मास्क में नमी के कारण फैल रहा है ब्लैक फंगस, एक्सपर्ट ने कहा-मास्क पहनते समय बरतें सावधानियां
सीनीयर आई स्पेशलिस्ट डॉ एस एस लाल ने एक मीडिया एजेंसी से बातचीत के दौरान कहा कि म्यूकोरमायसिस ( ब्लैक फंगस) नामक इस रोग के होने के पीछे लंबी अवधि तक इस्तेमाल किया गया मास्क हो सकता है। मास्क पर जमा होने वाली गंदगी के कण से आंखों मे फंगस इन्फेक्शन होने की संभावना बनी रहती है। मास्क में नमी होने पर भी इस तरह का इन्फेक्शन हो सकता है।
नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमित पेसेंट में म्यूकोरमायकोसिस ( ब्लैक फंगस ) के मामलों में हो रही वृद्धि के पीछे मास्क में नमी का होना माना जा रहा है। सीनीयर आई स्पेशलिस्ट डॉ एस एस लाल ने एक मीडिया एजेंसी से बातचीत के दौरान कहा कि म्यूकोरमायसिस ( ब्लैक फंगस) नामक इस रोग के होने के पीछे लंबी अवधि तक इस्तेमाल किया गया मास्क हो सकता है। मास्क पर जमा होने वाली गंदगी के कण से आंखों मे फंगस इन्फेक्शन होने की संभावना बनी रहती है। मास्क में नमी होने पर भी इस तरह का इन्फेक्शन हो सकता है।
डॉक्टर लाल ने बताया कि आईसीयू में एडमिट कोविड 19 के पेसेंट को लंबे समय तक इलाज के दौरान लगाये जाने वाले ऑक्सीजन के कारण भी यह फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। उन्होंने बताया कि कोविड पेसेंटको स्टेरॉयड की हाई डोज दी जाती है। इसकी वजह से पेसेंट का शुगर लेवल बढने से इस तरह के संक्रमण के बढ़ने की अपार संभावना होती है।उन्होंने बताया कि फंगस के संक्रमण की शुरूआत नाक से होती है। नाक से ब्राउन या लाल कलर का म्यूकस जब बाहर निकलता है तो यह शुरुआती लक्षण ब्लैक फंगस का माना जाता है।र यह धीरे धीरे आंखो मे पहुंच जाता है।आंखों में लालीपन, डिस्चार्ज होना, कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण इस रोग में उभरते हैं। आंखों में भंयकर पीडा होती है और फिर विजन पूरी तरह समाप्त हो जाता है। इस फंगस का असर आंख के रेटिना पर पडता है। फिर ब्रेन,नर्वस सिस्टम व ह्रदय तक हो जाने से डेथ तक हो जाती हैं।
उन्होंने कहा कि मेडिकल कालेज में ब्लैक फंगस के इलाज के समुचित इंतजाम किये गये हैं। इलाज समय पर होने से रोगी को बचाया जा सकता है। जिला अस्पताल में ही कार्यरत नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर केशव स्वामी ने बताया कि फंगस वातावरण में पाया जाता है। बरसात के मौसम में ब्लैक फंगस फैलने की आशंका अधिक होती है। कोविड-19 से रिकवर हुए लोग परसेंट मास्क को डेटॉल में धोकर धूप में सुखाकर ही पहने।