NCP में अंदरूनी कलह, शरद पवार के सामने ही मंच छोड़कर चले गये अजित पवार
पॉलिटिक्स के चाणक्य कहे जाने वाले एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की पार्टी NCP अंदरूनी कलह और गुटबाजी से जूझ रही है। महाराष्ट्र में जब पार्टी सत्ता में थी तब तक कलह छिपा हुआ था लेकिन सरकार जाते ही अब यह खुलकर सामने आ गया है। यह रविवार को एनसीपी के आठवें राष्ट्रीय अधिवेशन में देखने को मिला।
- पार्टी अधिवेशन में अपने से पहले महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल को माइक दिए जाने से हुए नाराज
नई दिल्ली। पॉलिटिक्स के चाणक्य कहे जाने वाले एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की पार्टी NCP अंदरूनी कलह और गुटबाजी से जूझ रही है। महाराष्ट्र में जब पार्टी सत्ता में थी तब तक कलह छिपा हुआ था लेकिन सरकार जाते ही अब यह खुलकर सामने आ गया है। यह रविवार को एनसीपी के आठवें राष्ट्रीय अधिवेशन में देखने को मिला।
मंच पर सबसे पहले पार्टी सुप्रीमो शरद पवार ने अपने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को संबोधित किया। इसके बाद महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्षजयंत पाटिल को मंच पर संबोधन के लिए बुलाया गया। इसके बाद तीसरे नंबर पर शरद पवार के भतीजे और पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले अजित पवार को संबोधित करना था। लेकिन अजीत पवार नाराज होकर मंच से चले गये और आखिर तक वापस नहीं लौटे। सीनीयर एनसीपी लीडर प्रफुल पटेल यह कहते रहे कि दादा (अजित पवार) वॉशरूम (टॉयलेट) गये हैं जल्द ही आयेंगे। इस दौरान मंच पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार, प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल, प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले जैसे नेता भी मौजूद थे। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
अजित पवार की नाराजगी के कारण
शरद पवार के लिए यह हैरत और दुख दोनों से भरा हुआ था। उन्होंने मंच पर इस तरह की बेइज्जती का अहसास शायद पहले कभी नहीं किया होगा। वो भी अपने ही भतीजे की वजह से। अजित पवार का मंच से इस कदर चले जाने के बाद उनके समर्थकों ने जमकर नारेबारी भी की। एक तरह से यह उनके समर्थकों का शक्ति प्रदर्शन भी था। हालांकि हमेशा की तरह इस बार भी अजित पवार को मनाने की जिम्मेदारी शरद पवार की बेटी और एमपी सुप्रिया सुले को दी गई है। वो उनके अजित पवार के पीछे गईं भी लेकिन बात नहीं बनी।
प्रिया सुले उन्हें मनाने के लिए गईं, लेकिन वह लौटे नहीं
बताया जाता है कि एनसीपी के राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान पार्टी के सभी दिग्गज मंच पर मौजूद थे। इस दौरान शरद पवार के बाद अजित पवार को कार्यकर्ताओं को संबोधित करना था। लेकिन उनसे पहले प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल को बोलने का मौका दे दिया गया। संभवत: यह बात अजित पवार को पसंद नहीं आई। वह मंच से उठकर चले गए। इसके बाद सुप्रिया सुले उन्हें मनाने के लिए गईं, लेकिन वह लौटे नहीं। वहीं मंच पर मौजूद प्रफुल्ल पटेल ने इस दौरान समर्थकों को मनाने की काफी कोशिश की। उल्लेखनीय है कि अजित पवार ने साल 2019 में देवेंद्र फडणवीस को समर्थन देकर महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार बनवाई थी। इसके बाद से ही चाचा-भतीजे के संबंधों में दरार आने लगी थी।
दिल्ली के सामने नहीं झुकेंगे: पवार
इससे पूर्व अधिवेशन को संंबोधित करते हुए एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा था कि उनकी पार्टी दिल्ली में मौजूद शासकों के सामने कभी आत्मसमर्पण नहीं करेगी। पवार ने बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए गैर-भाजपा दलों से एक बार फिर मिलकर काम करने का आह्वान किया। वहीं केंद्र सरकार को महंगाई, बेरोजगारी, किसानों के प्रदर्शन से निपटने के तरीके और देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाने के मुद्दे पर आड़े हाथों लिया। अधिवेशन में शरद पवार को सर्वसम्मति से एक बार फिर अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। मीटिंग में शरद पवार ने बताया कि एनसीपी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला है। पार्टी अब और भी दमखम के साथ लोकसभा और अन्य चुनावों में उतरेगी। हालांकि शरद पवार ने यह भी बता दिया कि वो पीएम की रेस में न तो थे और न ही आगे इच्छुक हैं।
दो धड़ों में बंटी एनसीपी
महाराष्ट्र की सियासत में यह बात सार्वजनिक है कि एनसीपी दो धड़ों में बंटी हुई है। एक धड़ा सुप्रिया सुले का सुप्रिया सुले का समर्थन करता है तो दूसरा अजित पवार का। जयंत पाटिल भी विरोधी खेमे के माने जाते हैं। शरद पवार की ही तरह महाराष्ट्र की सियासत में अजित पवार के बारे में कहा जाता है कि उनके मन में क्या चल रहा है यह कोई नहीं जानता। महाराष्ट्र की सियासत में शरद पवार और सुप्रिया सुले के खेमे में जितेंद्र आव्हाड, जयंत, दिलीप वलसे पाटिल, छगन भुजबल जैसे कद्दावर नेता हैं। वहीं अजित पवार को मानने वाले धनजंय मुंडे, सुनील तटकरे जैसे कई नेता हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि एनसीपी में शरद पवार के बाद अजित पवार जैसा कोई मास लीडर नहीं है। इसके पीछे उनकी कार्यशैली है। अजित पवार सुबह छह बजे से ही काम मे जुट जाते हैं। देर रात तक काम करना, लोगों और कार्यकर्ताओं से मिलना उनकी आदत में हैं।उनकी यह विशेषता उन्हें पार्टी में अन्य नेताओं से अलग करता है। अजित पवार की कार्यशैली की तारीफ सदन में खुद सीएम एकनाथ शिंदे भी कर चुके हैं।
2019 में पार्टी से अलग हो गये थे अजीत पवार
वर्तमान समय में अजित पवार की नाराजगी एनसीपी की सेहत के लिए ठीक नहीं है। हालांकि इसके पहले जब भी वो नाराज हुए हैं उन्हें मना लिया गया है।लेकिन क्या इस बार भी वो मानेंगे और क्या उन्हें पहले की तरह मनाया जायेगा। वर्ष 2019 में अजित पवार की नाराजगी और देवेंद्र फडणवीस के साथ सुबह-सुबह सरकार बनाने की कारनामा पूरे देश और दुनिया में चर्चित हुआ था। उस दौरान भी अजित पवार का विरोधी खेमा उन्हें पानी पी-पीकर भला बुरा कह रहा था। हालांकि तब शरद पवार उनकी नाराजगी दूर करने में कामयाब रहे थे। दोबारा पार्टी में आने के बाद उन्हें सरकार और पार्टी में नंबर दो की पोजीशन भी दी गई थी। इसके बाद उन्होंने महाविकास अघाड़ी सरकार में ढाई साल तक डिप्टी सीएम का पदभार संभाला था।