देवघर: AIIMS के थर्ड ब्लॉक का उद्घाटन , गवर्नर रमेश बैस बोले- डॉक्टर्स में पेसेंस जरूरी, बिना इसके नहीं हो सकते सफल
झारखंड के गवर्नर रमेश बैस गुरुवार को देवघर एम्स के सेकेंड एनुअल समारोह में भाग लिया। गवर्नर ने AIIMS के थर्ड ब्लॉक का उद्घाटन किया। स्टाफ क्वार्टर का उद्घाटन किया। इसके बाद एमबीबीएस फस्ट बैच के स्टूडेंट्ससे मुलाकात की।
देवघर। झारखंड के गवर्नर रमेश बैस गुरुवार को देवघर एम्स के सेकेंड एनुअल समारोह में भाग लिया। गवर्नर ने AIIMS के थर्ड ब्लॉक का उद्घाटन किया। स्टाफ क्वार्टर का उद्घाटन किया। इसके बाद एमबीबीएस फस्ट बैच के स्टूडेंट्ससे मुलाकात की।
देवघर के डाबरग्राम स्थित पंचायत ट्रेनिंग इंस्टीच्युट में संचालित एम्स के शिक्षण संस्थान में आयोजित वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में गवर्नर रमेश बैस ने कहा कि डाक्टर को धरती के भगवान का दर्जा मिला हुआ है। उन पर लोगों की उम्मीदों का काफी दबाव रहता है। ऐसे में डाक्टर को काफी धैर्य से काम करने की जरूरत है। डाक्टर के अच्छे व्यवहार से पेसेंट आधा ठीक हो जाता है।उन्होंने कहा कि इस संस्थान के प्रति लोगों का काफी विश्वास है। हर किसी को लगता है कि अगर उसने एम्स में इलाज कराया तो ठीक हो जायेगा। एम्स में डॉक्टर व अन्य कर्मी जिस सेवा भावना से काम करते हैं उसकी तुलना नहीं हो सकती। देवघर एम्स के बन जाने से स्थानीय व आसपास के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिलेगी।
उन्होंने कहा कि आज सिर्फ एमबीबीएस की पढ़ाई करने से काम नहीं चलने वाला। सफल डाक्टर बनने के लिए पीजी व उससे आगे की पढ़ाई करनी जरूरी है। प्राइवेट कालेजों में पीजी की पढ़ाई के लिए काफी पैसा लिया जाता है। इस पर नियंत्रण करना बड़ी चुनौती है। मेडिकल छात्रों की हौसला अफजाई की. उन्होंने कहा कि बिना पेसेंस के कोई भी डॉक्टर सफल नहीं हो सकते। विदेशों में भारत के डॉक्टर्स पर लोग बहुत विश्वास करते हैं। देवघर एम्स यहां के लोगों के लिए उम्मीद की किरण है।
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इंडिया के डॉक्टरों का विदेशों में बहुत सम्मान है। विदेश के लोग भारतीय डॉक्टर्स पर बहुत विश्वास करते हैं। यदि ऑपरेशन कराना हो, तो विदेश में वहां के डॉक्टरों से लोग ऑपरेशन कराने से हिचकिचाते हैं। लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि डॉक्टर भारतीय हैं, तो बिना डरे वो ऑपरेशन करा लेते हैं। इसलिए एम्स में जितने भी लोग मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, अच्छे डॉक्टर बनें और विश्व में फैल कर भारत का नाम रोशन करें।
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उन्होंने मेडिकल स्टूडेंट्स से कहा कि डॉक्टरों में पेसेंस का होना बहुत जरूरी है। जिस डॉक्टर में पेसेंस नहीं है, वह सफल नहीं हो सकता है। इसलिए एम्स से आप जब पढ़कर निकलेंगे, तो उसकी विश्वसनीयता को बनाये रखें और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमेशा उत्कृष्ट करने की सोच रखें।
गवर्नर कहा कि जब कोई पेसेंट डॉक्टर के पास जाता है, तो परिजनों के लिए डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं. क्योंकि परिजन समझते हैं कि मरीज की जिंदगी को ये ही लौटा सकते हैं। हर डॉक्टर भी चाहता है कि उसका मरीज ठीक हो जाये, लेकिन दुर्भाग्यवश कभी-कभी पेसेंट की मौत भी हो जाती है. तब वही परिजन जो डॉक्टर को भगवान समझते हैं, उन्हें मारने पर उतारू हो जाते हैं।
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सिर्फ MBBS करने का कोई महत्व नहीं
उन्होंने कहा कि मेडिकल की पढ़ाई में MBBS का आज कोई महत्व नहीं है। जब तक आप PG नहीं करेंगे, तब तक आगे बढ़ना मुश्किल होगा। देख रहे हैं कि आज के दौर में कई प्राइवेट मेडिकल कॉलेज हैं, जो पीजी के लिए लंबी चौड़ी फीस की मांग करते हैं जिसे गरीब अभिभावक देने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए अटल जी जब पीएम थे, उन्होंने कहा था कि भारत विकासशील देश है. यहां अच्छी शिक्षा, अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था, अच्छी सड़क का होना बहुत जरूरी है।उनके विजन का ही नतीजा है कि आज सिक्स लेन सड़कें पूरे देश में बनी। एम्स की स्थापना हर राज्य में हो ये कांसेप्ट भी अटल जी के कार्यकाल में ही आया. इसलिए उनकी इस सोच और विजन और आधारभूत संरचना को डेवलप करने का जो सपना उन्होंने देखा था, जो आज धरातल पर उतर रहा है। इसके लिए अटल दी को धन्यवाद देता हूं।
2001 में अटल जी के कार्यकाल छह एम्स की मिली थी स्वीकृति
गवर्नर ने दिवंगत पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि उन्होंने देश को प्रगति की नई राह दिखाई। उन्होंने बताया कि अटल जी के सरकार में वे राज्य मंत्री थे। सुषमा स्वराज केन्द्रीय मंत्री। एक बार दोनों दिल्ली 2001 एम्स गये थे। वहां की भीड़ देखकर उन्होंने सुषमा स्वराज से कहा कि कितना अच्छा होता कि देश के अन्य क्षेत्रों में भी एम्स खुल जाता। सुषमा स्वराज ने उनकी बात को गंभीरता से लिया और चार नये एम्स को मंजूरी दी गई। बाद में दो और एम्स को मंजूरी मिली। अब ये संख्या बढ़ते-बढ़ते 22 तक पहुंच चुकी है। पहली बार रायपुर में मेरे लोकसभा क्षेत्र में एम्स स्वीकृत हुआ। उसके बाद तो नीतिश जी ने बिहार के एम्स मांगा। देखते-देखते कई और एमपी ने एम्स की मांग की। उस वक्त अटल जी के कार्यकाल में छह एम्स की स्वीकृति मिली थी। इसके अलावा सात सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल स्वीकृत हुआ था। 100 करोड़ की लागत से एक एम्स का निर्माण होना था। इसके बाद अटल जी की सरकार चुनाव के बाद फिर नहीं बन पायी। 10 सालों तक एम्स का निर्माण रुका रहा। बाद में सभी सांसदों ने मिल कर पीएम पर दबाव बनाया. तब काम शुरू हुआ।
बेस्ट स्टूडेंट ऑफ द इयर अस्मित अग्रवाल पुरस्कृत
समारोह में गवर्नर रमेश बैस ने एम्स मेडिकल कॉलेज के अस्मित अग्रवाल को बेस्ट स्टूडेंट ऑफ इयर का अवार्ड दिया। यह पुरस्कार श्री अग्रवाल को ओवर ऑल परफॉरमेंस के आधार पर दिया गया है।इससे पूर्व देवघर एम्स के डायरेक्टर डॉ सौरभ वार्ष्णेय ने स्वागत भाषण दिया। देवघर एम्स के अध्यक्ष एनके अरोड़ा, संयुक्त सचिव स्वास्थ्य विभाग PMSSY भारत सरकार निलांबर शरण ने समारोह को संबोधित किया। मंच संचालन डॉ ऋचा ने किया।धन्यवाद ज्ञापन डॉ सत्यरंजन पात्रा ने किया।समारोह में एमएलए नारायण दास, सचिव देवाशीष भूषण, संताल परगना के कमिश्नर चंद्र मोहन प्रसाद कश्यप, डीआइजी सुदर्शन प्रसाद मंडल, देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री, एसपी धनंजय कुमार सिंह और ऑनलाइन वर्चुअल जुड़ने वालों में धनबाद के एमपी पीएन सिंह, संयुक्त सचिव PMSSY स्वास्थ्य विभाग निलांबर शरण, एम्स देवघर के अध्यक्ष एनके अरोड़ा आदि मौजूद थे।