चुनाव आयोग ने देवघर डीसी को किया शॉ कॉज, MP निशिकांत दूबे और IAS मंजूनाथ में आर-पार की लड़ाई
चुनाव आयोग ने देवघर DC मंजूनाथ भजंत्री को गोड्डा एमपी निशिकांत दुबे पर एक ही दिन में पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराने के मामले में शो-कॉज किया है। आयोग ने DC से कारण बताने के लिए कहा है कि आखिर मौखिक तौर BDO से केस दर्ज कराने के लिए किस आधार पर कहा गया?
- एमपी निशिकांत दुबे पर एक ही दिन में पांच पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराने के मामले में शो-कॉज
देवघर। चुनाव आयोग ने देवघर DC मंजूनाथ भजंत्री को गोड्डा एमपी निशिकांत दुबे पर एक ही दिन में पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराने के मामले में शो-कॉज किया है। आयोग ने DC से कारण बताने के लिए कहा है कि आखिर मौखिक तौर BDO से केस दर्ज कराने के लिए किस आधार पर कहा गया?
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आयोगना पूछा है कि जहां आचार संहिता लागू नहीं था उस पुलिस स्टेशन एरिया में भी एफआइआर क्यों दर्ज कराया गया? FIR करने से पहले आयोग को इसकी सूचना क्यों नहीं दी गई? आयोग ने DC से पूछा है कि आदर्श आचार संहिता उल्लंघन मामले में छह महीने की देरी से क्यों FIR दर्ज कराई गई है?
उल्लेखनीय है कि मधुपुर विधानसभा उप-चुनाव के दौरान एमपी ने ने DC की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कई ट्वीट किये थे। डीसी के आदेश पर उसी ट्वीट को आधार बनाते हुए देवघर के टाउन पुलिस स्टेशन, देवीपुर पुलिस स्टेशन, बुढैई पुलि स्टेशन, मधुपुर पुलिस स्टेशन और चितरा पुलिस स्टेशन में एफआइआक दर्ज कराई गई थी।इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने झारखंड के मुख्य निवार्ची पदाधिकारी को DC से सात दिन के भीतर जवाब पूछने के लिए कहा है। राज्य के मुख्य निवाची पदाधिकारी को भी 10 दिन के भीतर यह जवाब सबमिट करने के लिए कहा गया है।
बीजेपी एमपी निशिकांत दूबे और देवघर डीसी के बीच चल रहा है विवाद
देवघर में निशिकांत दूबे के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन की पांच एफआइआर दर्ज होने के चलते राजनीतिक तपिश बढ़ी हुई है। एमपी निशिकांत दुबे पर देवघर के नगर, मधुपुर, देवीपुर और चितरा पुलिस स्टेशन में पांच अलग-अलग मामले दर्ज हुए हैं। ये सभी मामले बीडीओ, जिला संपर्क अधिकारी के बयान पर दर्ज किये गये हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस मामले से पल्लाे झाड़ लिया था।मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रविकुमार ने कहा कि इस मामले को भारत निर्वाचन आयोग स्वयं अपने स्तर से देख रहा है। जो भी कार्रवाई होगी आयोग के स्तर से होगी। इसमें राज्य के मंत्रिमंडल निर्वाचन विभाग की कोई भूमिका नहीं है।
निशिकांत दूबे के समर्थन में बीजेपी डेलीगेशन मंत्रिमंडल निर्वाचन आयोग के ऑफिस पहुंच कंपलेन किया था। जामताड़ा एमएलए डाक्टर इरफान अंसारी देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री के पक्ष कहा था कि वे कानून के तहत कार्रवाई कर रहे हैं। एमएलए ने एमपी को हल्का आदमी बताते हुए नसीहत दी कि वे कानून का सम्मान करें और प्रशासनिक अधिकारियों पर अनावश्यक दबाव बनाना बंद करें। उन्हें कानूनी कार्रवाई में बाधा पैदा नहीं करना चाहिए। दूबे को सांसद पद की मर्यादा का ख्याल नहीं है। जनता उन्हें नकार चुकी है। यही वजह है कि वे गोड्डा की बजाय देवघर में अधिक समय देते हैं।
किस हैसियत से डीसी ने एफआइआर कराई : निशिकांत
एमपी डा. निशिकांत दुबे ने कहा था कि अप्रैल में मधुपुर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हुआ था। डीसी ने तब चुनाव आयोग को रिपोर्ट दी थी। भारत निर्वाचन आयोग ने उस पर रोक लगाई थी। डीसी की ऐसी हरकतों पर ही उनको चुनाव से अलग कर दिया गया था। ऐसे में आज वे किस हैसियत से विभिन्न पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज कराये हैं। आयोग ने उन पर एफआिआर दर्ज करने से मना कर दिया था। सवाल है कि आचार संहिता मामले में आयोग ऊपर है या डीसी। दूसरी बात यह कि एफआइआर में जिस धारा 171 की चर्चा की गई है वह तब लगती है जब आदर्श आचार संहिता लागू हो। आज तो आचार संहिता ही लागू नहीं है। तब एफआइआर का आधार क्या है। उपायुक्त तो बाल सुलभ हरकत करते हैं। इससे जनता का मनोरंजन होता है। हम उनकी बात दूध भात की तरह लेते हैं।