Bihar BPSC Protest : पटना में छात्रों पर लाठीचार्ज, प्रशांत किशोर समेत 21 के खिलाफ FIR
बिहार की राजधानी पटना के जेपी गोलंबर पर रविवार की देर शाम बैरिकेडिंग तोड़ सीएम आवास की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) कैंडिडेट्स पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। दो वाटर कैनन से पानी की बौछार भी की गयी। पुलिस की लाठी से सात-आठ छात्र जख्मी हो गये।

- पुलिस लाठी चार्ज में सात-आठ छात्र जख्मी
- दर्जन भर प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।
- कैंडिडेट्स पर वाटर कैनन से की गई पानी की बौछार
- दर्जनभर प्रदर्शनकारी हिरासत में
- जिला प्रशासन ने नहीं दी थी प्रदर्शन की अनुमति
पटना। बिहार की राजधानी पटना के जेपी गोलंबर पर रविवार की देर शाम बैरिकेडिंग तोड़ सीएम आवास की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) कैंडिडेट्स पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। दो वाटर कैनन से पानी की बौछार भी की गयी। पुलिस की लाठी से सात-आठ छात्र जख्मी हो गये। बीपीएससी की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा रद करने की मांग को लेकर बीपीएससी अभ्यर्थी लगातार आंदोलन कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें:Acharya Kishore Kunal Death: एक्स IPS अफसर आचार्य किशोर कुणाल का हार्ट अटैक से निधन
पुलिस ने दर्जन भर प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया। सिटी एसी स्वीटी सहरावत ने बताया कि जिला प्रशासन से अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन की अनुमति नहीं ली थी। गैरकानूनी ढंग से उन्होंने रास्ता रोक रखा था। इससे विधि-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो रही थी।दंडाधिकारी और पुलिस पदाधिकारी ने अभ्यर्थियों को वहां से हटने को कहा। कई बार चेतावनी दी गई, लेकिन वह सड़क से हटने को तैयार नहीं हुए। इसके बाद पुलिस ने उन्हें लाठीचार्च कर हटा दिया।
प्रशांत किशोर पर छात्रों को भड़काने का आरोप
वहीं, इस मामले को लेकर पुलिस ने प्रशांत किशोर सहित कई लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया है। प्रशांत किशोर पर छात्रों को भड़काने का आरोप लगाया गया है। मनोज भारती (अध्यक्ष जन सुराज पार्टी), रह्मांशु मिश्रा, कोचिंग संचालक, निखिल मणि तिवारी, सुभाष कुमार ठाकुर, शुभम स्नेहिल, प्रशांत किशोर ( एवं 2 बाउंसर जो प्रशांत किशोर के साथ थे), आनंद मिश्रा, आर के मिश्रा ( राकेश कुमार मिश्रा ), विष्णु कुमार, सुजीत कुमार (सुनामी कोचिंग) सहित कुल 21 नेम्ड और 600–700 अज्ञात के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गयी है।
सीएम आवास की ओर जा रहे थे प्रदर्शनकारी, लाठी चार्ज
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रविवार की सुबह बीपीएससी कैंडिडेट्स गांधी मूर्ति के पास जुटने लगे। सीएम आवास तक पैदल मार्च करने का निर्णय लिया गया। शाम में जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर भी कैंडिडेट्स के समर्थन में पहुंचे। प्रशांत के वहां पहुंचने पर युवाओं ने उनके विरुद्ध खूब नारेबाजी की। युवाओं का कहना था कि वे अपने बूते आंदोलन को आगे बढ़ायेंगे।छात्रों के आंदोलन को किसी राजनेता के हाथ में नहीं जाने देंगे।
इस बीच, चीफ सेकरेटरी अमृतलाल मीणा ने वार्ता की पेशकश की। कैंडिडेट्स के डेलीगेशन को मिलने के लिए बुलाया था, मगर वे जाने के लिए तैयार नहीं हुए। सीएम आवास की ओर पैदल मार्च जारी रखा। जेपी गोलंबर के पास बैरिकेडिंग की गई थी। वहां कैंडिडेट्स को पुलिस ने आगे-बढ़ने से रोक लिया। लगभग ढाई घंटे तक पुलिस और प्रशासनिक अफसर कैंडिडेट्स को वहां से हटने के लिए मान-मनौव्वल करते रहे। जेपी गोलंबर से जुड़ी सड़कों पर वाहनों की लंबी कतार लग गयी। कैंडिडेट्स को चेतावनी दी जाने लगी। इससे प्रदर्शनकारी उग्र हो गये उन्होंने बैरिकेडिंग तोड़ दी। तब पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। पहले पानी की बौछार की, फिर लाठियां चटका कर अभ्यर्थियों के झुंड को खदेड़ दिया।
पीके के खिलाफ नारेबाजी
बीपीएससी अभ्यर्थी बताने वाले हंगामेबाज युवाओं ने रविवार देर शाम जेपी गोलंबर पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर (पीके) के विरुद्ध खूब नारेबाजी की। तब तक पीके वहां से निकल चुके थे। युवाओं का कहना था कि वे अपने बूते आंदोलन को आगे बढ़ायेंगे। छात्रों के इस आंदोलन को किसी राजनेता के हाथ में नहीं जाने देंगे। जेपी गोलंबर से पहले गांधी मैदान में आयोजित छात्र संसद से पीके के निकले के दौरान भी कुछ ऐसे ही विरोध प्रकट किया गया था। तब हाथापाई पर उतारू युवाओं के गुट को किसी तरह नियंत्रित किया गया।इस बीच छात्रों के हुजूम के साथ पीके मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच कर चुके थे। उत्तेजना चरम पर पहुंच चुकी थी। हालांकि, काफिले को पुलिस-प्रशासन ने जेपी गोलंबर पर ही रोक लिया। वहां आंदोलनकारी छात्रों से पीके ने कहा कि सरकार ने बातचीत की पहल की है।
छात्रों के डेलीगेशन के साथ बातचीत सफल नहीं रही तो आंदोलन आगे बढ़ाया जाएगा। पीके की उपस्थिति से छात्र संसद में आश्चर्यजनक उत्तेजना की स्थिति थी।हालांकि, प्रशासन ने छात्र संसद के आयोजन की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन पीके का कहना था कि इसके लिए पर्याप्त समय रहते प्रशासन को सूचित कर दिया गया था। सैकड़ों छात्रों की उपस्थिति के लिए गर्दनीबाग का धरनास्थल पर पर्याप्त नहीं है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि गांधी मैदान सरकार का नहीं
पीके ने कहा कि गांधी मैदान सार्वजनिक स्थल है और वहां प्रतिदिन हजारों लोग जुटते हैं। ऐसे में छात्र संसद के आयोजन पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। गांधी मैदान में बैठकर बात नहीं होगी तो क्या गर्दनीबाग के टेंट में छात्र बात करेंगे। प्रशांत किशोर ने कहा कि गांधी मैदान सरकार का नहीं है। हम यहां प्रदर्शन नहीं, बल्कि शांतिपूर्वक विचार-विमर्श कर रहे। छात्रों की बात सरकार नहीं सुन रही। बिहार में छात्रों का जीवन वर्षों से बर्बाद हो रहा है। इसलिए एक दिन नारा लगाने से कुछ नहीं होगा। इसके लिए लंबी लड़ाई लड़नी होगी और उसे अंजाम तक पहुंचाना होगा।किसान आंदोलन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि किसान महीनों डेरा डाले रहे, तब जाकर कुछ सुनवाई हुई। पीके ने बिहार में डोमिसाइल नीति में बदलाव, पेपर लीक और नौकरियों में भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने की मांग की। अभ्यर्थियों से एकजुट रहने की अपील की।
उल्लेखनीय है कि 13 दिसंबर को बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा ली गई थी। राजधानी के बापू सभागार परीक्षा केंद्र पर धांधली का आरोप लगाकर परीक्षार्थियों ने बहिष्कार कर दिया था। इसके बाद इस केंद्र की परीक्षा रद्द कर दी गयी है। चार जनवरी को यह परीक्षा ली जानी है, लेकिन कैंडिडेट्स की मांग है कि पूरे बिहार की परीक्षा रद कर दोबारा ली जाए।
बीपीएससी ने सीसीई प्रीलिम एग्जाम दोबारा से कराने से किया इनकार,केवल एक केंद्र बापू परीक्षा परिसर, पटना में होगा री - एग्जाम
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने शनिवार एग्जाम पुनः न करवाए जाने को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया है। बीपीएससी की ओर से बताया गया है कि एग्जाम को दोबारा से करवाए जाने के निर्णय के लिए सबूत या आधार की कमी है, ऐसे में पूरे राज्य में दोबारा से परीक्षा आयोजित किया जाना संभव नहीं है। आयोग ने दोबारा परीक्षा करवाने से इनकार कर दिया है।बीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक राजेश कुमार ने स्पष्ट किया कि आयोग जिला अधिकारियों द्वारा भेजी गई रिपोर्ट और अन्य ठोस सबूतों के आधार पर पुन: परीक्षा और परीक्षा रद्द करने जैसे निर्णय लेता है, न कि 'निराधार, निराधार, भ्रामक' आरोपों और 'नारों' के आधार पर।
परीक्षा नियंत्रक, बिहार लोक सेवा आयोग, पटना की ओर से जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक एकीकृत 70वीं संयुक्त (प्रा.) प्रतियोगिता परीक्षा को पूरे राज्य के केन्द्रों पर पुनर्परीक्षा कराना क्यों संभव नहीं है, उसकी विस्तृत जानकारी मीडिया को दी थी, जिसे विभिन्न प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक मीडिया एवं सोशल मीडिया पर इसका प्रकाशन एवं प्रसारण किया गया है! लेकिन कुछ मीडिया द्वारा इसे सनसनीखेज बनाने के लिए यह कहकर प्रकाशित किया गया है कि "किसी भी सुरत में पूरी परीक्षा की पुनर्परीक्षा नहीं ली जाएगी", "आर-पार की लड़ाई" इत्यादि ! इस तरह की Headlines से यह भ्रान्ति फैलती है कि आयोग हठधर्मिता के कारण पर्याप्त प्रमाण रहते हुए भी सभी केन्द्रों पर पुनर्परीक्षा नहीं कराना चाहता ! जिससे आयोग की नकारात्मक छवि बनती है!
परीक्षा नियंत्रक राजेश कुमार सिंह ने पुनः स्पष्ट किया है कि आयोग एक संवैधानिक संस्था है जिसका उद्देश्य अभ्यर्थियों के हित में पारदर्शी परीक्षाओं का आयोजन करना है। आयोग तथ्यहीन, निराधार, भ्रामक, सत्य से परे आरोपों एवं नारेबाजी के आधार पर किसी केंद्र की पुनर्परीक्षा कराने या न कराने के संबंध में निर्णय नहीं लेता। आयोग किसी भी केन्द्र की परीक्षा के संबंध में संबंधित जिला पदाधिकारी के माध्यम से प्राप्त प्रतिवेदन एवं अन्य अकाट्य प्रमाणों के आधार पर परीक्षा रद्द करने अथवा पुनर्परीक्षा कराने या न कराने का निर्णय लेता है।उन्होंने कहा कि जहां तक पूरे राज्य में एकीकृत 70वीं संयुक्त (प्रा.) प्रतियोगिता परीक्षा की पुनर्परीक्षा कराने का प्रश्न है, यह स्पष्ट किया जाता है कि आयोग के समक्ष न ही किसी जिला पदाधिकारी द्वारा कोई प्रतिवेदन उपलब्ध कराया गया है और न ही अन्य स्रोतों से कोई साक्ष्य / प्रमाण प्राप्त हुए हैं, जिसके आधार पर पुनर्परीक्षा कराने का निर्णय लिया जा सके।
केवल एक सेंटर पर होगा दोबारा से एग्जाम
नोटिफिकेशन में दी गई डिटेल के मुताबिक राज्य के एक परीक्षा केन्द्र बापू परीक्षा परिसर, पटना के संबंध में जिलाधिकारी पटना से प्राप्त प्रतिवेदन एवं अन्य सोशल मीडिया पर प्रसारित विडियो क्ल्पि एवं अन्य प्रमाणों के आधार पर परीक्षा का आयोजन दोबारा से किया जायेगा। परीक्षा का आयोजन 4 जनवरी 2025 को किया जायेगा।इसके अलावा आयोग की ओर से कहा गया है कि वर्णित स्थिति में राज्य के अन्य 911 केन्द्रों पर सम्मिलित परीक्षार्थियों के हितों को दृष्टिगत अन्य सभी केन्द्रों पर पुनर्परीक्षा कराने का कोई आधार आयोग के समक्ष नहीं है।परीक्षा नियंत्रक ने कहा है कि आयोग अपना निर्णय अत्यंत सावधानीपूर्वक और राज्य के युवा अभ्यर्थियों के हितों को ध्यान में रख कर लिया है। वैसी स्थिति में अभ्यर्थियों से अनुरोध है कि ऐसे भ्रामक खबरों से दिग्भ्रमित न हों और सावधान रहें।