रांची। झारखंड UPA का एक डेलीगेशन गुरुवार को राजभवन में गवर्नर रमेश बैस से मिला। गवर्नर से ऑफिस आफ प्राफिट मामले में CM हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता रद करने के मामले में निर्वाचन आयोग की अनुशंसा का खुलासा करने की मांग की। आयोग की अनुशंसा पर शीघ्र कार्रवाई करने का आग्रह किया ताकि राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का जो माहौल बना है उसे खत्म किया जा सके।
गवर्नर ने स्वीकारा पत्र आया
डेलीगेशन ने लोगों में भ्रम की स्थिति का हवाला देते हुए इस संदर्भ में शीघ्र ही स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया।गवर्नर ने निर्वाचन आयोग से पत्र मिलने को अधिकृत रूप से स्वीकार करते हुए डेलीगेशन को शीघ्र ही समुचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। गवर्नर से मुलाकात में डेलीगेशन ने कहा कि इस मामले में राजभवन द्वारा स्थिति स्पष्ट नहीं किये जाने से राजनीतिक अस्थिरता और हार्स ट्रेडिंग का माहौल बन गया है। मीडिया में जो भी समाचार आ रहा है, वह राजभवन सूत्रों से आ रहा है। इसपर गवर्नर ने कहा कि राजभवन का कोई सूत्र नहीं है। राजभवन की ओर से मीडिया को कोई वक्तव्य नहीं दिया गया है। कानूनी राय लिए जाने के कारण ही अभी तक आयोग की अनुशंसा पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।
एक दो बिंदु पर पत्र में अस्पष्टता
गवर्नर से मिलकर राजभवन से बाहर निकलने के बाद डेलीगेशन में शामिल झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्यपाल ने निर्वाचन आयोग से मिले पत्र में एक-दो बिंदुओं की अस्पष्टता की बात कही है। उन्होंने आश्वस्त किया है कि इसपर कानूनी राय लेकर एक-दो दिनों में उचित कार्रवाई की जायेगी। जब सुप्रियो से पूछा गया कि आयोग के पत्र में हेमंत की सदस्यता रद करने की अनुशंसा को राज्यपाल ने कोई जानकारी दी या नहीं, उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने इतना ही कहा कि उक्त मामले में आयोग का पत्र मिला है। एमपी विजय हांसदा ने कहा कि राज्यपाल के आश्वासन से वे आश्वस्त हैं कि एक-दो दिनों में स्थिति स्पष्ट हो जायेगी। यदि ऐसा नहीं होता है तो महागठबंधन आगे की रणनीति तय करेगा
बाबूलाल के इंटरव्यू की शिकायत
यूपीए केडेलीगेशन ने गवर्नर को सौंपे अपने ज्ञापन में कहा है कि राजभवन को निर्वाचन आयोग से जो रिपोर्ट दी गई है, उसके बारे में अब तक कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं हुई है। लेकिन विपक्षी दल बीजेपी ने इस रिपोर्ट के बारे में सार्वजनिक घोषणा कर दी है। इसी आधार पर वह सीएम हेमंत सोरेन का इस्तीफा मांग रही है। इतना ही नहीं, राज्य में मध्यावधि चुनाव की संभावना भी जताने लगी है। बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी द्वारा एक चैनल पर दिए गए उस बयान पर आपत्ति जताई जिसमें उन्होंने कहा कि यूपीए को सरकार बनानी है तो एमएलए को वापस लौटना ही होगा। इससे बीजेपी की मंशा स्पष्ट होती है।
सदस्यता रद होने से नहीं पड़ेगा सरकार पर असर
गवर्नरको सौंपे गए ज्ञापन में राज्यपाल को संबोधित करते हुए यह भी कहा गया है कि आपको मालूम है कि सीएम की सदस्यता रद होने का सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन के पास पूर्ण बहुमत है। इसलिए बहुत भारी मन से हम आग्रह करते हैं कि निर्वाचन आयोग की सिफारिश पर राजभवन ने जो निर्णय लिया है, उसपर जल्द स्थिति स्पष्ट करें।
अखबारों के बंडल लेकर राजभवन पहुंचे थे डेलीगेशन
यूपीए का डेलीगेशन अखबारों का बंडल लेकर झारखंड राजभवन पहुंचा था। उसमें हाल के दिनों में हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद होने से संबंधित खबरें थीं। गवर्नर रमेश बैस को सौंपे गये ज्ञापन में डेलीगेशन के अलावा सत्ता पक्ष के एमएलए के हस्ताक्षर भी थे। यूपीए डेलीगेशन में राज्यसभा सदस्य धीरज साहू, महुआ माजी, लोकसभा सदस्य गीता कोड़ा, विजय हांसदा, एक्स एमएलए बंधु तिर्की, झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य, केंद्रीय प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय, आरजेडी के प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद भोक्ता आदि शामिल थे।