Uttar Pradesh: Azam Khan, वाइफ तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को सात-सात साल की सजा
फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में रामपुर (एमपी-एमएलए) कोर्ट ने बुधवार को आजम खान, उनकी वाइफ तंजीम फातिमा और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को सात-सात साल की सजा सुनाई है। तीनों को पुलिस कोर्ट से सीधे जेल भेज दिया गया है।
रामपुर। फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में रामपुर (एमपी-एमएलए) कोर्ट ने बुधवार को आजम खान, उनकी वाइफ तंजीम फातिमा और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को सात-सात साल की सजा सुनाई है। तीनों को पुलिस कोर्ट से सीधे जेल भेज दिया गया है।
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कोर्ट ने आजम खान, उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को दोषी ठहराते हुए तीनों को सात साल की सजा सुनाई है। । तीनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट की सुनवाई के बाद जब आजम और उनके परिवार को पुलिस अभिरक्षा में जेल ले जाया जा रहा था तो सपा नेता समर्थकों का हुजूम भी जेल के बाहर पहुंच गया।र आजम के समर्थन में नारे लगाये। आजम के समर्थकों ने पुलिस के वाहन को चारों तरफ से घेर लिया। पहले से मौजूद पुलिस की टीम ने कड़ी मशक्कत के बीच उन्हें वहां से निकाला और जेल लेकर निकल गये।
बीजेपी एमएलए आकाश सक्सेना ने आजम खां उनकी वाइफ और बेटा अब्दुल्ला के खिलाफ गंज कोतवाली पुलिस स्टेशन में तीन जनवरी 2019 को एफआइआर दर्ज कराई थी। आरोप था कि आजम खां ने बेटे के अलग-अलग जन्मतिथि से दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाये हैं। इसमें एक जन्म प्रमाण पत्र रामपुर नगर पालिका से बना है, जबकि दूसरा लखनऊ से बना है।
पुलिस ने जांच के बाद अप्रैल 2019 मेंआजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और पत्नी तजीन फात्मा को 420, 467, 468, 471 आईपीसी व 120 बी का आरोपी मानते हुए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। इस मुकदमे में सम्मन के बाद भी हाजिर न होने पर आजम खां, डा.तजीन फात्मा और अब्दुल्ला आजम खां के खिलाफ दिसंबर 2019 में कुर्की की प्रक्रिया शुरू हुई। अंतत: 26 फरवरी 2020 को आजम, अब्दुल्ला और तजीन नेकोर्ट मेंसरेंडर कर दिया था। तब तीनों को जेल भेज दिया गया था। लगभग 27 माह बाद आजम जेल से बाहर आये थे।
मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (मजिस्ट्रेट ट्रायल) में चल रही थी। दोनों ओर से गवाही पूरी होने के बाद कोर्ट ने इस मामले में 18 अक्टूबर फैसले के लिए नियत की थी। इससे बचने के लिए आजम खान सुप्रीम कोर्ट भी गये थे, जहां उन्होंने अपने एडवोकेट के माध्यम से मुकदमा ट्रांसफर अर्जी दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट में उनकी अर्जी खारिज कर दी थी।