Dhanbad: कृष्णा अग्रवाल का सत्याग्रह 30 नवंबर से
कोयला राजधानी धनबाद में गिरतील़ॉ एंड ऑर्डर की व्यवस्था का आरोप लगाकार बीजेपी से इस्तीफा देने वाले मारवाड़ी महासभा के धनबाद जिला अध्यक्ष कृष्णा अग्रवाल का सत्याग्रह आंदोलन 30 नवंबर से शुरू होगा उन्होंने प्रेस कांफ्रेस कर सत्याग्रह की डिटेल शेयर की। लोगों से भागीदारी की अपील की। कृष्णा अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि आखिर क्यों ,वह बीजेपी से इस्तीफा देकर सत्याग्रह आंदोलन के लिए प्रेरित हुए।
- कोयलांचल में बिगड़ती लॉ एंड ऑर्डर व्यवस्था के लिए खाकी से अधिक खादी जिम्मेवार: अशोक सिंह
- पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने किया समर्थन का एलान
धनबाद। कोयला राजधानी धनबाद में गिरतील़ॉ एंड ऑर्डर की व्यवस्था का आरोप लगाकार बीजेपी से इस्तीफा देने वाले मारवाड़ी महासभा के धनबाद जिला अध्यक्ष कृष्णा अग्रवाल का सत्याग्रह आंदोलन 30 नवंबर से शुरू होगा उन्होंने प्रेस कांफ्रेस कर सत्याग्रह की डिटेल शेयर की। लोगों से भागीदारी की अपील की।
कृष्णा अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि आखिर क्यों ,वह बीजेपी से इस्तीफा देकर सत्याग्रह आंदोलन के लिए प्रेरित हुए।
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सह कांग्रेस लीडर अशोक कुमार सिंह ने कहा कि वह कृष्णा अग्रवाल ने, जो मुद्दे उठाए हैं, उसका समर्थन करते हैं। सहयोग करेंगे और सत्याग्रह में साथ भी रहेंगे। अशोक सिंह ने कहा कि धनबाद में बिगड़ती लॉ एंड ऑर्डर व्यवस्था के लिए खाकी से अधिक खादी जिम्मेवार है। जिले में जो भी नेतागिरी कर रहे है या खादी पहनकर घूम रहे है, सभी की कोयले के धंधे में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष भागीदारी है। कोयला क्षेत्र में "अनबैलेंस" की स्थिति पैदा कर दी गई है। बीसीसीएल के रेगुलर मजदूरों के बीच तीन सौ करोड़ रुपये पूजा में बोनस बंटते हैं लेकिन आउटसोर्स कंपनियों के मजदूरों को कुछ नहीं मिलता। कोई इसके खिलाफ आवाज नहीं उठता, जो भी आंदोलन करते हैं, उनका अपना कुछ ना कुछ स्वार्थ रहता है।
ढुल्लू महतो का आंदोलन जनहित के वजाए स्वहित था
उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में बाघमारा एमएलए ढुल्लू महतो ने रणधीर वर्मा चौक पर धरना देकर जो आंदोलन किया था, उस आंदोलन में सांसद भी शरीक हुए। लेकिन उस आंदोलन का मकसद जनहित नहीं, स्वहित था। इसी प्रकार जब कृष्णा अग्रवाल ने सत्याग्रह की घोषणा की तो एमएलए राज सिन्हा भी सामने आ गये। अशोक कुमार सिंह ने कहा कि जब तक आर्थिक अपराध पर अंकुश नहीं लगाया जायेगा, तब तक क्राइम की घटनाओं पर भी नियंत्रण पाना कठिन है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार और यहां के नेताओं को जड़ में जाकर समझना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि जब तक रोजगार की व्यवस्था नहीं होगी, केवल स्वहित में आंदोलन करने वाले मजदूरों का खून चूसते रहेंगे। लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ती रहेगी।
उन्होंने कहा कि हम सरकार को सुझाव देना चाहेंगे कि धनबाद में आईटी पार्क का निर्माण किया जाए। धनबाद के बच्चे धनबाद के दो बड़े संस्थानों से पढ़कर बेंगलुरु या विदेश चले जाते है. क्योंकि उन्हें यहां नौकरी नहीं मिलती। अगर आईटी हब बन जाए तो बहुत सारी सहूलियतें होंगी। उन्होंने स्पेशल इकनॉमिक जोन बनाने की मांग करते हुए कहा कि ऐसा होने से उद्योगों का जाल बिछ जायेगा। क्योंकि उद्योग लगाने वालों को कई तरह के सहूलियते मिलने लगेंगी। हवाई और समुद्र के रास्ते एक्सपोर्ट की भी सुविधा जो धनबाद से महज़ तीन सौ किलोमीटर कलकता में उपलब्ध है। धनबाद में अभी लॉ एंड ऑर्डज्र की व्यवस्था में सुधार के लिए हर तरफ से आवाज़ उठ रही है। बिजनमैन वर्ग अभी भी डरा -सहमा है।
मटकुरिया गोलीकांड के मुकदमे को भी वापस ले सरकार
अशोक कुमार सिंह ने कहा सरकार को मटकुरिया गालीकांड के मुकदमे को भी वापस लेना चाहिए ,क्योंकि यह लोग जनता की मांग और जनता हित के लिए आंदोलन कर रहे थे। इनका कोई अपना स्वार्थ नहीं था। उस समय झारखंड में भाजपा की सरकार थी और यह सरकार राजनीति से प्रेरित होकर मुकदमा दर्ज करायी। अगर इस मुकदमे में पूर्व मंत्री मन्नान मलिक सहित अन्य को सजा हो जाती है तो फिर कोई भी नेता जनता के मुद्दों पर क्यों आग से खेलेगा। इस मामले में बीजेपी के एक्स एमएलए संजीव सिंह का भी नाम था लेकिन सरकार के दवाब में उनका नाम प्राथमिकी से हटा दिया गया। जिस तरह राज्य सरकार तत्कालीन मंत्री (अब स्वर्गीय ) जगरनाथ महतो समेत पांच आरोपियों पर चल रहे मुकदमे को वापस लेने का निर्णय लिया है, उसी तरह धनबाद के मटकुरिया में 2011 में हुई फायरिंग में पूर्व मंत्री मन्नान मल्लिक सहित 35 लोग आरोपी है के मुकदमे को वापस लिया जाना चाहिए।