Bihar : उपेंद्र कुशवाहा अति महात्वाकांक्षी, ऐसे आदमी पर कोई भरोसा नहीं करता: ललन सिंह
जेडीयू के नेशनल प्रसिडेंट राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन जेडीयू छोड़नेऔर नई पार्टी 'राष्ट्रीय लोक जनता दल' बनाने पर उन्हें शुभकामाना के सलाह भी दी। ललन सिंह ने कहा कि जहां भी जाएं, वहां कुछ दिन स्थिर होकर रहें क्योंकि उन्होंने इतिहास बना दिया है।
- 2025 में सीएम पोस्ट के लिए अभी किसी का नाम तय नहीं
पटना। जेडीयू के नेशनल प्रसिडेंट राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन जेडीयू छोड़नेऔर नई पार्टी 'राष्ट्रीय लोक जनता दल' बनाने पर उन्हें शुभकामाना के सलाह भी दी। ललन सिंह ने कहा कि जहां भी जाएं, वहां कुछ दिन स्थिर होकर रहें क्योंकि उन्होंने इतिहास बना दिया है।
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मीडिया से से बातचीत में ललन सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा अति महात्वाकांक्षी हैं। आदमी की व्यक्तिगत महात्वाकांक्षा अति तीव्र हो जाती है तो उसका व्यक्तित्व मलिन हो जाता है। ऐसे आदमी पर कोई भरोसा नहीं करता है। जहां जा रहे हैं, वहां भी देखियेगा कुछ दिन में क्या होगा। जेडीयू इसी हॉल में उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था-जीना यहां, मरना यहां। मुझे कुछ नहीं चाहिए। ललन सिंह ने कुशवाहा के इस्तीफे और नई पार्टी की घोषणा पर कहा कि वे पहले भी ऐसा कर चुके हैं। इसका जदयू पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।
ललन सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा अति महात्वाकांक्षी हैं। आदमी की व्यक्तिगत महात्वाकांक्षा अति तीव्र हो जाती है तो उसका व्यक्तित्व मलिन हो जाता है। ऐसे आदमी पर कोई भरोसा नहीं करता है।उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा का एक छोटा सा कुनबा चलता था, वही लोग कल भी उनके साथ थे, वही आज भी हैं। उनमें से धीरज कुशवाहा आज यहां हैं, जल्द और भी जदयू में ही दिखेंगे। उनके जाने से हमारी पार्टी की सेहत पर कई असर नहीं पड़ेगा। वे पार्टी बना रहे हैं तो हमलोगों की शुभकामना है। बार-बार पटना से दिल्ली जा रहे थे, कहां क्या खिचड़ी पका रहे थे, सब बात की जानकारी हमलोगों को हो रही थी। वे पार्टी बनायें, जहां जाना हैजाएं, एं पर कुछ दिन रहें क्योंकि वे कहीं टिकते ही नहीं। उनके व्यक्तित्व की बड़ी खामी है उनका अति महात्वाकांक्षी होना।
जेडीयू में उपेंद्र की वापसी के पक्ष में नहीं था
ललन सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा पहली बार एमएलए बनेतो नीतीश जी ने उन्हें नेता विरोधी दल बना दिया। जबकि तब छह सात टर्म के एमएलए दल में मौजूद थे। कोई उन्हें नेता मानने को तैयार नहीं था। उप नेता रहते ही मुख्यमंत्री जी ने उनके पद को अपग्रेड करा दिया। फिर 2005 में वे दल छोड़कर चले गये। फिर कई साल बाद लौटे तो राज्यसभा जाने की इच्छा जताई, मुख्यमंत्री जी ने भेज दिया। तीन महीने बाद ही दल विरोधी काम शुरू किया और चले गये। फिर इस बार बार-बार आने की आग्रह कर रहे थे।बशिष्ठ बाबू से मिल रहे थे। पार्टी के एक भी नेता इन्हें दल में लेने के पक्ष मेंनहीं था। लेकिन मुख्यमंत्री जी ने निर्णय ले लिया को सबको मान्य है। विरोध तो ये था कि तब के राष्ट्रीय अध्यक्ष (आरसीपी सिंह) मिलन समारोह तक में नहीं आये।
2025 में सीएम पद की उम्मीदवारी के बारे में पूछा तो उन्होंयने साफ कह दिया कि अभी किसी का नाम तय नहीं है, तब का तब देखा जाएगा। अभी 2024 आने वाला है, उसकी बात कीजिए।