धनबाद: सेल चासनाला कोलियरी डिवीजन के पिस्टल व बुलेट वाले दबंग अफसर का सीनीयर व जूनियरों में है खौफ !
सेल चासनाला कोलियरी डिवीजन में 20 साल से पोस्टेड पिस्टल व बुलेट वाले दबंग अफसर से सीनीयर हो या जूनियर सभी खौफ खाते हैं। साहब अपनी हुजूरगिरी से सीनीयर को प्रभाव में कर लेते हैं। भय से जूनियर को दबा कर रखते हैं।
- खाता न बही जे साहब कहे वही सही
- वैकिल से लेकर गेस्ट हाउस में भी साहब का सिंडिकेट
- अंगद की पांव की तरह जमे हैं 20 साल से
धनबाद। सेल चासनाला कोलियरी डिवीजन में 20 साल से पोस्टेड पिस्टल व बुलेट वाले दबंग अफसर से सीनीयर हो या जूनियर सभी खौफ खाते हैं। साहब अपनी हुजूरगिरी से सीनीयर को प्रभाव में कर लेते हैं। भय से जूनियर को दबा कर रखते हैं। साहब का विरोध करने वाले कोलियरी डिवीजन से चलता कर दिये जाते हैं।
अप्रत्यक्ष रुप से सभी डिपार्टमेंट पर रौब
सीबीआइ हो या विजीलेंस, प्रशासन हो या पुलिस पिस्टल वाले साहब की कंपलेन करने पर कुछ नहीं होता है। साहब के खिलाफ जांच होती है लेकिन उन्हें क्लीन चीट मिल जाता है। फंस जाते हैं उनके कलिग व जूनियर। यही कारण है कि साहब चासनाला में 20 साल से खुंटा गाड़ कर जमे रहे हैं। अंगद की पांव से भी साहब का पांव भारी है तब ही तो कोई उखाड़ नहीं पा रहा है। कहने तो साहब अपने डिपार्टमेंट के HOD के बाद दूसरे नंबर पर है। लेकिन वह अपने HOD बाबा को गेस्ट हाउस में रखकर बोतल की सेवा देकर खुश रखते हैं। बाबा को बाहर का नजारा देखने ही नहीं देते हैं। बाबा भी सेवा लेकर मौन बने हुए हैं।
मैनेज करने व सेटिंग-गेटिंग में हैं माहिर
साहब की कृपा से कोलियरी डीविजन में किराये पर चलने वाली गाड़ी का टेंडर नहीं हो रहा है। नोटशीट पर ही काम चल रहा है। प्राइवेट नंबर की गाड़ियों का कॉमर्शियल सर्विस लिया जा रहा है। साहब की कृपा से चंद पुलिस व प्रशासन के अफसरों को कंपनी गाड़ी दे रखी है। साहब उन अफसरों को रौब दिखाकर कंपनी में अपना मार्केट चला रहे हैं। स्कूल में किराये पर चलने वाली बसों का टेंडर व या अन्य सभी साहब से जुड़े सिंडिकेट का कब्जा है। साहब की गलत कृत्य का विरोध करने वाले साइड धरा दिये जाते हैं। साहब कहते हैं कि जो विरोध करेगा वह जायेगा जो साथ रहेगा व स्थिर रहेगा। साहब की एजुकेशन क्वालिफिकेशन पर भी सवाल खड़ा हो रहा है। बावजूद दिल्ली से लेकर रामनगर तक साहब का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाता है तब ही तो 20 साल पार होने को है। साहब नेताओं को अपनी जेब में रखने का दावा करता है।
सीनीयर मौन व जूनियर को पावर
बुलेट वाले साहब जिले के आइएएस,आइपीएस व एडमिस्ट्रेटिव अफसर को अपना फ्रैंड बताते हैं। माफिया व डॉन संबंध होने की बात कह हरकाते रहते हैं। यही कारण है कि साहब से सक्षम कई कोलियरी में ऑफिसर हैं बावजूद वह कंपनी का वह डिपार्टमेंट अपने जिम्मे में ले रखा है। अपनी पर्सनल विवाद व लड़ाई को कंपनी के माथे मढ़कर लड़ते हैं। इसमें कंपनी को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। आठ-आठ बार प्रमोशन लेकर एजीएम बन गये हैं। कितने ईडी व जीएम बदले लेकिन दबंग चासनाला में जमे हुए हैं। कंट्रेक्टर हो या कांटा, सिक्युरिटी हो या इस्टेट, पसर्नल हो या कोलियरी चारों ओर इनकी तूती बोलती है।