यूपी: मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सिविल सूट दायर, शाही मस्जिद हटाने की मांग
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण विरामजमान के नाम से कोर्ट में दीवानी का केस दर्ज किया गया है। भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर' के रूप में जो अगले दोस्त रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों ने मथुरा कोर्ट में यह वाद दाखिल किया है।
- भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री एवं छह अन्य लोगों ने वाद दायर किया
- ईदगाह मस्जिद को हटाने की अपील
लखनऊ। भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण विरामजमान के नाम से कोर्ट में दीवानी का केस दर्ज किया गया है। भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर' के रूप में जो अगले दोस्त रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों ने मथुरा कोर्ट में यह वाद दाखिल किया है।
केस सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन के साथ भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री ने दायर किया है। इनकी याचिका में जमीन को लेकर 1968 के समझौते को गलत बताया गया है। विष्णु शंकर जैन के साथ ही रंजना अग्निहोत्री आयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि वाले केस से भी जुड़े हैं। इस याचिका के माध्यम से 13.37 एकड़ की कृष्ण जन्मभूमि का स्वामित्व मांगा है। जिस पर मुगल काल में कब्जा कर शाही ईदगाह बना दी गई थी। शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है। वाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से अंतरंग सखी के रूप में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों ने दाखिल किया है।
कोर्ट में दाखिल मामले में कहा गया है कि मुसलमानों की मदद से शाही ईदगाह ट्रस्ट ने श्रीकृष्ण से सम्बहन्धित जन्ममभूमि पर कब्जाे कर लिया। ईश्वर के स्था न पर एक ढांचे का निर्माण कर दिया। भगवान विष्णुि के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्म स्थारन उसी ढांचे के नीचे स्थित है। याचिका में यह दावा किया गया है कि मंदिर परिसर का प्रशासन सम्भाालने वाले श्रीकृष्ण जन्मगस्थाैन सेवा संस्थाणन ने सम्पसत्ति के लिए शाही ईदगाह ट्रस्ट से एक अवैध समझौता किया। आरोप लगाया गया है कि 'श्री कृष्ण जन्म स्थानन सेवा संस्थायन' श्रद्धालुओं के हितों के विपरीत काम कर है।इसलिए धोखे से मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट की प्रबंध समिति ने 1968 में सम्बहन्धित सम्पत्ति के एक बड़े हिस्सेण को हथियाने का समझौता कर लिया।
मुकदमे में एक बड़ी रुकावट प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 है। इस एक्ट के मुताबिक आजादी के वक्त 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस संप्रदाय का था, उसी का रहेगा। इस एक्ट के तहत श्रीरामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को छूट दी गई थी।याचिका में कहा गया है कि जमीन वास्तव में जिस ट्रस्ट से सम्ब न्धि्त है वह श्रीकृष्ण जन्मीभूमि ट्रस्ट 1958 से सक्रिय नहीं है। श्रीकृष्ण जन्मिस्थाेन सेवा संस्थांन ने उसके अधिकारों पर जबरन कब्जाह कर लिया।
उल्लेखनीय है कि इसके पहले मथुरा के सिविल जज की अदालत में एक और मामला दाखिल हुआ था जिसे श्रीकृष्ण जन्म सेवा संस्थाषन और ट्रस्ट के बीच समझौते के आधार पर बंद कर दिया गया। वर्ष 1973 की 20 जुलाई को इस संबंध में कोर्ट ने एक निर्णय दिया था। अभी के विवाद में कोर्ट के उस फैसले को रद्द करने की मांग की गई है। यह भी मांग की गई है कि विवादित स्थल को बाल श्रीकृष्ण का जन्मयस्थाीन घोषित किया जाए।