Uttar Pradesh : प्रयागराज में पान दुकान पर जमती थी Atique Ahmed की महफिल, 20 मीटर दूरी पर हुआ ढेर
माफिया अतीक अहमद अपने छोटो भाई एक्स एमएलए खालिद अजीम उर्फ अशरफ के साथ काल्विन हॉस्पिटल के पास गोलियों से ढेर हुआ वहीं से 20 मीटर पर कभी उसका रुतबा जमता था। विधायकी कार्यकाल के दौरान प्रयागराज में एक पान की एक दुकान देर रात तक अतीक अहमद की महफिल जमती थी। यहां पर कोई बढ़िया वाला पान लेकर आता तो कोई उसके पानी पिलाने को आतुर रहता। समय चक्र कुछ ऐसा घूमा कि अतीक का अंत भी वहीं पर हुआ।
प्रयागराज। माफिया अतीक अहमद अपने छोटो भाई एक्स एमएलए छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ के साथ काल्विन हॉस्पिटल के पास गोलियों से ढेर हुआ वहीं से 20 मीटर पर कभी उसका रुतबा जमता था। विधायकी कार्यकाल के दौरान प्रयागराज में एक पान की एक दुकान देर रात तक अतीक अहमद की महफिल जमती थी। यहां पर कोई बढ़िया वाला पान लेकर आता तो कोई उसके पानी पिलाने को आतुर रहता। समय चक्र कुछ ऐसा घूमा कि अतीक का अंत भी वहीं पर हुआ।
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चकिया के रहने वाले अतीक अहमद की तूती बोलती थी। आसपास के सभी मुस्लिम बाहुल्य इलाकों के कुछ चुनिंदा स्थानों पर अतीक की बैठक भी होती थी। इसमें काल्विन हॉस्पिटल के समीप एक पान की दुकान भी थी। शनिवार रात डबल मर्डर का घटनास्थल इस दुकान से मुश्किल से 20 मीटर है।
अतीक अहमद ने अपने गुरु चांद बाबा की मर्डर के बाद से चर्चा में आया
माफिया अतीक अहमद चार दशक से अधिक समय तक सुर्खियों में रहा। काल्विन हॉस्पिटल के पास शनिवार रात जहां अतीक और उसके भाई अशरफ की मर्डर कर दी गयी। यहीं कुछ दूर पर ही अतीक वर्ष 1989 में उसने अपने गुरु चांद बाबा की मर्डर की थी। इसके बाद अतीक ने मुड़कर पीछे नहीं देखा। गुरु चांद बाबा की मर्डर ने उसे अतीक से ‘भाई’ बना दिया।
17 वर्ष की उम्र में ही अतीक पर लगा मर्डर का आरोप
चकिया निवासी अतीक अहमद शुरू से ही निडर था। घर की माली हालत अच्छी नहीं थी। उसने गलत तरीके से कम समय में अमीर बनने का रास्ता अख्तिहार किया। अतीक रोशनबाग एरिया के रहने वाले बदमाश चांद बाबा के संपर्क में आया। कम समय में वह चांद बाबा का चेहता बन गया। 17 वर्ष की उम्र में ही अतीक पर एक मर्डर का आरोप लगा। हालांकि, उस समय वह नाबालिग था, इसलिए कम समय में ही जेल से छूट गया। इसके बाद तो चांद बाबा की नजरों में उसका कद काफी बढ़ गया। वह चांद बाबा का दाहिना हाथ बन गया था। अतीक भी चांद बाबा को अपना गुरु मानने लगा था।
पॉलिटिक्स में 1989 में रखा था कदम
इसी दौरान अतीक के कई लोग खास बन गये, जो उसे राजनीति में आने की बात कहने लगे। काफी सोच विचार के बाद अतीक ने 1989 में शहर पश्चिमी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पहली बार निर्दलीय कैंडिडेट के रूप में नॉमिनेशन दाखिल कर दिया। चांद बाबा ने भी पर्चा भरा। चांद ने अतीक से अपना नामांकन वापस लेने को कहा। लेकिन अतीक ने मना कर दिया। यहीं से दोनों के बीच खटपट शुरू हुई। पूरे चुनाव के दौरान दोनों गुट कई बार आमने-सामने आये। दोनों के बीच गैंगवार भी हुआ, लेकिन किसी के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ।
अतीक ने अपने गुरु चांद बाबा को ही रास्ते से हटा दिया
वोटिंग हुआ तो अतीक के पक्ष में लोग एकजुट नजर आये। इससे वह समझ गया था कि उसने बाजी मार ली है, लेकिन वहीं चांद बाबा को भी रास्ते से हटाना जरूरी था। अतीक जानता था कि चांद बाबा के रास्ते वह सुरक्षित नहीं है। काउंटिंग के दिन दोपहर में चांद बाबा रोशनबाग ढाल के पास चाय की दुकान में अपने समर्थकों के साथ बैठा था, उसी समय वहां पहुंचे कई लोगों ने गोली और बम मारकर उसकी मर्डर कर दी थी। इस मर्डर केस में अतीक नेम्ड एक्युज्ड बना था। शहर के बड़े बदमाश चांद बाबा की मर्डर के बाद अतीक का नाम पूरे प्रदेश में हो गया। लगभग दो घंटे बाद काउंटिंग समाप्त हुई और अतीक एमएलए बन गया था। जीत से गदगद उसके समर्थकों ने उसे नया नाम ‘भाई’ भी दे दिया।
क्राइम वर्ल्ड में जहां से कदम रखा था, वहीं हुआ अंत
काल्विन हॉस्पिटल के पास शनिवार रात अतीक और उसके भाई अशरफ की मर्डर हुई तो लोगों की जुबां पर यह बात आ ही गई कि जहां से अतीक ने क्राइम वर्ल्ड में कदम रखा था, आज वहीं उसका अंत हो गया। काल्विन हॉस्पिटल से रोशनबाग ढाल मात्र तीन सौ मीटर की दूरी पर है। यही वह एरिया था, जहां अतीक और चांद बाबा के बीच शुरू से ही टकराव होता था।
अतीक ने 17 साल की उम्र से शुरु किया मर्डर, 61 वें साल में हो गया खूनी अंत
अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 को हुआ था। पढ़ाई-लिखाई से उसका खास मतलब नहीं था। पिता फिरोज अहमद तांगा चलाकर गुजर-बसर करते थे। घर की माली स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। अतीक हाई स्कूल में फेल हुआ तो पढ़ाई छोड़ दिया। 17 साल की उम्र से खूनी खेल खेलने वालेअ तीक अहमद का 61वें साल में खूनी अंत हो गया। लोगों को सरेआम मारनेवाले को पुलिस कस्टडी में तीन युवकों ने मर्डर कर दी। उसके साथ ही उसके भाई अशरफ को भी मार गिराया।
अतीक के खिलाफ दर्ज हैं 102 मामले
वर्ष 1979 में अतीक ने 17 साल की उम्र में एक मर्डर कर क्राइम वर्ल्ड में एंट्री मारी। साल दर साल उसके जुर्मकी किताब के पन्ने भरते गये। उसके खिलाफ मुकदमों का सेंचुरी लग गया। 21-22 की उम्र आते-आते अतीक इलाहाबाद में चकिया का बड़ा गुंडा बन गया। रंगदारी का उसका धंधा चल निकला। कई माफियाओं की तरह ही अतीक अहमद ने भी जुर्म की दुनिया से सियासत की दुनिया का रुख किया था। पूर्वांचल और इलाहाबाद में सरकारी ठेकेदारी, खनन और उगाही के कई मामलों में उसका नाम आया। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। प्रयागराज पुलिस ने 1992 में पहली बार अतीक अहमद का कच्चा चिट्ठा जारी किया था। बताया गया था कि अतीक अहमद के खिलाफ उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कौशाम्बी, चित्रकूट, इलाहाबाद ही नहीं बल्कि बिहार में भी हत्या, अपहरण, जबरन वसूली आदि के मामलेदर्ज हैं। अतीक के खिलाफ सबसे ज्यादा मामले प्रयागराज जिले में ही दर्जहुए। वर्तमान में अतीक के खिलाफ 102 मुकदमे हो गये थे। आर्म्स एक्ट का 103वां मुकदमा दर्ज होना था।
मायावती सरकार में दर्ज हुए कई मामले
मायावती के सत्ता में आनेके बाद अतीक अहमद की उलटी गिनती शुरू हो गई थी। पुलिस और विकास प्राधिकरण के अधिकारियों नेअतीक अहमद की एक खास परियोजना अलीना सिटी को अवैध घोषित करतेहुए उसका निर्माण ध्वस्त कर दिया था। ऑपरेशन अतीक के तहत ही पांच जुलाई, 2007 को राजू पाल मर्डर केस के गवाह उमेश पाल ने अतीक के खिलाफ घूमनगंज पलिस स्टेशन में किडनैपिंग व जबरन बयान दिलाने का मामला दर्ज कराया था। इसके बाद चार अन्य गवाहों की ओर सेभी उनके खिलाफ मामले दर्ज कराये गये थे। दो माह के भीतर ही अतीक अहमद के खिलाफ प्रयागराज में नौ, कौशाम्बी और चित्रकूट में एक-एक मामला दर्ज किया गया था।
नैनी जेल में दबंगई बाद हुआ था अतीक का ट्रांसफर
2008 में एमपी अतीक अहमद की नैनी जेल मेंभी दबंगई थी। जेल के अंदर अतीक का ही राज चलता था। जेल में पंचायत होती थी, जिसकी सदारत अतीक करता था। जरायम की दुनिया सेन लेकर राजनीति से जुड़े मामलों में जेल से ही समझौता कराया जाता था। जैमर लगनेके बाद भी माफिया मोबाइल से बात करता था। विरोध करने पर जेलकर्मियों की पिटाई का मामला भी सामने आया था। इसी के बाद उनका नैनी जेल से देवरिया जेल ट्रांसफर किया गया। सपा शासन में अतीक की गुंडई चरम पर थी। 2016 में शुआट्स में जाकर अतीक ने अपने साथियों के साथ मारपीट और तोड़फोड़ की थी। मामला हाईकोर्ट में पहुंचा तो अतीक पर सख्ती का दबाव बना। दिसंबर 2016 में अतीक की नैनी पुलिस स्टेशन में नाटकीय तरीके से गिरफ्तारी हुई। नैनी जेल में अतीक की गुंडई शुरू हो गई। इसके बाद उसे देवरिया जेल भेज दिया गया।
योगी राज में शुरू हुआ मुकदमों का दौर
राजू पाल मर्डर केस के गवाह उमेश पाल को 2016 में कचहरी में मारा पीटा गया था। अतीक के जेल जानेके बाद उमेश पाल ने 2017 में कर्नलगंज पुलिस स्टेशन में अतीक समेत 49 लोगों के खिलाफ केस दर्जकराया। आरोप था कि कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचे उमेश पाल को अतीक के इशारे पर उनके समर्थकों ने पिस्टल सटाकर जान से मारनेकी धमकी दी। सरेआम उन्हें मारा पीटा। 2017 के विधानसभा चुनाव सेएक महीने पहले फरवरी में अतीक को अरेस्ट कर लिया गया।सभी मामले में उसकी बेल कैंसिंल हो गयी। तब से अतीक जेल में ही था।
प्रॉपर्टी डीलर को किडनैप करनेकी कोशिश
धूमनगंज के एक प्रॉपर्टी डीलर मकबूल अहमद ने अतीक और उनके समर्थकों के खिलाफ कर्नलगंज पुलिस स्टेशन में मई 2017 में अगवा और धमकी देनेका केस दर्ज कराया। आरोप था कि एक साल पहले उसे कचहरी के बाहर अगवा करने की कोशिश की गई थी। अतीक ने उस समय फोन करके उसे धमकी दी थी। कुछ साल पहले धूमनगंज में प्रॉपर्टी के विवाद में सूरजकली और उसके बेटे को
गोली मार दी गई थी। इस केस में अतीक नामजद था, लेकिन पुलिस ने जांच में अतीक को बरी कर दिया था। सत्ता परिवर्तन के बाद इस केस की विवेचना फिर से शुरू हुई। एक्स एमपी अतीक और अशरफ का नाम भी प्रकाश में आया, लेकिन धूमनगंज पुलिस ने अतीक के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।
प्रॉपर्टी डीलर को पीटकर अधमरा किया
झलवा निवासी प्रॉपर्टी डीलर व सीमेंट कारोबारी अरशद की दुकान में घुसकर अगस्त 2016 में एक्स एमएलए अशरफ और उसके साथियों ने मारा पीटा था। उसके दोनों हाथ-पैर तोड़ दिया। सत्ता परिवर्तन के बाद इस केस की जांच फिर शुरू हो गई है। इस केस में भी अतीक और अशरफ को तत्कालीन धूमनगंज इंस्पेक्टर ने आरोपी बनाया था। गिरफ्तारी के डर से अतीक फरार था। उनके घर, कार्यालय सहित पांच स्थानों की सम्पत्ति न्यायालय के आदेश पर कुर्क की जा चुकी थी। पांच मामलों में उनकी सम्पत्ति कुर्क करने का आदेश दिये गये थे। अतीक अहमद की गिरफ्तारी पर पुलिस ने बीस हजार रुपये का इनाम रखा था। इनामी एमपी की गिरफ्तारी के लिए पूरेदेश मेंअलर्ट जारी किया गया था। वांरट और इनाम जारी होने के छह माह बाद दिल्ली पुलिस ने पीतमपुरा के अपार्टमेंट से उनकी गिरफ्तारी दिखाई थी। उस समय अतीक नेकहा था कि उन्हें यूपी की सीएम मायावती से जान का खतरा है।
देवरिया जेल कांड के बाद अहमदाबाद ट्रांसफर
देवरिया जेल में बंद एक्स एमपी अतीक अहमद ने लखनऊ के प्रॉपर्टी डीलर मोहित जायसवाल को अगवा कर रंगदारी मांगी थी। धूमनगंज के प्रॉपर्टी डीलरों को बुलाकर उनकी भी धुनाई की थी। लाखों वसूलने के बाद करोड़ों की रंगदारी मांगी। धमकी दी थी कि रुपयेनहीं मिले तो जिंदा नहीं बचोगे। जेल में पिटाई का वीडियो भी बनाया गया। धूमनगंज थाने में अतीक एंड कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई।अतीक के करीबी आबिद प्रधान की चेचरी बहन और ड्राइवर को मरियाडीह में 2015 में गोलियों से भून दिया गया था। आबिद ने कम्मू और जाबिर समेत सात के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इस केस की अग्रिम विवेचना शुरू हो गई है। पुलिस ने अतीक समेत 15 का नाम प्रकाश में लाया, लेकिन बाद मेंधूमनगंज पुलिस ने अतीक को छोड़ अन्य सभी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया।
करोड़ों की प्रॉपर्टी हड़पने की साजिश
अंजना टंडन ने 2018 में खुल्दाबाद पुलिस स्टेशन में अजय हेला समेत चार के खिलाफ नामजद और आधा दर्जन अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कराया। पीड़िता का आरोप हैकि अतीक सेजुड़े लोगों नेही उनकी संपत्ति पर कब्जा करनेकी कोशिश की। करोड़ों की संपत्ति के विवाद में पुलिस की जांच गोलमोल रही। हरवारा निवासी अशरफ ने अतीक और उनके गुर्गे तोता समेत दस के खिलाफ धूमनगंज थाने में 2018 में दो मुकदमे दर्ज कराये थे। आरोप था कि अतीक के इशारेपर तोता और उसके साथियों ने उसे धमकी दी और लाखों रुपये रंगदारी मांगी। रुपये न देनेपर हत्या की धमकी दी। पुलिस इस प्रकरण में कुछ आरोपियों को जेल भेज दी थी लेकिन अतीक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
उमेश पाल किडनैपिंग केस में सजा के बाद अंत
अहमदाबाद जेल मेंबंद अतीक को उमेश पाल किडनैपिंग केस में सजा होनी वाली थी। इससे पूर्व 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या कर दी गई। इसी केस में अतीक और उसका पूरा परिवार आरोपित किया गया। 28 मार्च को अतीक को उमेश पाल अपहरण कांड में सजा हुई। 13 अप्रैल को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की काल्विन अस्पताल के अंदर मर्डर कर दी गई।
पुलिस कस्टडी में गोली मारकर कर दी गयी माफिया अतीक अहमद और अशरफ की मर्डर
उमेश पाल मर्डर केस में पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिये गये माफिया अतीक अहमद और उसके छोटे भाई एक्स एमएलए खालिद अजीम उर्फ अशरफ की 15 अप्रैल को रात लगभग साढ़े 10 बजे पुलिस कस्टडी में गोली मार कर मर्डर कर दी गयी थी। दोनों मेडिकल टेस्ट के लिए कॉल्विन हॉस्पिटल लाया गया था। पुलिस कस्टडी में माफिया ब्रदर्स कॉल्विन हॉस्पिटल के बाहर पत्रकारों से बात कर रहे थे। एक पत्रकार ने पूछा- आज जनाजे में आप लोग नहीं गये। उस बारे में कुछ कहना है? इस पर अतीक बोला- नहीं ले गए तो नहीं गये। इसी समय अशरफ ने बोलना शुरू किया- 'मेन बात ये है कि गुड्डु मुस्लिम...' इसी बीच एक युवक पीछे से आता है और तुर्किये मेड जिगाना पिस्टल से अतीक की कनपटी पर फायर कर देता है। अगले एक सेकेंड से भी कम समय में दो और फायर होते हैं, जो अशरफ की पसलियों में धंस जाते हैं। मौके पर ही अतीक व अशरफ की मौत हो गयी। अफरा-तफरी के बीच सभी मीडियाकर्मी और पुलिसकर्मी पीछे हट जाते हैं। इसके बाद तीन हमलावर अगले 16 सेकेंड में 18 राउंड फायर करते हैं। फिर हाथ उठाकर धार्मिक नारे लगाते हुए तीनों हमलावरों लवलेश तिवारी (बांदा), मोहित उर्फ सनी (हमीरपुर) और अरुण मौर्य (कासगंज) सरेंडर कर दिये। पुलिस आरोपियों के पास से घटना में प्रयुक्त तुर्किये मेड जिगाना पिस्टल को बरामद ली।