- यात्रा में उमड़े लोग
- नम आंखों से दी अंतिम विदाई
धनबाद। कोयला राजधानी धनबाद के फेमस गायनोलोस्टि डॉक्टर विकास हाजरा और डॉक्टर प्रेमा हाजरा का अंतिम संस्कार रविवार को संपन्न हो गया। बस्ताकोला शमशान घाट में डॉक्टर दंपत्ति की अंतिम विदाई देने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।
बैंक मोड़ टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित आरसी हाजरा मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉक्टर विकास हाजरा व डॉक्टर प्रेरणा हाजरा समेत पांच लोगों शनिवार रात आग लगने से मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम के बाद डॉक्टर दंपत्ति का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए हॉस्पिटल कैंपस में में बने घर में रखा गया। डॉक्टर दंपती को अंतिम दर्शन के लिए परिजनों सहित पूरा धनबाद उमड़ गया था।
बेटी व बेटा मां-पिता से लिपट चित्कार मार लगे रोने
सीसी हाजार हॉस्पिटल में दिन के 10.30 बजे कभी डॉक्टर से इलाज कराने के लिए पेसेंट की भीड़ लगी रहती थी, वहां से रविवार को एक साथ तीन अर्थियां निकली। इस दौरान पूरा माहौल गमगमीन हो गया। आगजनी में डॉक्टर दंपती के अलावा उनके भांजे की भी मृत्यु हो गई है। डॉक्टर फैमिली के तीन लोगों की अकाल मृत्यु से धनबाद वासी बेहद दुखी हैं। वहीं, जब बेटी प्रेरणा और बेटा आयुष अपनी मां और पिता से लिपट कर चित्कार मारकर रोने लगे तो वहां मौजूद सैंकड़ों लोगों की आंख से सू छलक पड़े। लोगों का कहना था कि डॉक्टर विकास हाजरा और प्रेमा हाजरा धनबाद के लिए एक डॉक्टर ही नहीं गरीब और समाज के लिए एक मसीहा के रूप में थे। वे हर सुख-दुख में सभी के साथ खड़े रहते थे। डॉक्टर दंपत्ति के एक साथ इस तरह से चले जाने धनबाद ही नहीं झारखंड पश्चिम बंगाल उड़ीसा के लिए सबसे बड़ी क्षति है।
एसएनएमएमसीएच में पोस्टमार्टम के बाद तीनों बॉडी पहले टेलीफोन एक्सचेंज रोड बैंक मोड़ आरसी हाजरा हॉस्पिटल लाया गया। वहां अंतिम दर्शन के लिए परिचितों, चाहने वालों व की भीड़ लग गई। डॉक्टर दंपत्ति के बेटे व बेटी के साथ परिजन रोते बिलखते रहे। लोग उन्हें ढाढ़स बंधाते रहे सभी ने अपने नम आंखों से डॉक्टर दंपती को अंतिम विदाई दी। डॉक्टर विकास हाजरा, उनकी पत्नी डॉ प्रेमा हाजरा और भांजे सोहम खमारू रविवार की दोपहर बस्ताकोला गोशाला मुक्तिधाम में पंचतत्व मेंविलीन हो गये। पुत्र आयुष हाजरा और पुत्री प्रेरणा हाजरा ने मिल कर अपने माता-पिता डॉ विकास और डॉ प्रेमा को मुखाग्नि दी। सोहम खमारू की मां मीता ने अपने पुत्र को गोशाला मुक्तिधाम तक कांधा देकर चिता तक पहुंचाया। हाजरा अस्पताल से मामा, मामी और भांजे की एक साथ शव यात्रा निकली तो पूरा माहौल गमगीन हो गया।
मेरे माता पिता को मारा गया है: प्रेरणा हाजरा
डॉक्टर दंपती की पुत्री प्रेरणा हाजरा नेपाल में एमबीबीएस की पढ़ाई करती है। बेटा आयुष हाजरा पांडुचेरी में मेडिल की पढ़ाई करता है। माता-पिता के हादसे की खबर सुनकर दोनों शनिवार की रात धनबाद पहुंचे। बेटी प्रेरणा अपने माता-पिता की बॉडी देखते ही बेसुध हो गयी। गम व गुस्से में वह रोची रही। प्रेरणा बार-बार कह रही थी कि उनके माता-पिता को मारा गया है। इस कांड के पीछे कोई साजिश है। प्रेरणा यह भी कह रही थीं कि पापा मैं आपके हत्यारों को सजा दिला कर रहूंगी...। माता-पिता की एक साथ मौत से दोनों बच्चे स्तब्ध हैं। पुत्र आयुष बार-बार कह रहा था कि पापा मैं काबिल डॉक्टर बनूंगा। अगलगी में मौत के शिकार हुए कुत्ते की बॉडी के पास भी प्रेरणा काफी देर तक रोती रही।
डॉक्टर दंपत्ति की शव यात्रा में आईएमए के अध्यक्ष डॉ. एके सिंह, डॉ निर्मल ड्रोलिया, डॉ निखिल ड्रोलिया, डॉ एनएम दास, डॉ अर्पिता दास, डॉ मेजर चंदन, डॉ सुशील कुमार, डॉ कैसी चांद, डॉ मंजीत सिंह, एक्स मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल, विजय झा, डॉक्टर शिवानी झा, रोटरी क्लब के मेंबर समेत बड़ी संख्या में कोयलांचल व अन्य जगहों के लोग शामिल हुए।
1958-1959 में हुआ था हाजरा फैमिली का धनबाद में आगमन
कोयला राजधानी धनबाद में हाजरा फैमिली का आगमन 1958-59 में हुआ। डॉक्टर विकास हाजरा के पिता डॉक्टर सीसी हाजरा से कोलियारी मालिक इलाज करवाते थे। वे यहां के जान-माने गायनी स्पेशललिस्ट थे। इसके बाद से डॉ. सीसी हाजरा धनबाद में ही बस गये। 1959 में हाजरा परिवार धनबाद आया था। हाजरा परिवार को धनबाद में बसाने में गुजरात के कोलियरी मालिक का बड़ा योगदान था। कोलियारी मालिक धनबाद के कई कोलियरी के मालिक थे। उन्होंने लंबे समय तक धनबाद के लक्ष्मी नारायण अस्पताल में सेवा दी। उसके बाद जब सरकार ने लक्ष्मीनारायण अस्पताल का टेकओवर किया तो डॉ. हाजरा ने लक्ष्मीनारायण अस्पताल के बगल में ही अपना प्राइवेट हॉस्पिटल बना लिया। 1981 में यह अस्पताल बनना शुरू हुआ। 1983 में हाजरा हॉस्पिटल चालू हो गया। 1985-1986 में विकास हाजरा भी मुबंई से मेडिकल की पढ़ाई कर धनबाद लौट आये। विकास भी पिता के साथ मिलकर ही लोगों को चिकित्सा सेवा में लग गये।