उत्तर प्रदेश: अब वाराणसी और कानपुर में भी पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू, कैबिनेट ने दी मंजूरी
यूपी में अब वाराणसी और कानपुर में भी पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होगा। सीएम योगी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रोपोजल को हरी झंडी दे दी गई। राजधानी लखनऊ और नोएडा में पहले से ही पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू है।
लखनऊ। यूपी में अब वाराणसी और कानपुर में भी पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होगा। सीएम योगी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रोपोजल को हरी झंडी दे दी गई। राजधानी लखनऊ और नोएडा में पहले से ही पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू है।
यूपी के बड़े शहरों में क्राइम व क्रिमिनलों पर अधिक कंट्रोल करने के लिए वाराणसी और कानपुर में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम का प्रोपोजल बनाकर शासन को भेजा गया था। जिसे योगी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने के बाद से यूपी के बड़े शहरों में भी लागू करने की मांग हो रही थी। कमिश्नरेट सिस्टम से आम लोगों को फायदा होता है। अभी किसी भी जिले में छह से सात आईपीएस होते हैं। नया सिस्टम लागू होने पर एक जिले में 15 से 20 आईपीएस तैनात होंगे।
यूपी में लॉ एंड ऑर्डर ही सीएम योगी आदित्यनाथ की टॉप प्राथमिकता में है। लखनऊ के साथ ही नोएडा में प्रयोग के तौर पर पुलिस कमिश्नर की तैनाती के बाद एक वर्ष से भी अधिक समय से लागू इस सिस्टम से क्राइम कंट्रोल में काफी हद तक सफलता भी मिली है। इसी के बाद से गवर्नमेंट पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को अन्य महानगरों में भी लागू करने की तैयारी में लगी थी। यहां पर भी एडीजी या उनके लेवल के अफसर पुलिस कमिश्नर के पद पर तैनात होंगे।
फैसला लेने को पुलिस स्वतंत्र होगी
वर्तममान प्रणाली में पुलिस अफसर आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या मंडल कमिश्नर या फिर शासन के आदेश अनुसार ही कार्य करते हैं। पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने पर जिला अधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के ये अधिकार पुलिस अफसरों को मिल जाते हैं। पुलिस अफसर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं।
पुलिस कमिश्नर ले सकेंगे निर्णय
पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने पर पुलिस के अधिकार बढ़ जायेंगे। लॉ एंड ऑर्डर से जुड़े सभी मामलों पर पुलिस कमिश्नर निर्णय ले सकेंगे। जिले में डीएम के पास फाइलों को अनुमति लेने का झंझट भी खत्म हो जायेगा। कमिश्नर सिस्टम लागू होते ही एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मैजिस्टेरियल पावर पुलिस को मिल जायेगी। इससे पुलिस शांति भंग की आशंका में निरुद्ध करने से लेकर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका तक लगा सकेगी। इन चीजों को करने के लिए डीएम से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। एसपी व एसएसपी वाली व्यवस्था में ये सब लगाने के लिए डीएम की सहमति जरूरी होती है।
क्या हैं इस प्रणाली के फायदे
पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होते ही पुलिस के अधिकार बढ़ जाएंगे। किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को डीएम आदि अफसरों के फैसले के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पुलिस खुद किसी भी स्थिति में फैसला लेने के लिए ज्यादा ताकतवर हो जायेगी। लॉ एंड ऑर्डर से जुड़े सभी फैसलों को लेने का अधिकार कमिश्नर के पास होगा। होटल के लाइसेंस, बार के लाइसेंस, आर्म्स के लाइसेंस देने का अधिकार भी इसमें शामिल होगा। धरना प्रदर्शन की अनुमति देना ना देना, दंगे के दौरान लाठी चार्ज होगा या नहीं, कितना बल प्रयोग हो यह भी पुलिस ही तय करती है। जमीन की पैमाइश से लेकर जमीन संबंधी विवादों के निस्तारण का अधिकार भी पुलिस को मिल जायेगा।
डीएम के कई अधिकार पुलिस अफसरों को मिलेंगे
भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गत जिलाधिकारी यानी डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार भी होते हैं। इस पद पर आईएएस अधिकारी बैठते हैं। लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू हो जाने के बाद ये अधिकार पुलिस अफसर को मिल जाते हैं, जो एक IPS होता है। जिले की बागडोर संभालने वाले डीएम के बहुत से अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास चले जाते हैं।
पुलिस कमिश्नर को ज्यूडिशियल पावर
पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम में पुलिस कमिश्नर सर्वोच्च पद होता है। देश में ज्यादातर यह प्रणाली महानगरों में लागू की गई है। पुलिस कमिश्नर को ज्यूडिशियल पॉवर भी होती हैं। सीआरपीसी के तहत कई अधिकार इस पद को मजबूत बनाते हैं। इस प्रणाली में प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए पुलिस ही मजिस्ट्रेट पॉवर का इस्तेमाल करती है।
बड़े महानगरों के लिए उपयोगी है पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम हरियाणा में तीन महानगरों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू है। इन शहरों में एनसीआर गुरुग्राम, फरीदाबाद और चंडीगढ़ से लगा पंचकुला शहर शामिल है। नोएडा, गाजियाबाद जैसे शहरों में कमिश्नरी सिस्टम लागू करने के बाद अब वाराणसी और कानपुर के लिए भी वही तर्क दिया गया कि यहां के शहरों की आबादी तेजी से बढ़ रही है। कानून व्यवस्था बेहतर बनाए रखने और लोगों को सुरक्षा देने के लिए इसे लागू किया जाना जरूरी है।
ऐसे होगा काम
पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने से पुलिस को बड़ी राहत मिलती है। कमिश्नर का हेडक्वार्टर बनाया जाता है। एडीजी लेवल सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है। महानगर को कई जोन में विभाजित किया जाता है। हर जोन में डीसीपी की तैनाती होती है। जो एसएसपी की तरह उस जोन में काम करता है। वो उस पूरे जोन के लिए जिम्मेदार होता है। सीओ की तरह एसीपी तैनात होते हैं ये दो से पुलिस स्टेशन को देखते हैं।
पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने पर पुलिस के पद
पुलिस आयुक्त या कमिश्नर - सीपी
संयुक्त आयुक्त या ज्वॉइंट कमिश्नर –जेसीपी
डिप्टी कमिश्नर – डीसीपी
सहायक आयुक्त- एसीपी
पुलिस इंस्पेक्टर – पीआई
सब-इंस्पेक्टर – एसआई