JBCCI11: कोल इंडिया मैनेजमेंट और यूनियन में मतभेद, प्रतिनिधियों ने बीच में छोड़ी वेतन समझौते की 7वीं बैठक
कोल इंडिया के हेडक्वार्टर में बुधवार को जेबीसीसीआइ 11 की सातवीं बैठक भी बेनतीजा साबित हो चुकी है। कोयला वेतन समझौते को लेकर इस बैठक में एक बार फिर मिनिमम गारंटी बेनिफिट (एमजीबी) को लेकर बात अटक गई।
कोलकाता। कोल इंडिया के हेडक्वार्टर में बुधवार को जेबीसीसीआइ 11 की सातवीं बैठक भी बेनतीजा साबित हो चुकी है। कोयला वेतन समझौते को लेकर इस बैठक में एक बार फिर मिनिमम गारंटी बेनिफिट (एमजीबी) को लेकर बात अटक गई।
यह भी पढ़ें:झारखंड यूथ कांग्रेस प्रसिडेंट अभिजीत राज ने मल्लिकार्जुन खड़गे की मुलाकात
मैनेजमेंट ने एक बार फिर 10 परसेंट मिनिमम गारंटी बेनिफिट देने का प्रस्तािव रखा, लेकिन यूनियनें इसे मानने को तैयार नहीं हुईं। इसको लेकर दोनों और से तकरार बढ़ गई। बैठक को बीच में ही छोड़ यूनियन प्रतिनिधि बाहर निकल गयेए। अब यूनियन प्रतिनिधि कोल इंडिया मैनेजमेंट को घेरने को लेकर आपस में रणनीति बनाने में जुटे हैं। पांचों यूनियन ने सीआइएल के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। नौ दिसंबर को विरोध दिवस व सात जनवरी को कन्वेंशन आयोजित किया जायेगा।
कोलकाता स्थित कोल इंडिया के हेडक्वार्टर में कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते के लिए गठित जेबीसीसीआइ की सातवीं बैठक बुधवार को तय समय पर शुरू हुई। इस दौरान पिछली बैठक की तरह ही सीआइएल मैनेजमेंट ने 10 प्रतिशत मिनिमम गारंटी बेनिफिट देने का प्रोपोजल यूनियनों के समक्ष रखा, जबकि यूनियन प्रतिनिधि न्यूकनतम 30 परसेंट मिनिमम गारंटी बेनिफिट की मांग पर अड़े रहे। इस वजह से बैठक बीच में ही खत्म हो गई। इससे पहले जेबीसीसीआइ की छठी बैठक में भी कोल इंडिया प्रबंधन ने अधिकतम 10 फीसद एमजीबी देने की बात कही थी, जबकि यूनियनों ने 30 प्रतिशत एमजीबी की मांग की थी।
बैठक की अध्यक्षता कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल कर रहे थे। वहीं यूनियनों की ओर से बीएमएस के प्रतिनिधि के. लक्ष्मण रेड्डी, सुधीर घुर्डे, के पी गुप्ता, एटक से रमेंद्र कुमार, सीटू से डीडी रामानंदन, अरूप चटर्जी, एचएमएस से शिव कुमार व सिद्धार्थ गौतम आदि मौजूद थे। मैनेजमेंट की ओर से विभिन्न कंपनियों के सीएमडी, कोल इंडिया के डीपी कार्मिक विनय रंजन आदि मौजूद रहे।
एक घंटे तक रणनीति बनाकर फिर मीटिंग हॉल में लौटे
सोर्सेज के अनुसार, सीआइएल मैनेजमेट ने 10 परसेंट से अधिक एमजीबी नहीं दे पाने की बात कही। यूनियनों ने इस प्रस्ताव को रिजेक्ट कर दिया। चारों यूनियन से जुड़े जेबीसीसीआइ सदस्यों ने बीच में ही बैठक से बाहर आकर करीब एक घंटे तक आपस में चर्चा कर रणनीति तैयार की है। यह तय हुआ है कि पिछली बार से कम एमजीबी किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं करेंगे। हालांकि एक घंटे के बाद यूनियनों के प्रतिनिधि मीटिंग हॉल में लौटे, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका ।