दरभंगा सिकंदराबाद एक्सप्रेस ट्रेन चलते हुए में थी विस्फोट की साजिश, नाइट्रिक और सल्फ्यूरिक एसिड के रिएक्शन में देरी से बची
आतंकियों ने दरभंगा सिकंदराबाद एक्सप्रेस को चलते हुए उड़ाने की साजिश रची थी। एनआईए की पूछताछ में दोनों सगे भाई इमरान खान उर्फ इमरान मलिक व नासिर खान उर्फ नासिर मलिक ने अहम जानकारी दी है।
पटना। आतंकियों ने दरभंगा सिकंदराबाद एक्सप्रेस को चलते हुए उड़ाने की साजिश रची थी। एनआईए की पूछताछ में दोनों सगे भाई इमरान खान उर्फ इमरान मलिक व नासिर खान उर्फ नासिर मलिक ने अहम जानकारी दी है।
पूछताछ में नासिर ने एनआईए को बताया कि एक उसकी प्लानिंग ट्रेन को उड़ाने की थी लेकिन एक चूक के कारण ऐसा नहीं हो सका और सारा खेल बिगड़ गया। योजना चलती ट्रेने में ब्लास्ट करने की थी। विस्फोट के लिए रखे नाइट्रिक और सल्फ्यूरिक एसिड का वक्त पर रिएक्शन न होने आतंकियों की प्लान विफल हो गयी। पार्सल के अंदर रखे लिक्विड बम का ब्लास्ट तब हुआ, जब वो ट्रेन दरभंगा स्टेशन पहुंच चुकी थी। पार्सल को ट्रेन से उतारा जा चुका था। ट्रेन में सवार सारे पैसेंजर्स उतर चुके थे। इसलिए किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ।
काजीपेट जंक्शन था टारगेट
आतंकियों के फुलप्रुफ प्लान के तहत 15-16 जून की मध्य रात्रि को 07007 डाउन के पार्सल कोच में केमिकल ब्लास्ट होता। उससे चलती ट्रेन में आग लगती और फिर उस वक्त सो रहे पैसेंजर्स की जान चली जाती। आतंकियों ने सिकंदराबाद स्टेशन से 132 KM दूर काजीपेट जंक्शन को चुना था।
उल्लेखनीय है कि 15 जून की रात 10 बजकर 40 मिनट पर दरभंगा के लिए 07007 स्पेशल ट्रेन सिकंदराबाद से रवाना हुई थी। इस ट्रेन का पहला स्टॉपेज 132 KM दूर काजीपेट जंक्शन है। यहां यह ट्रेन एक घंटे 54 मिनट के बाद यानी 16 जून को मध्य रात 12 बजकर 38 मिनट पर पहुंचती है। ठीक दो मिनट के बाद यह ट्रेन काजीपेट से 132 KM की दूरी पर स्थित रामागुंडम स्टशन के लिए बढ़ जाती है।आतंकियों की प्लानिंग थी कि यह ब्लास्ट काजीपेट से ट्रेन निकलने के बाद हो जाए, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वहां से 1781 KM दूर दरभंगा में ब्लास्ट हुआ।
टाइम पर एक-दूसरे से नहीं मिल पाया केमिकल
जिस पार्सल में ब्लास्ट हुआ था, उसके अंदर रखे शीशी की बोतल में लिक्विड बम था। इसे नाइट्रिक और सल्फ्यूरिक एसिड से बनाया गया था। बोतल के अंदर इन दोनों ही एसिड के बीच में कागज की एक मोटी परत दी गई थी। मोटी परत वाला कागज समय पर जल जाता और दोनों केमिकल एक-दूसरे से मिल जाते तो ब्लास्ट तय समय के अनुसार हो जाता। फिर चलती ट्रेन के अंदर ब्लास्ट होता और जानमाल का बड़ा नुकसान होता।
एक मोबाइल नंबर से खुलने लगी दरभंगा रेलवे स्टेशन ब्लास्ट का राज
पार्सल को सिकंदराबाद स्टेशन से पार्सल भेजने वाले का नाम-पता सूफियान निवासी सिकंदराबाद (आंध्र प्रदेश) लिखा था। इस पार्सल को दरभंगा में मोम्मद सुफियान को ही रिसीव करना था। जिस तरह से पार्सल पर भेजने वाले और रिसीव करने वाले का एक ही नाम था, उसी तरह से दोनों जगहों पर एक ही मोबाइल नंबर दर्ज किया गया था। ब्लास्ट के बाद पुलिस और एटीएस ने मोबाइल नंबर जांच की तो मोबाइल नंबर शामली जिले के कैराना कस्बे का निकला था।
काफील को 23 जून को पकड़ा गया
बिहार पुलिस और एनआईए की टीम ने यूपी एटीएस को मामले की जानकारी देते हुए मदद ली और लोकेशन ट्रेस कर रेड कर कासिम उर्फ कफील को कब्जे में ले लिया। कफील से मिली जानकारी के आधार पर ही सलीम को पकड़ा गया। पुलिस जिस मोबाइल नंबर के आधार पर शामली में पहुंची वो कफील का था। टीम ने कफील को 23 जून को कस्टडी में ले लिया था। उसकी निशानदेही में हैदराबाद के न्यू मेलापल्ली में रेड कर दो संदिग्ध आतंकी इमरान मलिक उर्फ इमरान खान और मोहम्मद नासिर खान को गिफ्तार किया था। इनके घर की तलाशी में IED बम बनाने के तरीके और इस्तेमाल किए जाने वाले विस्फोटकों से संबंधित कई तरह के दस्तावेज बरामद किये गये।