कश्मीर में 1990 जैसे हालात बनाने की साजिश!, आतंकी हमलों के बाद कई परिवारों ने छोड़ी घाटी
आतंकवादियों ने कश्मीर घाटी में पांच दिनों में ही सात लोगों की मर्डर कर दी है। इनमें से चार अल्पसंख्यक समुदाय के थे। छह मर्डर ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में हुईं है। अब सवाल उठने लगा है कि क्या इतिहास खुद को दोहरायेगा? कश्मीर में 1990 जैसे हालात बनाने की साजिश चल रही है।
- 23 परिवारों के बोरिया बिस्तर समेट कश्मीर से जम्मू पहुंचने की सूचना
- कश्मीर में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
श्रीनगर। आतंकवादियों ने कश्मीर घाटी में पांच दिनों में ही सात लोगों की मर्डर कर दी है। इनमें से चार अल्पसंख्यक समुदाय के थे। छह मर्डर ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में हुईं है। अब सवाल उठने लगा है कि क्या इतिहास खुद को दोहरायेगा? कश्मीर में 1990 जैसे हालात बनाने की साजिश चल रही है।
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आतंकी घटनाओं के बाद 23 परिवारों के कश्मीर से जम्मू पहुंचने की भी सूचना है। वादी में कश्मीरी हिंदूओं को प्रशासन ने 10 दिन का अवकाश दिया है, ताकि वह हालात सामान्य होने तक या तो अपनी कालोनियों में रहें या फिर कश्मीर से बाहर जम्मू या किसी अन्य शहर में अपने परिजन के साथ।
आतंकी हमलों के बाद कई परिवारों ने छोड़ी घाटी
कश्मीर घाटी में पंडितों की वापसी के वादे और दावे के बीचकीकत यह है कि एक बार फिर यहां से पलायन शुरू हो गया है। ताजा आतंकी हमलों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को निशाना बनाये जाने के बाद यहां खौफ पसर गया है।कई परिवार जान बचाने के लिए जम्मू चले गये हैं। इन कश्मीरी पंडितों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने की मांग की है। हमलों के खिलाफ शनिवार को जम्मू में कई जगह प्रदर्शन हुए।
जम्मू में एक कश्मीरी पंडित ने कहा कि 'मैं टीचर के रूप में 20 सालों से काम करता आ रहा हूं। प्रमोशन के बाद कुछ साल पहले ही कश्मीर घाटी में लौटा था, लेकिन अचानक चुन-चुनकर मर्डप की वजह से हालात खराब हो गए और वापस आ गया हूं।उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर घाटी में तीन साल से पोस्टिंग के दौरान उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई थी। मुस्लिम सहयोगियों और पड़ोसियों के साथ हम भाई की तरह रहे। उन्होंने दावा किया कि कई कश्मीरी परिवार, जिसमें प्रधानमंत्री के पैकेज के तहत नौकरी पाने वाले भी कश्मीर छोड़कर जम्मू आ गये हैं।
घाटी में अल्पसंख्यकों में खौफ
जगती कैंप में शनिवार को पहुंचे संजय भट ने कहा कि ताजा हत्याओं के बाद घाटी में अल्पसंख्यकों में खौफ है। उन्होंने कहा कि घाटी में अल्पसंख्यक समुदाय के बीच 2016 (हिज्बुल आतंकी बुरहान वानी की मर्डर के बाद की तरह डर है, जब वहां विरोध प्रदर्शन चल रहे थे। आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी किए जाने के बावजूद हमें जम्मू लौटना पड़ा।
पनुन कश्मीर से जुड़े प्रवासी पंडितों के एक समूह ने आतंकवादियों द्वारा मारे गए समुदाय के सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के लिए शनिवार शाम कैंडल मार्च निकाला। पनुन कश्मीर के एक प्रवक्ता ने कहा कि 'कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यकों के रहने लायक माहौल बनाने के लिए सरकार को सुरक्षा की समीक्षा करनी चाहिए। उन्होंने सरकार से समुदाय के लिए पुनर्वास पैकेज पर फिर से विचार करने और मसौदे को अंतिम रूप देने से पहले अपने प्रतिनिधियों से बात करने को कहा।
कश्मीर में हुई हिंदू-सिखों की मर्डर का संज्ञान ले सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चीफ जस्टिस एनवी रमना से कश्मीर में हिंदुओं और सिखों के मर्डर मामलों का संज्ञान लेने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि बीते पांच दिनों में कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदायों के सात लोगों की मर्डर हुई है। उन्हें धर्म पूछकर मारा गया। अधिवक्ता विनीत जिंदल की ओर दायर याचिका में दवा विक्रेता माखन लाल बिंदरू, प्रधानाचार्य सुपिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद की मर्डर का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इन घटनाओं से कश्मीर घाटी में रहने वाले अल्पसंख्यकों में भय व्याप्त हो गया है।
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त बंदोबस्त करने के लिए केंद्र सरकार को व्यापक निर्देश देने की सुप्रीम कोर्ट से मांग
इन हत्याओं ने सन 2000 में अनंतनाग में हुई 36 सिख नागरिकों की सामूहिक मर्डर की घटना की याद ताजा कर दी है। याचिका में कहा गया है कि मर्डर की ताजा वारदातों के बाद बहुत से सरकारी कर्मचारियों ने जान के भय से घाटी को छोड़ दिया है। इन कर्मचारियों को प्रधानमंत्री विशेष रोजगार कार्यक्रम के तहत नौकरियां मिली थीं। इनके अतिरिक्त बड़ी संख्या में असंगठित क्षेत्र के कर्मी भी कश्मीर घाटी छोड़कर जा रहे हैं।याचिका में कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त बंदोबस्त करने के लिए केंद्र सरकार को व्यापक निर्देश देने की सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है।
अनुरोध किया गया है कि वह विशेष प्रतिनिधियों की ऐसी इकाई भी गठित करें जो समय-समय पर कश्मीर में हिंदू और सिखों की सुरक्षा की समीक्षा करे। प्रशासन को आवश्यकता के अनुसार व्यवस्था में सुधार की सलाह दे।सुप्रीम कोर्ट से हिंदू और सिख अल्पसंख्यकों की हालिया हत्या की जांच के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को निर्देश जारी करने का अनुरोध भी किया गया है। पीड़ितों के परिवारों को मुआवजे के रूप में एक करोड़ रुपये देने और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का आग्रह किया गया है।