देश में कम हो रहे कोरोना के एक्टिव केस,17 स्टेट में हैं 50 हजार से भी कम केस, म्यूकोर्मिकोसिस पर एम्स डायरेक्टर ने दी जानकारी
सेंट्रल हेल्थ मिनिस्टरी ने कहा है कि देश के अधिकतर स्टेट में कोरोना के एक्टिव में गिरावट आयी है। देश के 11 स्टेट में एक लाख से अधिक एक्टिव मामले हैं। आठ स्टेट में 50,000 से एक लाख के बीच कोरोना के एक्टिव केस हैं। 17 स्टेट में 50,000 से कम कोरोना के एक्टिव मामले हैं।
नई दिल्ली। सेंट्रल हेल्थ मिनिस्टरी ने कहा है कि देश के अधिकतर स्टेट में कोरोना के एक्टिव में गिरावट आयी है। देश के 11 स्टेट में एक लाख से अधिक एक्टिव मामले हैं। आठ स्टेट में 50,000 से एक लाख के बीच कोरोना के एक्टिव केस हैं। 17 स्टेट में 50,000 से कम कोरोना के एक्टिव मामले हैं।
महाराष्ट्र, यूपी, गुजरात और छत्तीसगढ़ जहां अधिक संख्या में कोरोना के नयेमामले सामने आ रहे हैं। इन स्टेट में भी अब एक्टिव मामलों में गिरावट दर्ज की जा रही है। मिनिस्टरी ने बताया कि चिंता का कारण तमिलनाडु है जहां पिछले एक सप्ताह में एक्टिव मामलों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है।हेल्थ मिनिस्टरी के ज्वाइंट सेकरटेरी लव अग्रवाल के अनुसार देश में एक्टिव मामलों में कमी देखी जा रही है। तीन मई को रिकवरी रेट 81.3 परसेंट थी जिसके बाद रिकवरी में सुधार हुआ है।अब रिकवरी रेट 83.83 परसेंट है। 75 परसेंट मामले 10 राज्यों से आ रहे हैं। कुल एक्टिव मामलों का 80 परसेंट सिर्फ 12 स्टेट में है।उन्होंने ने बताया कि देश में 24 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जहां 15 परसेंट से ज्यादा पॉजिटिविटी रेट है। पांच से 15 परसेंटद पॉजिटिविटी रेट 10 राज्यों में है। पांच परसेंट से कम पॉजिटिविटी रेट तीन स्टेट में है। पिछले एक सप्ताह में 18 स्टेट व यूटी पॉजिटिविटी रेट कम हुई है। देशभर में पॉजिटिविटी रेट जो 21.9 परसेंट थी, वो अब 19.8 परसेंट रह गई है।
म्यूकोर्मिकोसिस केस में बढ़ोतरी पर एम्स के डायरेक्टर ने बताई सच्चाई
दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने म्यूकोर्मिकोसिस को लेकर कहा कि डायबिटीज, कोरोना पॉजिटिव और स्टेरॉयड लेने वाले पेसेंट में फंगल इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में हमें हमें स्टेरॉयड का दुरुपयोग रोकना चाहिए।रणदीप गुलेरिया ने बताया कि जैसे-जैसे कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं।यह सबसे महत्वपूर्ण है कि हम अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण प्रथाओं के प्रोटोकॉल का पालन करें। यह देखा गया है कि ज्यादातर मरीज दूसरे संक्रमण यानी ब्लैक फंगस (Mucormycosis) से लोगों की मौत हो रही है। ब्लैक फंगस का यह रोग चेहरे, नाक, आंख या मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है, जिससे दृष्टि हानि भी हो सकती है। यह फेफड़ों में भी फैल सकता है।
एम्स के डायरेक्टर ने कहा कि फंगस इन्फेक्शन पहले बहुत रेयर था। यह उन लोगों में दिखता था जिनका शुगर बहुत ज्यादा हो, डायबिटीज अनकंट्रोल है, इम्युनिटी बहुत कम है या कैंसर के ऐसे पेशंट्स हैं जो कीमोथैरपी पर हैं। लेकिन आज इसके ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। इसके साथ ही डॉ गुलेरिया ने कहा कि स्टेरॉयड्स का ज्यादा इस्तेमाल करने से ब्लैक फंगल के मामले आ रहे हैं। आम लोगों में आम तौर पर फंगल इंफेक्शन नहीं पाया जाता था लेकिन कोरोना की वजह से इसके केस काफी आ रहे हैं। एम्स में ही फंगल इन्फेक्शन के 23 मामले हैं। इनमें से 20 अभी भी कोरोना पॉजिटिव हैं। तीन कोरोना नेगेटिव हैं। कई राज्य ऐसे हैं जहां फंगल इन्फेक्शन से 400-500 केस हैं। उन्होंने बताया कि फंगल इंफेक्शन आंख, नाक, गला, फेफड़े पर हो सकता है। इससे आंखों की रोशनी, नाक से ब्लड और अगर फेफड़े में पहुंच गया तो सीने में दर्द फीवर जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
स्टेरॉयड्स से ज्यादा खतरा
डॉ गुलेरिया ने कहा कि स्टेरॉयड्स का दुरुपयोग फंगल इन्फेक्शन के प्रमुख कारणों में है। डायबिटीज के साथ कोरोना इन्फेक्शन वालों को अगर स्टेरॉयड दिया जा रहा है तो फंगल इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा रहेगा। इसलिए स्टेरॉयड का मिसयूज कम करना होगा। माइल्ड इन्फेक्शन वाले मरीजों और ऐसे लोगों को जिनका ऑक्सिजन लेवल कम नहीं है, उन्हें स्टेरॉयड देने से फायदा कम नुकसान ज्यादा है।
ब्लैक फंगस का अटैक
स्पेशलिस्ट का कहना है कि कोविड के बाद ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस लोगों को घेर रहा है। इस रोग में काले रंग की फंगस नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उन्हें नष्ट कर रही है और मरीजों की जान पर बन रही है।
जिसे हो सकता है ब्लैक फंगस
कोविड के दौरान जिन्हें स्टेरॉयड्स- मसलन डेक्सामिथाजोन, मिथाइल, प्रेडनिसोलोन आदि दी गई हों।
कोविड मरीज को ऑक्सिजन सपॉर्ट पर या आईसीयू में रखना पड़ा हो।
कैंसर, किडनी, ट्रांसप्लांट आदि की दवाएं चल रही हों।
ब्लैक फंगस के लक्षण
बुखार आ रहा हो, सर दर्द हो रहा हो, खांसी हो या सांस फूल रही हो।
नाक बंद हो। नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो।
आंख में दर्द हो। आंख फूल जाए, एक चीज दो दिख रही हो या दिखना बंद हो जाए।
चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्न हो।
दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दांत दर्द करे।
उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए।
लक्षण आयें तो ऐसा करें
ब्लैक फंगस के कोई लक्षण नजर आने पर तत्काल गवर्नमेंट हॉस्पीटल में या किसी अन्य स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दिखाएं। नाक, कान, गले, आंख, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जन स्पेशलिस्ट को तुरंत दिखाएं ताकि जल्दी इलाज शुरू हो सके।