- शिवपाल सिंह यादव के साथ आने से सपा को 2024 के चुनाव में भी मिल सकता है फायदा
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मैनपुरी लोकसभा सीट जीतने में जसवंतनगर विधानसभा की अहम भूमिका को समझते हुए गुरुवार को अपने रूठे चाचा शिवपाल को मनाने में अंतत: कामयाब हो ही गये। चाचा अब अपनी बहू डिंपल के लिए चुनाव प्रचार में कूदेंगे।
चाचा के साथ आने का फायदा सपा को मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव में ही नहीं बल्कि नगरीय निकाय चुनाव में भी दिखाई देगा। सैफई का यादव परिवार एक रहा तो सपा को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इसका लाभ मिल सकता है।
अखिलेश चाचा को मनाने गुरुवार को अपनी वाइफ डिंपल के साथ सैफई में उनके घर पहुंचे। पहले अखिलेश ने मुलाकात की फोटो शेयर करते हुए ट्वीट किया... नेता जी और घर के बड़ों के साथ-साथ मैनपुरी की जनता का भी आशीर्वाद साथ है।
जिस बाग को सींचा हो खुद नेता जी ने...
उस बाग को अब हम सीचेंगे अपने खून पसीने से... pic.twitter.com/tkqXdYgqby
— Shivpal Singh Yadav (@shivpalsinghyad) November 17, 2022
शिवपाल ने भी लगभग चार घंटे के बाद मुलाकात की दो फोटो शेयर करते हुए ट्वीट किया... जिस बाग को सींचा हो खुद नेता जी ने...उस बाग को अब हम सीचेंगे अपने खून पसीने से...। इससे साफ है कि शिवपाल ने अपना आशीर्वाद डिंपल को दे दिया है।
विधानसभा चुनाव में धोखा खाने के बाद इस बार शिवपाल सिंह यादव अपने बेटे आदित्य के साथ-साथ अपनी पार्टी के प्रमुख नेताओं का भी समाजवादी पार्टी में सम्मान चाहते हैं। इसलिए मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव में अखिलेश यादव की पहल का इंतजार कर रहे थे।
अखिलेश यादव गुरुवार को जब चाचा शिवपाल से मिलने आ/s तो बंद कमरे में अखिलेश, डिंपल, शिवपाल व आदित्य ही मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार शिवपाल सिंह ने अपनी पार्टी के नेताओं के सम्मान की बात कही। अखिलेश ने उन्हें भरोसा दिया कि सभी का सम्मान होगा। इसके बाद अखिलेश ने आदित्य को डिंपल के समर्थन में चुनाव प्रचार में लगने के लिए कहा।
विधानसभा चुनाव में सपा से झटका खा चुके शिवपाल सिंह यादव इस बार सावधानी से कदम रख रहे हैं। उस समय शिवपाल ने केवल एक सीट पर सपा से समझौता कर अपनी पार्टी की तिलांजलि दे दी थी। इससे उनकी पार्टी के कई प्रमुख नेता छोड़कर दूसरे दलों में चले गये थे। शिवपाल को बड़ा झटका उस समय लगा था जब सपा ने अपने एमएलए की बैठक में ही उन्हें नहीं बुलाया था। इसके बाद से शिवपाल ने अपनी राह अलग कर ली थी।
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद शिवपाल सिंह यादव जिस तरह से अखिलेश यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे उससे लग रहा था कि दोनों के बीच रिश्ते की कड़वाहट कुछ कम होगी। लेकिन पिछले दिनों गोरखपुर में चाचा ने भतीजे पर जिस तरह से हमला बोला था उससे साफ हो गया था कि दोनों के बीच रिश्ते अभी सामान्य नहीं हो पाए हैं। यही कारण है कि शिवपाल डिंपल के नॉमिनेशन में भी नहीं पहुंचे थे।सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव यह अच्छी तरह जानते हैं डिंपल यादव को मैनपुरी उपचुनाव में मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत दिलानी है तो वह चाचा शिवपाल सिंह यादव के बगैर संभव नहीं है। चाचा का आशीर्वाद न मिला तो बीजेपी आजमगढ़ व रामपुर लोकसभा उपचुनाव की तरह मैनपुरी में भी उसे हरा देगी।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जब बसपा व सपा ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था उस समय मुलायम सिंह यादव बीजेपी कैंडिडेट से 94,389 मतों से जीते थे। इसमें 66 परसेंट वोटों की हिस्सेदारी अकेले जसवंतनगर विधानसभा की थी। इसलिए अखिलेश ने रूठे चाचा को मनना उचित समझा।