लैब में जाते थे सैंपल
डा सुरेश कुमार ने बताया कि अभी लोकनायक हॉस्पीटल में विदेश से लौटने वाले कोरोना संदिग्धों का सिर्फ आरटीपीसीआर और रैपिड एंटीजन टेस्ट ही होता था। जब इन लोगों की रिपोर्ट पाजीटिव आती थी तो इनमें वायरस के स्वरूप और म्यूटेशन का पता लगाने के लिए इनके सैंपल राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) की दिल्ली स्थित लैब और पुणे की लैब में भेजे जाते थे। यहां पर स्टडी होने के बाद इनकी रिपोर्ट आने में एक सप्ताह या उससे ज्यादा का समय लगता था। लेकिन लोकनायक में लैब शुरू होने से अब रिपोर्ट आने में कम समय लगेगा। साथ ही म्यूटेशन का पता लगने से दिल्ली में कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने में भी मदद मिलेगी।डा कुमार ने बताया कि लोकनायक में पहले से ही वायरोलाजी और माइक्रोबायोलाजी लैब हैं। आइसीएमआर की 10 से 15 परियोजनाएं पहले से ही अस्पताल में चल रही हैं। इसलिए यहां अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक भी हैं।
जीनोम सीक्वेंसिंग शुरू करने वाला पहला हॉस्पीटल होगा लोकनायक
दिल्ली के किसी भी हॉस्पटल में अभी जीनोम सीक्वेंसिंग जांच की व्यवस्था नहीं है। संभावित तीसरी लहर को देखते हुए दिल्ली सरकार की ओर से यह व्यवस्था की जा रही है। इससे खतरनाक बताये जा रहे डेल्टा वैरिएंट पर भी अध्ययन करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि जीनोम सीक्वेंसिंग जांच शुरू करने वाला लोकनायक दिल्ली का पहला हॉस्पीटल होगा। हालांकि, दिल्ली सरकार की योजना वसंत कुंज स्थित यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान (आइएलबीएस) में भी जीनोम सीक्वेंसिंग लैब शुरू करने की है। लेकिन, फिलहाल यह लोकनायक में पहले शुरू होगी।