भाले और बंदूक लेकर आये थे 50 चीनी सैनिक, झूठ बेनकाब हुआ, इंडियन आर्मी के रोकने पर की थी फायरिंग
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने सोमवार को एक बार फिर पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने की कोशिश की। लेकिन इंडियन आर्मी की मुस्तैदी से उन्हें उनका मंसूबा विफल हो गया। गवर्नमेंट सोर्सेज ने सोमवार शाम को हुए घटनाक्रम का ब्योरा देते हुए कहा कि आर्म्स से लैस चीनी आर्मी ने भारतीय चौकियों के करीब आने की कोशिश की। रोकने पर फायरिंग की।
नई दिल्ली।चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने सोमवार को एक बार फिर पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने की कोशिश की। लेकिन इंडियन आर्मी की मुस्तैदी से उन्हें उनका मंसूबा विफल हो गया। गवर्नमेंट सोर्सेज ने सोमवार शाम को हुए घटनाक्रम का ब्योरा देते हुए कहा कि आर्म्स से लैस चीनी आर्मी ने भारतीय चौकियों के करीब आने की कोशिश की। रोकने पर फायरिंग की। दूसरी ओर चीन ने उल्टे इंडियन आर्मी पर घुसपैठ और गोलीबारी का आरोप मढ़ा था। लेकिन एलएसी की जो फोटो सामने आई हैं, उनमें दिख रहा है कि किस तरह चीनी सैनिक बंदूकों के अलावा भाले और रॉड जैसे आर्म्स के साथ आये थे।
गवर्नमेंट सोर्सेज के अनुसार लगभग 50 चीनी सैनिक सोमवार को शाम करीब छह बजे मुखपारी चोटी के पास स्थित इंडियन चौकी की ओर आक्रामक तरीके से बढ़ रहे थे। चीनी आर्मी का प्रयास भारतीय सैनिकों को लद्दाख में मुखपारी चोटी और रेकिन ला क्षेत्रों में स्थित सामरिक चोटियों से हटाना था। पूर्वी लद्दाख में भारतीय चौकी की ओर आक्रामक तरीके से बढ़ रहे चीनी सैनिकों ने छड़, भाले और धारदार हथियार ले रखे थे।जब भारतीय सेना ने सोमवार शाम में चीन की पीएलए को रोका तो उन्होंने हमारे सैनिकों को भयभीत करने के लिए हवा में 10-15 बार गोलियां चलाईं। लेकिन वहां तैनात भारतीय सेना के जवानों ने दृढ़ता से उनका सामना किया, जिससे उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा। पैंगोंग झील क्षेत्र के दक्षिणी तट के आसपास में स्थित सामरिक चोटियों पर भारत की स्थिति मजबूत है।
इससे पहले इंडियन आर्मी ने पीएलए द्वारा उसपर एलएसी पार करने के लगाए गए आरोपों को मंगलवार को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि चीनी सैनिकों ने सोमवार को हवा में गोलियां चलाईं। पूर्वी लद्दाख में भारतीय ठिकाने के करीब आने की कोशिश की। पीएलए ने सोमवार देर रात को आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने एलएसी पार की और पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास चेतावनी देने के लिए गोलियां चलाईं।इंडियन आर्मी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि किसी भी वक्त भारतीय सैनिकों ने एलएसी पार नहीं की या गोलीबारी समेत किसी आक्रामक तरीके का इस्तेमाल नहीं किया। किसी भी मौके पर भारतीय सेना ने एलएसी पार नहीं की या गोलीबारी समेत किसी आक्रामक साधन का इस्तेमाल नहीं किया। यह पीएलए है जो समझौतों का खुलेआम उल्लंघन कर रही है और आक्रामक युक्तियां अपना रही है जबकि सैन्य, कूटनीतिक और राजनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है।'
आर्मी ने कहा है कि सात सितंबर के ताजा मामले में, पीएलए के सैनिकों ने एलएसी के पास हमारे एक अग्रिम ठिकाने तक आने की कोशिश की। जब हमारे सैनिकों ने उन्हें रोका तो उन्होंने भारतीय सैनिकों को डराने के प्रयास में हवा में कुछ राउंड गोलियां चलाईं।गंभीर उकसावे के बावजूद, भारतीय सैनिकों ने अत्यंत संयम बरता और परिपक्व एवं जिम्मेदार तरीके से व्यवहार किया।कहा गया है कि भारतीय सेना शांति एवं सौहार्द बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन वह हर हाल में राष्ट्रीय संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा के लिए भी दृढ़ संकल्प है। भारत एलएसी से पीछे हटने और तनावपूर्ण स्थिति को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन चीन स्थिति को तनावपूर्ण बनाने के लिए उकसावे वाली हरकतें कर रहा है।
चीन के नापाक इरादों की पोल खोल रहीं हैं फोटो
सोमवार को जारी की गई फोटो में दिख रहा है कि सोमवार को लगभग 50 चीनी आर्मी आर्म्स से लैस होकर रेजांग ला के पास उन चोटियों पर आने की कोशिश कर थे, जिन पर भारतीय सैनिक तैनात हैं। फोटो में दिखाई दे रहा है कि चीनी सैनिकों के पास धारदार हथियार है। वे इंडियन आर्मी से महज 200 मीटर की दूरी पर हैं। चीनी आर्मी ने 14-15 जून को गलवान घाटी में जिस तरह भारतीय सैनिकों पर धारदार हथियारों और कील लगे डंडों से हमला किया था, वैसे ही कहानी दोहराने के लिए वे तैयारी के साथ आये थे। चीनी सैनिक भारतीय चोटियों पर कब्जे की फिराक में थे। ये चोटियां रणनीतिक स्तर पर काफी अहम मानी जाती हैं। चीनी सैनिकों ने 10-15 राउंड फायरिंग भी की थी, लेकिन भारतीय सैनिकों ने उन्हें वापस लौटने के लिए मजबूर कर दिया। 45 साल बाद वास्तीविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गोली चली थी।
रेजांग ला में भारतीय और चीनी सैनिक आमने-सामने
पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे पिछले तीन दिनों से चीनी सेना भारत की फॉरवर्ड पोजिशन के नजदीक आने की कोशिश कर रही है। अभी भी रेजांग ला के पास की चोटियों के करीब भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हैं। मौके पर तनाव चरम पर है। भारतीय सैनिक पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की किसी भी चुनौती का जवाब देने के लिए तैयार है।
1975 में चली थी गोली
देशों के बीच 45 साल बाद सोमवार देर रात दोनों फायरिंग की घटना हुई। पिछली बार वर्ष 1975 में गोलियां चली थीं। उस समय अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में असम राइफल्स के जवानों की पेट्रोलिंग टीम पर हमला हुआ था, जिसमें कई जवान शहीद हुए थे। वर्ष 1993 में भारत और चीन के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें सहमति बनी थी दोनों देश सीमा पर फायरिंग नहीं करेंगे। इसी समझौते के चलते 15 जून को गलवन घाटी में हिंसक झड़प के बावजूद गोली नहीं चली थी।