AIIMS: दिल्ली AIIMS में दूरबीन की मदद से तीन माह के बच्चे की दोनों किडनी की सर्जरी, वर्ल्ड का ऐसा पहला मामला

दिल्ली AIIMS के पीडियाट्रिक सर्जरी डिपार्टमेंट के डॉक्टरों ने किडनी की जन्मजात बीमारी से पीड़ित तीन माह के बच्चे की लैप्रोस्कोपी टेकनीक से एक साथ दोनों किडनी की सर्जरी की। यह सर्जरी पिछले दिसंबर में की थी। इसके बाद अब बच्चा पूरी तरह ठीक हो चुका है। उसकी दोनों किडनी ठीक काम कर रही है।

AIIMS: दिल्ली AIIMS में दूरबीन की मदद से तीन माह के बच्चे की दोनों किडनी की सर्जरी, वर्ल्ड का ऐसा पहला मामला
वर्ल्ड का पहला मामला।

नई दिल्ली। दिल्ली AIIMS के पीडियाट्रिक सर्जरी डिपार्टमेंट के डॉक्टरों ने किडनी की जन्मजात बीमारी से पीड़ित तीन माह के बच्चे की लैप्रोस्कोपी टेकनीक से एक साथ दोनों किडनी की सर्जरी की। यह सर्जरी पिछले दिसंबर में की थी। इसके बाद अब बच्चा पूरी तरह ठीक हो चुका है। उसकी दोनों किडनी ठीक काम कर रही है।

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AIIMS के डाक्टरों का दावा है कि वर्ल्ड में सबसे कम उम्र के बच्चे की इस तरह (दोनों किडनी की सर्जरी एक साथ) की यह पहली सर्जरी है। सर्जरी के तीन दिन बाद ही बच्चे को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई थी। एम्स के डॉक्टर का कहना है कि लैप्रोस्कोपी टेकनीक में छोटे-छोटे छेद करके दूरबीन की मदद से सर्जरी की जाती है। पेसेंट के बॉडी में बड़ा चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। तीन माह का यह बच्चा किडनी की जन्मजात बीमारी यूरेट्रो पेल्विक जंक्शन अब्सट्रैक्शन (यूपीजेओ) से पीड़ित था। इस बीमारी में किडनी से पेशाब की नली जहां जुड़ती है उस जगह पर अवरूद्ध होता है। इस वजह से किडनी से यूरिन ब्लैडर में नहीं पहुंच पाता। इस बच्चे के दोनों किडनी की पेशाब नली में अवरूद्ध था। इस वजह से यूरिन ठीक से पास नहीं हो पा रहा था। इससे किडनी पर दबाव पड़ रहा था। इससे दोनों किडनी खराब होने की आशंका थी।
AIIMS पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के एचओडी प्रोफेसर डॉ. मीनू वाजपेयी ने बताया कि सामान्य तौर पर ऐसे मामलों में दोनों किडनी की अलग-अलग सर्जरी करनी पड़ती है। एक साथ दोनों किडनी की सर्जरी आसान नहीं होती। लेकिन इस बच्चे की लैप्रोस्कोपी टेकनीक से एक साथ दोनों किडनी की सर्जरी करने का फैसला किया गया। AIIMS पीडियाट्रिक सर्जरी डिपार्टमेंट के सहायक प्रोफेसर डॉ. विशेष जैन के नेतृत्व में बच्चे की सर्जरी की गई।सर्जरी से पहले पूरी कार्ययोजना तैयार की गई। सर्जरी के लिए बच्चे के पेट में तीन छोटे छेद किये गये। इसके तहत पांच मिलीमीटर का एक छेद नाभी में बनाया गया। जिसके सहारे सूक्ष्म कैमरा पेट में डाला गया। नाभी के ऊपर और नीचे तीन मिलीमीटर के दो छेद बनाये गये। इसके जरिए सर्जिकल उपकरण पेट के अंदर ले जाकर दूरबीन से देखते हुए सर्जरी की गई। दो घंटे तक चली इस सर्जरी में दोनों किडनी के पेशाब की नली के अवरूद्ध को ठीक किया। इससे किडनी खराब होने से बच गई। अब बच्चे के पेट पर हुए तीनों छेद के निशान भी दूर हो गये हैं।

उन्होंने बताया कि जन्म के समय 250 बच्चों में से दो बच्चों की किडनी में सूजन होती है। इस सूजन के कई कारण हो सकते हैं। ज्यादातर बच्चों कि किडनी की धीरे-धीरे ठीक हो जाती है। लेकिन करीब दो हजार में से एक बच्चे कि किडनी व पेशाब की नल में अवरूद्ध होने की समस्या होती है।