नेशनल संताल लिबरेशन आर्मी के डिप्टी कमांडर इन चीफ का बड़ा खुलासा, म्यांमार जाकर सीखा एके 47 और एके 56 चलाना 

नेशनल संताल लिबरेशन आर्मी के डिप्टी कमांडर इन चीफ लखीराम उर्फ एडमिन सिंह सोरेन से पूछताछ में कई अहम जानकारी मिली है। लखीराम समेत झारखंड के साहिबगंज और गोड्डा जिले के कई लोगों ने म्यांमार में आर्म्स चलाने का ट्रेनिंग लिया था। 

नेशनल संताल लिबरेशन आर्मी के डिप्टी कमांडर इन चीफ का बड़ा खुलासा, म्यांमार जाकर सीखा एके 47 और एके 56 चलाना 
लखीराम उर्फ एडमिन सिंह सोरेन(फाइल फोटो)।

साहिबगंज। नेशनल संताल लिबरेशन आर्मी के डिप्टी कमांडर इन चीफ लखीराम उर्फ एडमिन सिंह सोरेन से पूछताछ में कई अहम जानकारी मिली है। लखीराम समेत झारखंड के साहिबगंज और गोड्डा जिले के कई लोगों ने म्यांमार में आर्म्स चलाने का ट्रेनिंग लिया था। 

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बोरियो के राशन कारोबारी अरुण साह की मर्डर मामले में साहिबगंज पुलिस को संताल लिबरेशन आर्मी का काला इतिहास भी पता चला है। असम में बोडो उग्रवादियों से संघर्ष के दौरान संताल लिबरेशन आर्मी का गठन हुआ था। उस वक्त उल्फा के सहयोग से संताल लिबरेशन आर्मी के कई लोग आर्म्स खरीदने और उसे चलाने की सीख लेने के लिए म्यांमार गये थे। कालांतर में असम में शांति कायम हो गई तो संताल लिबरेशन आर्मी के कई लोग झारखंड के संताल परगना में आकर फैल गये। यहां संगठन को खड़ा करने की कोशिश शुरू की गई। इसी बीच संताल लिबरेशन आर्मी के सदस्यों ने संताल परगना में हिंसक वारदात को अंजाम शुरू कर दिया। इससे पहले कि संताल लिबरेशन आर्मी और मजबूत होती, झारखंड सरकार ने सख्ती दिखायी। वर्तमान में संताल परगना में इस संगठन के पांव उखड़ चुके हैं।
म्यांमार में लिया AK 47 और AK 56 चलाने का ट्रेनिंग

संताल लिबरेशन आर्मी के बारे में साहिबगंज पुलिस को जानकारी मिली है कि इसके डिप्टी कमांडर लखीराम उर्फ एडमिन सिंह सोरेन समेत कई लोग म्यांमार में जाकर एके 47 और एके 56 का ट्रेनिंग लिया है। लखीराम ने पुलिस को बताया कि साहिबगंज और गोड्डा के कई लोगों से संताल लिबरेशन आर्मी के लोगों के बेहतर संबध थे। अभी पुलिस को कार्रवाई के बाद वैसे लोग संगठन से दूर हो चुके हैं। 
बोडो और संताल में हुआ संघर्ष

लखीराम ने कहा है कि र्वषों सालों पहले चाय बगान में काम कराने के लिए संताल परगना के हजारों संतालों को अंग्रेज असम ले गये थे। धीरे-धीरे यहां से गये लोग असम में बसते चले गए। आबादी बढ़ गई। इसके बाद संताल परगना से दये लोग स्थानीय शासन व्यवस्था में हिस्सेदारी की मांग शुरू की। बोडो समुदाय ने इसका विरोध किया। इसके बाद असम में संताल और बोडो के बीच संघर्ष हुआ। इसमें हजारों संताल मारे गये थे। इसके बाद असम के संतालों ने एकजुट होकर यह संगठन बनाया था। लखीराम का दावा है कि असम के संताल बहुल इलाकों में संताल लिबरेशन आर्मी के सदस्यों को सम्मान दिया जाता है। संगठन के कमांडर राहुल को लोग असम में बहुत इज्जत देते हैं।