उत्तर प्रदेश: CM योगी आदित्यनाथ का फरजी OSD बनकर अफसरों से दो करोड़ की वसूली दो करोड़, चार अरेस्ट
सीएम योगी आदित्यनाथ का ओएसडी बनकर स्टेट के कई अफसरों को फोन कर धमकाने और दो करोड़ की वसूली की गयी है। एसटीएफ ने वसूली करने वाले सेकरेटेरियट के सस्पेंड समीक्षा अफसर अतुल शर्मा उर्फ मनोज सिंह समेत चार लोगों को अरेस्ट किया है।
लखनऊ। सीएम योगी आदित्यनाथ का ओएसडी बनकर स्टेट के कई अफसरों को फोन कर धमकाने और दो करोड़ की वसूली की गयी है। एसटीएफ ने वसूली करने वाले सेकरेटेरियट के सस्पेंड समीक्षा अफसर अतुल शर्मा उर्फ मनोज सिंह समेत चार लोगों को अरेस्ट किया है।
एसटीफ एडीजी अमिताभ यश के अनुसार पकड़े गये आरोपियों में खुर्रमनगर निवासी अतुल शर्मा, मैनपुरी निवासी प्रमोद दुबे उर्फ दयाशंकर सिंह उर्फ संतोष कुमार, राजाजीपुरम निवासी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव और बाजारखाला निवासी राधेश्याम कश्यप शामिल हैं। आरोप है कि उक्त लोग अलग-अलग नाम से अफसरों को उनके खिलाफ फर्जी जांच का आदेश होने की बात कहकर वसूली करते थे।एसटीएफ का दावा है कि इस गैंग ने अब तक दो करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की है।
आरोपी अतुल शर्मा इस तरह की ठगी करने के आरोप में वर्ष 2007 और 2010 में भी जेल जा चुका है। तभी से वह सस्पेंड चल रहा है। उसके डिसमिसल की की कार्यवाही भी चल रही है। स्टेट के तीन-चार अफसरों ने जब इस बारे में शासन में बताया था। इसके बाद अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश को जांच सौपी। एसटीएफ की टीम ने शुक्रवार को इन चारों को सचिवालय के पास से दबोच लिया।
जिन अफसरों को फोन कर वसूली मांगी
गैंग ने बरेली के फरीदपुर स्थित डायट के प्रिंसिपल मुन्ने अली से एक लाख रुपये की मांग की थी। एटा के जेलर कुलदीप सिंह भदौरिया को सीएम का ओएसडी बनकर फोन किया और जांच के नाम पर डराया। इस मामले में एटा में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई।
जेल से छूटने के बाद फिर ठगी
एसटीएफ इंस्पेक्टर ज्ञानेन्द्र राय ने बताया कि अतुल शर्मा सचिवालय के न्याय विभाग में सहायक समीक्षा अधिकारी था। वर्ष 2007 और वर्ष 2010 में सरकारी अधिकारियों को जांच के नाम पर वसूली करने के आरोप में पकड़ा गया था। उसे सस्पेंड कर जेल भेज दिया गया था।जेल से छूटने के बाद वह फिर से ठगी करने लगा। धमकाने के दौरान जो अफसर या स्टाफ झांसे में आ जाता था। फिर उसे ये लोग सचिवालय के पास बुलाते थे। अतुल वहां नहीं रहता था और वह अपने दो साथियों प्रदीप व राधेश्याम को उनके पास रुपये लेने के लिये भेजता था। ये लोग फर्जी जांच का आदेश भी अपने पास रखते थे। वर्ष 2007 में जेल जाने के बाद जब ये छूटे तो वर्ष 2010 में चित्रकूट के तत्कालीन डिप्टी एसपी अखिलेश्वर पाण्डेय को इसी तरह धमकाकर रुपयों की मांग की थी।
एडीजी अमिताभ यश ने बताया कि आरोपी ने अब तक कई अफसरों को धमका कर दो करोड़ रुपये की ठगी करने की बात कही है। इस बारे में सच्चाई का पता लगाया जा रहा है। आरोपियों के पास से 14 मोबाइल, 22 सिमकार्ड, कई आधार व वोटर कार्ड, पैन कार्ड, एटीएम कार्ड, परिवारीजनों के खातों में जमा 15 लाख रुपये की पर्चियां, सहायक समीक्षा अधिकारी का परिचय पत्र, कई सरकारी विभागों के अफसरों के नाम व पद की सूची। एक रजिस्टर जिसमें सरकारी अफसरों के नाम, पदनाम, मोबाइल नम्बर व फर्जी जांच का ब्योरा लिखा था, एक कार, बाइक व 15 हजार रुपये बरामद किये गये हैं।