सीएम ने धनबाद म्यूनिशिपल कॉरपोरेशेन इस्टीमेट घोटाला में पीoईo दर्ज करने की अनुमति दिया, मेयर व प्रशासक पर कसेगा शिकंजा
धनबाद म्यूनिशिपल कॉरपोरेशेन (डीएमसी) में 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत लगभग 200 करोड़ रुपये के इस्टीमेट घोटाला में एंटी करप्शन विंग (एसीबी) को अब PE (Preliminary Enquiry) दर्ज कर जांच करेगी।
- एक्स मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल व डीएमसी प्रशासक चंद्रमोहन कश्यप पर कसेगा शिकंजा
- पीई जांच के बाद दर्ज होगी एफआइआर
रांची। धनबाद म्यूनिशिपल कॉरपोरेशेन (डीएमसी) में 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत लगभग 200 करोड़ रुपये के इस्टीमेट घोटाला में एंटी करप्शन विंग (एसीबी) को अब PE (Preliminary Enquiry) दर्ज कर जांच करेगी। सीएम हेमन्त सोरेन ने एसीबी को दर्ज परिवाद पत्र (आइआर) के आलोक में इस्टीमेट घोटाला की जांच के लिए PE दर्ज करने की अनुमति दे दी है।
आंतरिक जांच समिति ने मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल व म्यूनिशिपल कमिश्नर चंद्रमोहन कश्यप को मुख्य आरोपी बनाया
उल्लेखनीय है कि कंपलेनेंट के द्वारा दर्ज परिवाद पत्र के आलोक में डीएमसी में 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत प्राक्कलन घोटालों की जांच हेतु गठित आंतरिक जांच समिति ने जांच प्रतिवेदन दे दी थी। जांच प्रतिवेदन में उक्त अनियमितता के लिए मुख्य आरोपी मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल व म्यूनिशिपल कमिश्नर चंद्रमोहन कश्यप (वतर्मान प्रशासक) को बनाया गया है। उपरोक्त वर्णित तथ्यों एवं प्रशासी विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग से प्राप्त अनुशंसा के आलोक में डीएमसी में 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत प्राक्कलन घोटाला कि प्रारंभिक जांच विभागीय संकल्प संख्या-1623 दिनांक-07-08-2015 की कंडिका-21 (1) एवं (2) में निहित प्रावधान के अनुसार सीएम ने पीoईo दर्ज कर जांच की अनुमति एसीबी दे दी है।
रोड के निर्माण में कई गड़बड़ी और टेक्नीकल प्रावधानों का उल्लंघन
उल्लेखनीय है कि डीएमसी के 40 रोड के डीपीआर के लिए 156.33 करोड़ प्राक्कलित राशि थी। इन 40 रोड में से 27 का प्राक्कलन डीएमसी के ही टेक्नीकल अफसरों ने बनाया। डीपीआर बनाने के एवज में किसी भी परामर्शी एजेंसी को पेमेंट नहीं किया गया है। लेकिन 13 रोड के निर्माण के लिए एजेंसी मेसर्स मास एडं वॉयड को पेमेंट किया गया। यह पेमेंट रोड के साथ नाली, एलईडी लाइट, पेबर ब्लॉक आदि का प्रावधान होने की वजह से किया गया। जिसकी कुल प्राक्कलित राशि 156.33 करोड़ रुपये है। इन रोड के डीपीआर की जांच से पता चला कि किसी भी डीपीआर में डिजाइन संलग्न नहीं है। डीपीआर में टेक्नीकल रिपोर्ट भी नहीं है। साथ ही रोड के निर्माण में कई गड़बड़ी और टेक्नीकल प्रावधानों के उल्लंघन की कंपलेन की गयी है।
अच्छी रोड को तोड़ कर कराया दसूरा निर्माण
आरोप है कि मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल के निर्देश पर पहले से बेहतर पीसीसी रोड को तोड़ कर प्राक्कलित राशि कई गुणा बढ़ा कर फिर से रोड का निर्माण करा दिया गया। परामर्शी एजेंसी मास एडं वॉयड को परामर्शी फी के रूप में बढ़ी हुई राशि दी गयी। यह बड़ी मोटी रकम थी। आरोप है कि इस रकम की 50 राशि मेयर द्वारा वसूल की गयी। जिन पीसीसी रोड का निर्माण कराया गया है, उसकी गुणवत्ता निम्नस्तरीय है।