DMC में 200 करोड़ रुपये के Estimate Scam: एक्स मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल से ACB ने चार घंटे तक की पूछताछ
धनबाद नगर निगम (डीएमसी) में 200 करोड़ रुपये के इंटीग्रेटेड सड़क इस्टीमेट घोटाले की जांच कर रही एसीबी ने सोमवार को एक्स मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल से घंटो पूछताछ की। एसीबी ऑफिस में डीएसपी नितिन खंडेलवाल ने लगभग चार घंटे तक एक्स मेयर ग 40 प्रश्न पूछे। इसमें आय से अधिक संपत्ति और इस्टीमेट घोटाले से संबंधित प्रश्न शामिल थे।
धनबाद। धनबाद नगर निगम (डीएमसी) में 200 करोड़ रुपये के इंटीग्रेटेड सड़क इस्टीमेट घोटाले की जांच कर रही एसीबी ने सोमवार को एक्स मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल से घंटो पूछताछ की। एसीबी ऑफिस में डीएसपी नितिन खंडेलवाल ने लगभग चार घंटे तक एक्स मेयर ग 40 प्रश्न पूछे। इसमें आय से अधिक संपत्ति और इस्टीमेट घोटाले से संबंधित प्रश्न शामिल थे।
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एसीबी पूछताछ में बीजेपी लडीर श्री अग्रवाल ने अपने जवाब में सारे आरोपों को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा-राजनीतिक साजिश के तहत कंपलेन की गई है। एसीबी ने एक्स मेयर से इंटीग्रेटेड सड़क निर्माण के तकनीकी पहलुओं, निर्माण की लागत, नाली, एलईडी लाइट, पेवर्स ब्लाक आदि का प्रावधान, परामर्शी एजेंसी मेसर्स मास एंड वायड से डीपीआर तैयार कराने, इसके एवज में परामर्श शुल्क भुगतान से संबंधित विस्तृत जानकारी ली। इससे पहले भी एसीबी ने अप्रैल से अभी तक कई बार पूर्व मेयर को पत्र भेजकर जानकारी मांगी थी।
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एसीबी 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत प्राक्कलन घोटाले की जांच की जा रही है। एक्स मेयर पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और प्राक्कलन घोटाले में संलिप्ता का आरोप है।डीएमसी में 14वें वित्त आयोग की योजना में लगभग 200 करोड़ रुपये के प्राक्कलन घोटाले की जांच एसीबी कर रही है। 14वें वित्त आयोग की राशि से धनबाद नगर निगम में 40 सड़कें स्वीकृत की गई थीं। इनमें से 27 का प्राक्कलन नगर निगम के ही तकनीकी पदधिकारियों ने बनाया। डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने के एवज में किसी भी परामर्शी एजेंसी को शुल्क का भुगतान नहीं किया। इसमें 13 सड़कों के साथ नाली, एलईडी लाइट, पेवर्स ब्लाक आदि का प्रावधान होने के कारण परामर्शी एजेंसी मेसर्स मास एंड वायड से इसका डीपीआर और परामर्श शुल्क देकर डिजाइन तैयार कराया गया। इन 13 सड़कों की कुल प्राक्कलित राशि 156.33 करोड़ रुपये है। इसके डीपीआर के अवलोकन से पता चला कि किसी भी डीपीआर में डिजाइन संलग्न नहीं है। डीपीआर में तकनीकी प्रतिवेदन भी नहीं है। इसके अलावा सड़कें बनाने में कई खामियां रहीं। तकनीकी प्रावधानों के उल्लंघन का भी आरोप लगाया गया है।
बरटांड़ के राजकुमार ने लोकायुक्त से की थी कंपलेन
बरटांड़ निवासी राजकुमार ने लोकायुक्त से उक्त कंपलेन की थी। लोकायुक्त ने नगर विकास विभाग को जांच का निर्देश दिया। विभाग के तत्कालीन संयुक्त सचिव एके रतन के नेतृत्व वाली टीम ने अपनी रिपोर्ट में मामले की विस्तृत जांच कराने की अनुशंसा की थी। आरोप है कि धनबाद नगर निगम में 14वें वित्त आयोग की राशि से बनने वाली सड़कों का परामर्शी से डीपीआर तैयार कराकर तत्कालीन मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल के निर्देश पर पहले से अच्छी स्थिति वाली पीसीसी सड़कों को ही तोड़कर प्राक्कलित राशि कई गुना बढ़ा दी गई। फिर उसी पीसीसी सड़कों का निर्माण करा दिया गया। इस मामले में एसीबी प्रारंभिक सूचना दर्ज कर जांच कर रही है। जांच का विषय यह है कि यह मामला चलने लायक है या नहीं? एसीबी की रिपोर्ट के आधार पर गवर्नमेंट एफआइआर दर्ज कर कार्रवाई करने का निर्देश देगी। हालांकि इस मामले में अब तक कंपलेन करने वाला सामने नहीं आया है। एसीबी को कंपलेनर की तलाश है।
चंद्रशेखर अग्रवाल ने कहा है कि मैने जांच में पूरा सहयोग किया। लगभग चार घंटे तक एसीबी ने कई चीजों के बारे में जाना। एसीबी ने सड़क निर्माण, इसके तकनीकी चीजों को भी समझने का प्रयास किया। एसीबी प्रश्नों के जवाब से संतुष्ट दिखी। इससे पहले भी एसीबी को जांच में सहयोग किया था। जितनी बार एसीबी ने पत्र दिया उसका पूरा जवाब तथ्यों के साथ दिया।