पारसनाथ को तीर्थ क्षेत्र घोषित करने लेकर विवाद,  आदिवासियों ने निकाली PM,CM व MLA की शव यात्रा

झारखंड के मधुबन-पारसनाथ को तीर्थ क्षेत्र घोषित करने की दिशा में हाल में सेंट्रल व स्टेट गवर्नमेंट की ओर से की गई पहल के खिलाफ आदिवासी-मूलवासियों में आक्रोश है। आदिवासी-मूलवासियों ने मंगलवार को मधुबन से पारसनाथ पर्वत तक आदिवासी-मूलवासियों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। मधुबन स्थित हटिया मैदान में सभा का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में बिहार, ओडिशा, झारखंड व पश्चिम बंगाल से काफी संख्या में आदिवासी व मूलवासी पहुंचे थे।

पारसनाथ को तीर्थ क्षेत्र घोषित करने लेकर विवाद,  आदिवासियों ने निकाली PM,CM व MLA की शव यात्रा
  • नेताओं का पुतला भी फूंका

गिरिडीह। झारखंड के मधुबन-पारसनाथ को तीर्थ क्षेत्र घोषित करने की दिशा में हाल में सेंट्रल व स्टेट गवर्नमेंट की ओर से की गई पहल के खिलाफ आदिवासी-मूलवासियों में आक्रोश है। आदिवासी-मूलवासियों ने मंगलवार को मधुबन से पारसनाथ पर्वत तक आदिवासी-मूलवासियों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। मधुबन स्थित हटिया मैदान में सभा का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में बिहार, ओडिशा, झारखंड व पश्चिम बंगाल से काफी संख्या में आदिवासी व मूलवासी पहुंचे थे।

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आदिवासियों का धर्मगढ़ मरांग बुरू यानी पारसनाथ पर्वत की रक्षा को लेकर मरांग बुरु सांवता सुसार बैसी व आदिवासी- मूलवासी संघर्ष मोर्चा की अगुवाई में मरांग बुरु बचाओ जन आक्रोश रैली निकाली गई। सैकड़ों की संख्या में आदिवासी-मूलवासी प्रदर्शनकारी अपने साथ पीएम नरेंद्र मोदी, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन व गिरिडीह के जेएमएम एमएलए सुदिव्य सोनू का पुतला लेकर रैली सह शव यात्रा पर्वत के ऊपर दिशोम मांझी थान तक पहुंची।

नेताओं के पुतलों के साथ जनाक्रोश रैली
पर्वत के ऊपर तीनों पुतलों का दहन किया गया। इसके पूर्व दिशोम मांझी थान में लोग माथा टेके। मुधबन में दोपहर हजारों लोगों का कार्यक्रम स्थल बिरन गड्डा मैदान में जुटान हुआ। इसके बाद जनाक्रोश रैली पुतलों के साथ निकली। रैली वहां से निकलकर एक किलोमीटर दूर पर्वत पर दिशोम गुरु मांझी थान स्थल तक पहुंची।

पीएम, सीएम के खिलाफ जमकर नारेबाजी
शवयात्रा में केंद्र, राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गयी।  शव यात्रा में पीएम, सीएम व विधायक के खिलाफ नारे लगते रहे। शव यात्रा में दिशोम गुरु शिबू सोरेन व बीजेपी के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ भी नारे लगाए गये। मरांग बुरु का अतिक्रमण बंद करो, आदिवासी मूल वासी एक हो समेत कई तरह के नारे लगाये गये। पहले सभी लोग मांझी थान पहुंचे और वहां पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद रैली पर्वत से नीचे वापस कार्यक्रम स्थल पहुंचकर सभा में तब्दील हो गई। एमएलए लोबिन हेम्ब्रम व गीताश्री उरांव समेत अन्य लोग पहुंचे थे।

आदिवासियों का पारसनाथ पहाड़ पर पहला अधिकार : सालखन
सभा को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि पारसनाथ पहाड़ पर पहला अधिकार हमारे आदिवासियों का है।मरांग बुरू का मामला गिरिडीह और राज्य का ही नहीं, बल्कि देश स्तर का मामला है। जैन धर्मावलंबियों ने हमारे पारसनाथ पहाड़ यानी हमारे ईश्वर पर कब्जा करने के लिए देश भर में आंदोलन किया। सेंट्रल व स्टेट गवर्नमेंट पर दबाव बनाया। इसके खिलाफ आदिवासी-मूलवासियों को एकजुट होना होगा। अपने मरांग बुरू की रक्षा करनी होगी। यह हमारे मरांग बुरू के अस्तित्व का सवाल है। हमें मरांग बुरू के लिए अंतिम सांस तक लड़ाई लड़नी है। इसके लिए सही रणनीति के साथ हमें तैयारी करनी होगी। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार आदिवासी की सरकार है. लेकिन यहां के झामुमो एमएलए आंदोलन को तोड़ना चाह रहे हैं। .

हेमंत पार्टी से हटा सकते हैं, माटी से नहीं : लोबिन

बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि लोगों को विश्वास था कि अबुआ सरकार बनेगी तो विकास होगा लेकिन कुछ भी नहीं हो रहा है.  मरांग बुरू को बचाने के लिए 24 फरवरी को झारखंड बंद रहेगा। चरणबद्ध आंदोलन के द्वारा ट्रेलर दिखाया जायेगा। इसके बाद मोरहाबादी मैदान रांची में फ़िल्म दिखायेंगे। लोबिन ने कहा कि अपनी ही सरकार में अधिकार की भीख मांगनी पड़ती है। मरांग बुरू पारसनाथ पहाड़ शुरू से आदिवासियों-मूलवासियों का रहा है। 25 जनवरी तक मरांग बुरू का अधिकार अगर आदिवासी-मूलवासी को नहीं मिला तो हमलोग आईना दिखा देंगे। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन पार्टी से हमें हटा सकते हैं, माटी से नहीं।अगर सरकार होश में नहीं आयी तो सबक सीख लेगी। जेएमएम एमएलए ने कहा कि बाहरी लोग सीएम का दुलरुआ बना हुआ है।जैन समुदाय ने ही यह स्थिति पैदा की है। लेकिन अब जैन समुदाय आदिवासी-मूलवासी की एकजुटता देखेगा। श्री हेंब्रम ने कहा कि मार्च में चलने वाले विधानसभा सत्र में मरांग बुरू बचाने का सवाल उठाता रहूंगा।
मरांग बुरू हमारा : गीताश्री
एक्स मिनिस्टर गीताश्री उरांव ने कहा कि मरांग बुरू हमारा है। आदिवासी प्रकृति का पूजक रहा है, जहां से हमारी आस्था है। वह मरांग बुरू हमारा है। जल, जंगल और जमीन आदिवासियों के स्वाभिमान का हिस्सा है। राज्य में सीएनटी, एसपीटी एक्ट का उल्लंघन हो रहा है। हमें अपनी विरासत को बचाये रखना है। राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार अगर अभी विचार नहीं करती है तो हम चुप नही बैठेंगे। जो भी जनप्रतिनिधि हमारे साथ धोखा करेगा उन्हें सबक सिखाना होगा।

पारसनाथ पहाड़ के लिए लड़नी है लड़ाई : जयराम

झारखंड खतियानी भाषा संघर्ष समिति के नेता जयराम महतो ने कहा कि किसी भी सर्वे में जैन समाज का एक फ़ीट जमीन नहीं है। पहाड़ तो दूर की बात है। पारसनाथ पहाड़ से इस क्षेत्र के पचास गांव के लोग प्रतिदिन फल, फूल, पत्ता आदि लेकर बाज़ार में बिक्री करते हैं। पारसनाथ पहाड़ के लिए लड़ाई लड़नी होगी। पारसनाथ पहाड़ में हम सदियों से वास करते हैं। जैन समुदाय ने यहां पर सीएनटी एक्ट का उल्लंघन किया है।
सभा को पारसनाथ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक सिकंदर हेंब्रम, मरांग बुरू सावन्ता सुसार बैसि के नूनका टुडू, बुधन हेम्ब्रम, अर्जुन हेंब्रम, फागू मरांडी, अमर तुरी, अजय कश्यप, दशमत हांसदा, मंडल मुर्मू  समेत अन्य ने संबोधित किया। मंच का संचालन अर्जुन मरांडी ने की।

पारसनाथ को सिर्फ जैन तीर्थक्षेत्र घोषित करने के खिलाफ प्रदर्शन
सकल जैन समाज ने मधुबन-पारसनाथ को तीर्थ क्षेत्र घोषित करने की मांग को लेकर गिरिडीह समेत देश भर में प्रदर्शन किया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने पारसनाथ की पवित्रता अक्षुण्ण रखने, मांस-मदिरा पर रोक का कड़ाई से अनुपालन कराने समेत कई निर्देश राज्य सरकार को जारी किये थे। आदिवासी मूलवासी नेताओं का कहना है कि केंद्र व राज्य सरकार की ओर से जारी निर्देश में जैनियों के तीर्थ स्थल का केवल जिक्र है। मरांग बुरु का उल्लेख तक नहीं है। जब तक जारी निर्देश निरस्त नहीं होगा और उसमें मरांग बुरु का उल्लेख नहीं किया जाएगा, तब तक आंदोलन चलता रहेगा।