उत्तर प्रदेश: अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य 2023 तक, संपूर्ण कैंपस का विकास 2025 तक हो जायेगा पूरा
श्रद्धालु 2023 समाप्त होने के पहले ही अयोध्या के भव्य मंदिर में रामलला का दर्शन कर सकेंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर निर्माण की समयबद्ध कार्य योजना बनाई है।
- वर्ष 2023 की समाप्ति से पहले होंगे दर्शन
- श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस लक्ष्य को पाने के लिए निर्माण की समयबद्ध कार्य योजना बनाई
लखनऊ। श्रद्धालु 2023 समाप्त होने के पहले ही अयोध्या के भव्य मंदिर में रामलला का दर्शन कर सकेंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर निर्माण की समयबद्ध कार्य योजना बनाई है।
अयोध्या के सर्किट हाउस में ट्रस्ट की हुई बैठक में उक्त योजना का ब्लूप्रिंट रामनगरी तैयार किया गया। फिक्स प्लान के अनुसार मंदिर का निर्माण कार्य 2023 तक और संपूर्ण परिसर का विकास 2025 तक पूरा कर लिया जायेगा।अयोध्या में चली दो दिवसीय बैठक के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने यह जानकारी मीडिया को दी। उन्होंने बताया कि राम मंदिर सहित संपूर्ण 70 एकड़ परिसर इको फ्रेंडली होगा। कैंपस का अपशिष्ट पानी शेष रामनगरी के लिए समस्या न बने, इसके लिए सीवर ट्रीटमेंट और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जायेंगे। कैंपस में अधिकाधिक वृक्षों को भी संरक्षित किया जायेगा, ताकि आक्सीजन लेवल और टेंपरेचर ठीक-ठाक रहे। इस दौरान निर्माण में प्रयुक्त होने वाले पत्थर और अन्य सामग्री का भी आकलन किया गया।
चंपत राय ने बताया कि परकोटा के निर्माण में जोधपुर के चार लाख घनफीट, प्लिंथ के निर्माण में ग्रेनाइट एवं मिर्जापुर के चार लाख घन फीट तथा मंदिर निर्माण में बंसी पहाड़पुर के तीन लाख 60 हजार घन फीट पत्थर प्रयुक्त होंगे। पानी के आक्रमण से मंदिर के बचाव के लिए उत्तर, दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में रिटेनिंग वाल बनाई जायेगी। रिटेनिंग वाल की गहराई 12 मीटर होगी।बुजुर्ग एवं दिव्यांग श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दो लिफ्ट लगाई जायेंगी। निर्माण की प्रक्रिया में सीमेंट के कम से कम उपयोग पर भी बैठक में चर्चा की गई। सीमेंट की जगह फ्लाई एश के उपयोग की योजना तय की गई। ईंट के कम से कम प्रयोग की योजना पर भी विचार किया गया। ईंट की जगह पत्थर के अधिकाधिक उपयोग को सहमति दी गई।
मकराना के संगमरमर से बनेगा चौखट
राम मंदिर के दरवाजों की चौखट मकराना के सफेद संगमरमर से बनेगी। हालांकि खिड़कियों की चौखट के लिए बंसी पहाड़पुर के लाल बलुआ पत्थर को ही उपयोगी माना गया।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में महासचिव चंपतराय, सदस्य डॉ. अनिल मिश्र, मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र, ट्रस्ट के सदस्य व अयोध्या राज परिवार के मुखिया बिमलेंद्र मोहन मिश्र, मंदिर के आर्कीटेक्ट आशीष सोमपुरा सहित निर्माण की कार्यदायी संस्था एलएंडटी तथा टाटा कंसल्टेंसी इंजीनियर्स के प्रतिनिधि उपस्थित थे।