नेपाल की अन्नपूर्णा चोटी से 270 फीट नीचे गिरे थे पर्वतारोही, छह सर्जरी कर दिल्ली AIIMS के डाक्टरों ने बचाई जान
नेपाल की अन्नपूर्णा चोटी पर चढ़ाई के दौरान 270 फीट नीचे खाई में गिरे पर्वतारोही की दिल्ली एम्स के डाक्टरों ने छह सर्जरी करने बाद जान बचाई है। मूल रूप से राजस्थान के किशनगढ़ के रहने वाले अनुराग मालू (34) 174 दिन तक हॉस्पिटल में रखा गया। इस दौरान 44 दिन वे आइसीयू में रहे।
- एम्स के डाक्टरों के दल के साथ अनुराग मालू हाथ में पेंटिंग लिए हुए।
- नेपाल में पर्वतारोहण के दौरान गलत रस्सी पकड़ने से गिर गये थे राजस्थान के अनुराग
- छह सर्जरी करने के बाद बचाई जा सकी उनकी जान
नई दिल्ली। नेपाल की अन्नपूर्णा चोटी पर चढ़ाई के दौरान 270 फीट नीचे खाई में गिरे पर्वतारोही की दिल्ली एम्स के डाक्टरों ने छह सर्जरी करने बाद जान बचाई है। मूल रूप से राजस्थान के किशनगढ़ के रहने वाले अनुराग मालू (34) 174 दिन तक हॉस्पिटल में रखा गया। इस दौरान 44 दिन वे आइसीयू में रहे।
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अनुराग मालू को एम्स की प्लास्टिक एवं बर्न यूनिट के डाक्टरों ने सर्जरी की। दो बार उनकी डेड त्वचा को निकाला गया। चार बार सर्जरी कर उन्हें नई त्वचा लगाई गई। जयप्रकाश ट्रामा सेंटर एम्स से बर्न एंड प्लास्टिक के चीफ डॉ. मनीष सिंघल ने बताया कि अनुराग को 72 घंटे बाद ढूंढा जा सका था। इस दौरान उनके शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। हार्ट ठंड से काम नहीं कर रहा था। लीवर, किडनी और फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया गया था। उनका डायलिसिस किया गया था। सीपीआर दिया गया था। पूरे शरीर में इंफेक्शन फैला था।
अनुराग की फ्रासबाइट स्थिति थी, जिसमें शरीर लगभग जम गया था। उन्हें 20 दिन नेपाल के पोखरा में शुरुआती इलाज दिया गया। वहां से एयरलिफ्ट कर एम्स लाया गया। इसमें भी पांच दिन लग गये। इलाजमें शामिल रहे एम्स के सीनीयरडाक्टर कपिल देव सोनी ने बताया कि जिस समय अनुराग आये थे तभी वह आक्सीजन सपोर्ट पर थे। अनुरागका डायलायसिस हो रहा था। सर्जरी से पहले उन्हें स्थिर करना जरूरी था। नर्सों से लेकर आइसीयू स्टाफ के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती थी ताकि मरीज को संक्रमण से बचाया जा सके। डा. कपिल ने बताया कि एम्स के नौ डिपार्टमेंट के डाक्टरों ने मिलकर अनुराग की जान बचाई है। डा. सिंघल ने बताया कि अनुराग चाहें तो दो साल बाद फिर से चढ़ाई कर सकते हैं।
अनुराग बोले-मेरा जिंदा रहना एक चमत्कार
पर्वतारोहण के शौकीन अनुराग 25 लोगों के दल के साथ गये थे। उन्होंने बताया कि चढ़ाई के दौरान गलत रस्सी पकड़ने की वजह से वे हादसे का शिकार हो गये। उन्होंने कहा कि उस दौरान का कुछ भी याद नहीं है। गिरने के दौरान वे दो जगह बर्फ में टकराये थे। इससे गिरने पर भी उन्हें फ्रेक्चर नहीं हुआ था। इसके चलते ही उनकी जान बच सकी। उनकी जान बचना किसी चमत्कार से कम नहीं है। वे लगभग 12 घंटे तक बेहोश थे। अनुराग ने कहा कि बड़ी मशक्कत के बाद उन्हें बाहर निकाला जा सका।
अनुराग ने कहा कि गड्ढे में भी मैं अपने गोप्रो कैमरे से वीडियो बनाता रहा ताकि मैं हिम्मत न हार सकूं। एम्स के वजह से पिछले 174 दिनों के बाद मेरी नई जिंदगी मिली है। मेरा बेड नम्बर नौ था। शायद वह मेरे लिए भाग्यशाली रहा। पूरे 5.5 महीने मैं उसी बेड पर पड़ा रहा। मुझे नहीं पता था कि चलने की बात तो दूर मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं खड़ा भी हो सकता हूं। मेरे लिए एम्स एक मंदिर है जहां के भगवान की वजह से मैं आपके सामने जिंदा खड़ा हूं। अनुराग ने कहा कि सब कुछ ठीक हो जायेगा तो फिर से वह पर्वतारोहण करूंगा। अब एवरेस्ट पर चढ़ना मेरा टारगेट है।