Bihar Election 2025: ‘पुराना दोस्त लौटा’, नीतीश का ‘भूमिहार मास्टरस्ट्रोक’ — तेजस्वी के दांव का जवाब बने अरुण कुमार!
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार को बड़ी राहत मिली है। जहानाबाद के पूर्व सांसद डॉ. अरुण कुमार अपने बेटे ऋतुराज के साथ जेडीयू में वापस लौट आए हैं। यह कदम तेजस्वी यादव के भूमिहार नेताओं पर दांव के जवाब के रूप में देखा जा रहा है।

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सियासी समीकरणों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उस वक्त राहत मिली जब उनके पुराने साथी और जहानाबाद के पूर्व सांसद डॉ. अरुण कुमार ने जेडीयू (JDU) में दोबारा घर-वापसी कर ली। अरुण कुमार अपने बेटे ऋतुराज कुमार और सैकड़ों समर्थकों के साथ पार्टी में शामिल हुए।
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— Janata Dal (United) (@Jduonline) October 11, 2025
जहानाबाद के पूर्व सांसद एवं वरिष्ठ नेता श्री डॉ अरुण कुमार ने आज अपने सुपुत्र श्री ऋतुराज कुमार सहित कई समर्थकों के साथ जद (यू) परिवार में घर-वापसी की।
प्रदेश कार्यालय, पटना में पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष सह माननीय राज्यसभा सांसद श्री @SanjayJhaBihar ने उन्हें… pic.twitter.com/dvBZHIEwhv
इस मौके पर उन्हें जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष सह केंद्रीय मंत्री ललन सिंह और राज्यसभा सांसद संजय झा ने सदस्यता दिलायी। माना जा रहा है कि ऋतुराज कुमार घोसी सीट से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं।
बीजेपी के ‘बिहार बंद’ के कारण टला था कार्यक्रम
जानकारी के अनुसार, अरुण कुमार की जेडीयू में वापसी का कार्यक्रम पहले सितंबर में होना था, लेकिन उसी दिन बीजेपी के ‘बिहार बंद’ के चलते यह कार्यक्रम टाल दिया गया था। अब एक महीने बाद, चुनावी हलचल के बीच यह वापसी सियासी मायनों में बेहद अहम मानी जा रही है।
भूमिहार वोट बैंक पर ‘नीतीश की नज़र’
अरुण कुमार बिहार के मगध क्षेत्र के बड़े भूमिहार नेता माने जाते हैं। उनके लौटने से नीतीश कुमार को राजद (RJD) के हालिया भूमिहार ‘लव कार्ड’ का जवाब देने में मदद मिलेगी।तेजस्वी यादव ने हाल ही में जगदीश शर्मा के बेटे राहुल शर्मा को RJD में शामिल कर भूमिहार समीकरण साधने की कोशिश की थी। उसी के जवाब में नीतीश कुमार ने अरुण कुमार को JDU में बुलाकर बड़ा राजनीतिक सिग्नल दिया है।
पुराना रिश्ता, नयी मजबूरी
अरुण कुमार का नीतीश कुमार से पुराना नाता रहा है। वे समता पार्टी के जमाने से नीतीश के साथ रहे। 1999 में वे जेडीयू के टिकट पर सांसद बने। बाद में अलग होकर उन्होंने अपनी पार्टी बनाई और फिर 2014 में उपेंद्र कुशवाहा की RLSP से सांसद बने। 2019 में उन्होंने बसपा के टिकट से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। अब तीसरी बार वे फिर जेडीयू में लौट आये हैं।
राजनीतिक बैकग्राउंड और तुलना
अरुण कुमार का राजनीतिक करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है, लेकिन वे अभी भी मगध की राजनीति में भूमिहार समाज के प्रभावशाली चेहरे माने जाते हैं।दूसरी ओर, जगदीश शर्मा और उनके बेटे राहुल शर्मा की एंट्री से RJD ने NDA के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की थी। मगध क्षेत्र में 2020 के विधानसभा चुनाव में NDA को 26 में से सिर्फ 6 सीटें मिली थीं, जबकि महागठबंधन ने 20 सीटें जीती थीं। ऐसे में अरुण कुमार की वापसी JDU के लिए ‘रिवाइवल कार्ड’ साबित हो सकती है।
नीतीश-ललन की ‘डैमेज कंट्रोल’ रणनीति
दिलचस्प बात यह है कि कुछ महीने पहले अरुण कुमार की वापसी को खुद ललन सिंह ने रोका था, लेकिन अब वही उन्हें सदस्यता दिलाने पहुंचे। सियासी जानकारों का मानना है कि तेजस्वी के भूमिहार प्लान के बाद NDA में खलबली मच गई थी और जेडीयू को तुरंत कोई ‘काउंटर मूव’ करना जरूरी था। नीतीश के करीबी सूत्रों के अनुसार, “यह केवल वापसी नहीं, बल्कि RJD को मैसेज है कि NDA के भूमिहार वोट अब भी नीतीश के साथ हैं।”
पार्टी ऑफिस में दिखी नई ऊर्जा
पटना स्थित जेडीयू प्रदेश कार्यालय में हुए इस कार्यक्रम में कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। इस मौके पर ललन कुमार सर्राफ, संजय कुमार सिंह ‘गांधी जी’, चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, संजय सिंह, अनिल कुमार समेत कई नेता मंच पर दिखे। सदस्यता ग्रहण करने वालों में कलेन्द्र राम, जगनारायण पासवान (मुखिया), सत्येंद्र पासवान और वासुदेव कुशवाहा जैसे स्थानीय चेहरे भी शामिल रहे।
क्या जेडीयू का ‘बैक टू बेस’ प्लान काम करेगा?
अरुण कुमार की वापसी से नीतीश कुमार को भूमिहार वोट बैंक में फिर से पकड़ मजबूत करने का मौका मिल सकता है। तेजस्वी यादव की रणनीति से बने दबाव को देखते हुए जेडीयू अब ‘सोशल इंजीनियरिंग’ पर दोबारा काम कर रही है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर अरुण कुमार और ऋतुराज दोनों अपने इलाकों में सक्रिय हो गए, तो मगध बेल्ट में NDA की स्थिति पहले से बेहतर हो सकती है।
निष्कर्ष
बिहार की सियासत में अरुण कुमार की जेडीयू में तीसरी पारी केवल घर-वापसी नहीं, बल्कि नीतीश कुमार का ‘भूमिहार मास्टरस्ट्रोक’ है। तेजस्वी यादव के हालिया दांव का जवाब देते हुए नीतीश ने दिखा दिया है कि NDA अब भी सामाजिक समीकरणों में पीछे नहीं रहना चाहता।