Bihar-Jharkhand : रामकृपाल कंस्ट्रक्शन से NHAI जीएम ले रहे घूस, CBI ने पकड़ा, एमडी समेत चार अरेस्ट
सीबीआई ने सोमवार को रिश्वत प्रकरण से जुड़े एक मामले में कार्रवाई करते हुए भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के जीएम रामप्रीत पासवान समेत चार लोगों को अरेस्ट किया है। इस मामले में सीबीआई ने पटना मुजफ्फरपुर बेगूसराय पूर्णिया रांची और वाराणसी में एक साथ रेड भी मारा। इस कार्रवाई के दौरान सीबीआई टीम ने 1.18 करोड़ से अधिक कैश कई आपत्तिजनक दस्तावेज डिजिटल डिवाइस और कुछ कागजात बरामद किये हैं।

- पटना, रांची, नोयडा समेत सात जगहों पर CBI का रेड
पटना। सीबीआई ने सोमवार को रिश्वत प्रकरण से जुड़े एक मामले में कार्रवाई करते हुए भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के जीएम रामप्रीत पासवान समेत चार लोगों को अरेस्ट किया है। इस मामले में सीबीआई ने पटना मुजफ्फरपुर बेगूसराय पूर्णिया रांची और वाराणसी में एक साथ रेड भी मारा। इस कार्रवाई के दौरान सीबीआई टीम ने 1.18 करोड़ से अधिक कैश कई आपत्तिजनक दस्तावेज डिजिटल डिवाइस और कुछ कागजात बरामद किये हैं।
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बताया जाता है कि सीबीआई को जानकारी मिली थी कि एनएचएआई के जीएम और अन्य लोक सेवक एक प्राइवेट कंपनी के साथ मिलीभगत करके कंट्रेक्ट के आधार पर जो काम दिए गए, उसके बिलों को पास करने में घपला कर रहे थे और इसके एवज में रिश्वत के रुप में मोटी रकम वसूल रहे थे। सीबीआई की टीम ने झारखंड,बिहार व नोयडा में राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन कंपनी के ठिकानों पर रेड की। यह रेड कंपनी के डायरेक्टर राम कृपाल सिंह, उनके बेटे सुधीर कुमार और रंजन कुमार के ठिकानों पर एकसाथ बेगूसराय, मुजफ्फरपुर के अलावा रांची और नोएडा में की गयी। कंपनी बड़े राजनेता के रिश्तेदार की बतायी जा रही है।
12 आरोपियों के खिलाफ एफआइआर
CBI ने 22 मार्च को 12 आरोपियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया था। इनमें छह गवर्नमेंट अफसर और प्राइवेट कंपनी के प्रतिनिधि भी शामिल थे। इन पर आरोप है कि NHAI के अफसर और प्राइवेट कंपनी के लोग कंट्रेक्टर का बिल पास कराने के लिए घूस ले रहे थे। 15 लाख रुपये घूस पटना में NHAI के जीएम को दी जानी थी। जैसे ही GM ने घूस की राशि हाथों में ली, तभी CBI ने एनएचएआई के जीएम और घूस देने वाले को अरेस्ट कर लिया। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के उनके संर्पक रखने वाले लोगों के बारे में पता किया। इसके बाद CBI की टीमों ने पटना स्थित मेसर्स राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के साथ ही मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, पूर्णिया, रांची और वाराणसी में एक साथ रेड की। इस कार्रवाई में जहां 1.18 करोड़ रुपये कैश जब्त किया गया, वहीं कई डिजिटल डिवाइस और दस्तावेज भी सीबीआई की टीम ने बरामद किये।
सीबीआई द्वारा अरेस्ट किये गये एक्युज्ड
रामप्रीत पासवान, जीएम एनएचआइए, पटना
बरूण कुमार सिंह, राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन
चेतन शर्मा, राम कृपाल कंस्ट्रक्शन का कर्मचारी
सुरेश महापात्रा, जेनरल मैनेजर, राम कृपाल कंस्ट्रक्शन
एफआइआर के एक्युज्ड
वाई. बी. सिंह, चीफ जेनरल मैनेजर एनएचएआइ, पटना
रामप्रीत पासवान, जीएम एनएचएआई, पटना
कुमार सौरभ, डीजीएम, एनएचएआई,पूर्णिया
ललित कुमार, प्रोजेक्ट डॉरेक्टर, एनएचएआई, मुजफ्फरपुर
अंशुल ठाकुर, साईट इंजीनियर, एनएचएआई, मुजफ्फरपुर
हेमेन मेहदी, एजीएम, एनएचएआई, पटना
बरुण कुमार, राम कृपाल कंस्ट्रक्शन का स्टाफ
सुरेश महापात्रा, जीएम, रामकृपाल कंस्ट्रक्शन
अमर नाथ झा, जेनरल मैनेजर राम कृपाल कंस्ट्रक्शन
चेतन शर्मा, राम कृपाल कंस्ट्रक्शन का कर्मचारी
सत्य नारायण सिंह, पप्पु, ठेकेदार, मुजफ्फरपुर
राम कृपाल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड
सीबीआई के अनुसार कि जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उनमें एनएचएआई के महाप्रबंधक रामप्रीत पासवान, मेसर्स राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन के महाप्रबंधक सुरेश महापात्रा एवं कर्मचारी चेतन कुमार व बरुण कुमार भी शामिल हैं। इसके अलावा 12 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है। इनमें एनएचएआई के सीजीएम वाईबी सिंह, डिजीएम कुमार सौरभ, पूर्णिया, प्रोजेक्ट (पीडी),ललित कुमार (पीआईयू), दरभंगा/मुजफ्फरपुर, अंशुल ठाकुर, साइट इंजीनियर परियोजना कार्यान्वयन इकाई (पीआईयू), दरभंगा-मुजफ्फरपुर, हेमेन मेधी, एजीएम, लेखा, क्षेत्रीय कार्यालय पटना, अमर नाथ झा, जीएम, मेसर्स राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, सत्य नारायण सिंह उर्फ पप्पू सिंह ठेकेदार, मुजफ्फरपुर, मेसर्स राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और अज्ञात अन्य लोक सेवक और निजी व्यक्ति शामिल हैं।
सीबीआई ने कंपलेन की सत्यता जानने के बाद 22 मार्च को 12 आरोपितों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की। इनमें एनएचएआई के सीजीएम, डिप्टी सीएम, सीनियर रैंक के छह अफसरों के साथ ही अन्य निजी ठेकेदार और अज्ञात लोक सेवक और निजी व्यक्तियों के एक्युज्ड बनाया गया है।
अपनी जांच के क्रम में सीबीआई को यह सूचना भी मिली थी कि प्राइवेटकंपनी को बिल पारित कराने के एवज में 15 लाख रुपये की रिश्वत देनी है। रिश्वत की यह रकम पहुंचाने के लिए पटना में एक स्थान का चयन किया गया है। जिसके बाद सीबीआई ने इस मामले का उद्भेदन करने और आरोपितों तक पहुंचने के लिए जाल बिछाया। पटना में तय स्थान पर निजी कंपनी के सेवक, एनएचएआई के आरोपित GM को रिश्वत के 15 लाख रुपये दे रहे थे, उसी वक्त उन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया। इसी दौरान दो अन्य लोगों को भी रिश्वत पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया।
इस कार्रवाई और पूछताछ में मिले साक्ष्यों के आधार पर सीबीआई ने आगे कार्रवाई करते हुए पटना, मुजफ्फरपुर, रांची, वाराणसी समेत कुल सात स्थानों पर रेड मारा।जहां से अब तक 1.18 करोड़ से अधिक कैश, कई आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस और कुछ कागजात बरामद करने में सफलता मिली है। इस मामले में सीबीआई आगे की जांच में जुटी है।
यह है राम कृपाल कंस्ट्रक्शन का पूरा मामला
रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को एनएच- 119D के दशारा बेला से नवादा खंड तक सड़क निर्माण का काम मिला था। यह एनएचआईए के मुजफ्फरपुर के क्षेत्राधिकार में आता है। रामकृपाल कंस्ट्रक्शन के कर्मचारियों ने लंबित 50 करोड़ रुपये के बकाये बिल का भुगतान पाने के लिए एनएचआईए के अफसरों के साथ मिल कर साज़िश रची थी।एनएचआईए के अफसर रामप्रीत द्वारा बार-बार कंपनी के लोगों से घूस की बकाया रकम की मांग की जा रही थी।सीबीआई को इस बात की सूचना मिली की घूस के रूप में 25 लाख रुपये बकाया है।. इसका भुगतान रामप्रीत को किया जाना है। रामप्रीत पासवान मेसर्स रवि ट्रेवल से किराये पर गाड़ी लेकर निजी इस्तेमाल में लाया करते थे। किराये का भुगतान पाने के लिये रामप्रीत ने मेसर्स रवि ट्रेवल्स के अजय को रामकृपाल कंस्ट्रक्शन के सुरेश महापात्रा से संपर्क करने का निर्देश दिया था। सीबीआई को इस बात की जानकारी मिली थी कि घूस की बकाया 25 लाख रुपये में से 10 लाख रुपये का भुगतान नवंबर 2024 में कर दिया गया था। 30 जनवरी 2025 को एजीएम अकाउंट्स हेमन मेधी ने रामकृपाल का बिल क्लियर करने के बदले विशाल से तीन लाख रुपये घूस लिये थे। मेधी ने रकम मिलने की सूचना रामकृपाल कंस्ट्रक्सन के बरुण कुमार को दी थी। सीबीआइ को इस बात की भी सूचना मिली थी कि 12 मार्च 2025 को एनएचएआई के अफसरों के बीच घूस के रूप में 50 लाख रुपये बांटे गये थे। इसमें से ललित कुमार ने 10 लाख मुजफ्फरपुर में लिया था। अंशुल ठाकुर ने दो लाख रुपये लिये थे। रामप्रीत को 15 लाख रुपये देते समय कुल चार लोगों को अरेस्ट किया गया।