IAS पूजा सिंघल ने मनरेगा घोटाले में गलत तरीके से NGO को दिए फंड, जंगल की भूमि को किया ट्रांसफर
ईडी ने मनरेगा घोटाला मामले में झारखंड हाई कोर्ट में दाखिल शपथपत्र में दो अन्य घटनाओं की जांच करने की बात कही है। ईडी ने शपथ पत्र में बताया है कि आइएएस अफसर पूजा सिंघल के चतरा और पलामू डीसी रहने के दौरान हुए कार्यों की भी वह जांच कर रहा है।
- चतरा में मनरेगा फंड से मूसली की खेती के लिए गलत तरीके से दो एनजीओ को फंड दिया
- पलामू में जंगल भूमि को खनन कार्य के लिए किया ट्रांसफर
रांची। ईडी ने मनरेगा घोटाला मामले में झारखंड हाई कोर्ट में दाखिल शपथपत्र में दो अन्य घटनाओं की जांच करने की बात कही है। ईडी ने शपथ पत्र में बताया है कि आइएएस अफसर पूजा सिंघल के चतरा और पलामू डीसी रहने के दौरान हुए कार्यों की भी वह जांच कर रहा है। इनमें एक चतरा में मनरेगा फंड से मूसली की खेती के लिए गलत तरीके से दो एनजीओ को फंड देने का मामला । दूसरा मामला पलामू में जंगल भूमि को खनन कार्य के लिए स्थानांतरित करने से संबंधित है। दोनों ही मामले के समय पूजा सिंघल संबंधित जिलों की डीसी रही है।
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झारखंड हाई कोर्ट में अरुण कुमार दुबे ने जांच एजेंसी पर यह सवाल उठाते हुए जनहित याचिका दायर की थी कि मनरेगा घोटाले में बड़े अफसरों के खिलाफ जांच नहीं किया जा रहा है। इसके बाद ही ईडी ने झारखंड हाई कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर अपनी चल रही कार्यवाही और जांच की जानकारी दी है।
खूंटी में मनरेगा में 18.06 करोड़ रुपये के घोटाले
ईडी ने झारखंड हाई कोर्ट को अपने दिये शपथ पत्र के माध्यम से बताया है कि खूंटी जिले में मनरेगा में 18.06 करोड़ रुपये के घोटाले के समय वहां की डीसी पूजा सिंघल थी। इस मामले में वहां के जूनियर इंजीनियर राम विनोद प्रसाद सिन्हा अरेस्ट कर जेल भेजे गये थे। उन्होंने ईडी को दिए अपने बयान में यह स्वीकार किया है कि कमीशन की राशि डीसी ऑफिस तक पहुंचती थी। ईडी ने चतरा और पलामू के भी दोनों मामलों की चल रही जांच की जानकारी अपने शपथ पत्र के माध्यम से हाई कोर्ट को दी है।