पंकज मिश्रा के खिलाफ FIR करने पर साहिबगंज SP ऑफिस से मिली धमकी, झूठे केस में फंसाया : विजय हांसदा

इलिगल माइनिंग मामले में पंकज मिश्रा के खिलाफ ईडी के गवाह विजय हांसदा ने ईडी को बताया है कि पंकज मिश्रा के खिलाफ कंपलेन दर्ज कराने पर साहिबगंज पुलिस ने उन्हें धमकी दी थी। बाद में उन्हें झूठे क्रिमिनल केस में फंसाया गया था। साहिबगंज जेल में बंद विजय हांसदा ने ईडी से पूछताछ के दौरान यह बात कही।

पंकज मिश्रा के खिलाफ FIR करने पर साहिबगंज SP ऑफिस से मिली धमकी, झूठे केस में फंसाया : विजय हांसदा

रांची। इलिगल माइनिंग मामले में पंकज मिश्रा के खिलाफ ईडी के गवाह विजय हांसदा ने ईडी को बताया है कि पंकज मिश्रा के खिलाफ कंपलेन दर्ज कराने पर साहिबगंज पुलिस ने उन्हें धमकी दी थी। बाद में उन्हें झूठे क्रिमिनल केस में फंसाया गया था। साहिबगंज जेल में बंद विजय हांसदा ने ईडी से पूछताछ के दौरान यह बात कही।

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विजय ने ईडी को यह भी बताया कि वह पंकज मिश्रा और अन्य के खिलाफ अपना मामला जारी रखना चाहते हैं, जिस पर उन्होंने इलिगल माइनिंग करने का आरोप लगाया था। पिछले महीने जिला पुलिस ने विजय व उनके बेटे को कथित रूप से ग्रामीणों को धमकाने के आरोप में आईपीसी और आर्म्स एक्ट के मामले में अरेस्ट किया था। 

साहिबगंज एसपी से दी गई थी धमकी
सोर्सेज का कहना है कि ईडी पूछताछ के दौरान विजय हांसदा ने दावा किया कि पंकज मिश्रा के खिलाफ कंपलेन दर्ज करने की हिम्मत करने पर उन्हें साहिबगंज एसपी के ऑफिस से धमकी दी गई थी। आर्म्स एक्ट मामले में अरेस्टिंग से पहले विजय हांसदा ने दावा किया था कि पुलिस उन्हें जबरन अपने साथ ले गई थी। बाद में उन्हें एक क्रिमिनल केस में अपनी अरेस्टिंग के बारे में पता चला। उल्लेखनीय है कि विजय हांसदा ने इलिगल माइनिंग का विरोध करने पर पंकज मिश्रा और अन्य के खिलाफ मारपीट और गाली-गलौज करने के लिए ऑनलाइन एफआइआर दर्ज कराई थी। लेकिन जब पुलिस द्वारा एफआइआर दर्ज नहीं की गई तो उन्होंने राजमहल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले में सात जुलाई को कोर्ट ने लोकल पुलिस स्टेशन को एफआइआर दर्ज करने का निर्देश दिया, लेकिन एफआईआर नहीं हुआ। इसी बीच साहिबगंज पुलिस ने उन्हें एक अलग मामले में अरेस्ट कर लिया।

मामले में जब लोकल पुलिस की मंशा पर सवाल उठे तो दुमका डीआईजी ने दावा किया कि विजय हांसदा ने लिखित में शिकायत को झूठा बताकर वापस ले लिया था। इसलिए कोर्ट के आदेश के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं की गई। लेकिन कुछ दिनों के भीतर विजय हांसदा ने एक लिखित स्पष्टीकरण जारी किया। इस बात से इनकार किया कि उन्होंने अपनी शिकायत वापस ले ली है। विजय ने बताया था कि पुलिस ने सादे कागजों पर जबरदस्ती उनके साइन लिए थे। इसका इस्तेमाल उनके खिलाफ किया गया था।