Jharkahand: 15 लाख का इनामी नक्सली मिथिलेश सिंह ने पुलिस के सामने किया सरेंडर
नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) का रीजनल कमेटी का सदस्य दुर्योधन महतो उर्फ मिथिलेश सिंह उर्फ बड़ा बाबूउर्फ बड़का दा पुलिस के समक्ष सरेंडकर कर दिया है। 15 लाख रुपये के इनामी मिथिलेश ने रांची में झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के समक्ष शुक्रवार 10 फरवरी, 2023 को सरेंडर किया।
- आठ जिलों के पुलिस को थी मिथिलेश की तलाश
रांची। नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) का रीजनल कमेटी का सदस्य दुर्योधन महतो उर्फ मिथिलेश सिंह उर्फ बड़ा बाबूउर्फ बड़का दा पुलिस के समक्ष सरेंडकर कर दिया है। 15 लाख रुपये के इनामी मिथिलेश ने रांची में झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के समक्ष शुक्रवार 10 फरवरी, 2023 को सरेंडर किया।
यह भी पढ़ें:Bihar: DG शोभा अहोतकर का IG को विकास वैभव को शोकॉज, पूछा- इस तरह से पोस्ट करना सर्विस कोड का उल्लंघन
आत्मसमर्पण :: उग्रवादी संगठन भाकपा (माओवादी) के शीर्ष नेता 15 लाख इनामी रीजनल कमांडर मिथिलेश सिंह उर्फ दुर्योधन महतो मुख्यधारा में लौटा
— Jharkhand Police (@JharkhandPolice) February 10, 2023
झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का लगातार प्रभावी असर (1/4) pic.twitter.com/c2E7umNuav
सरेंडर नहीं करता तो मारा जाता
मिथिलेश सिंह उर्फ दुर्योधन ने पूछताछ में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी है। उसने बताया कि एक समय था जब नक्सली पुलिस पर भारी थे, अब समय है कि पुलिस नक्सलियों पर भारी है। वह सरेंडर नहीं करता तो मारा जाता। उसका नक्सली संगठन कमजोर हो चुका है। अब नक्सली अपने अंतिम दिन गिन रहे हैं। ऐसी स्थिति में पुलिस का भय व सरकार की आकर्षक सरेंडरनीति के तहत सरेंडर ही उसके पास एक मात्र रास्ता बचा था।
दुर्योधन के खिलाफ नक्सली कांड से संबंधित 104 मामले दर्ज
दुर्योधन ने आत्मसमर्पण के मौके पर यह स्वीकारा कि उसकी सबसे बड़ी घटना हजारीबाग के चुरचू की है, जहां सीआरपीएफ के वाहन को विस्फोटक से उड़ाया था। उक्त घटना में 15 से ज्यादा जवान बलिदान हो गए थे। तीन दशक से आठ जिलों के आतंक रहे मिथिलेश पर नक्सल कांड से संबंधित 104 मामले दर्ज है। इनमें सबसे अधिक बोकारो में 58, चतरा में पांच, सरायकेला-खरसांवा जिले में चार, खूंटी में तीन, चाईबासा में दो, हजारीबाग में 26, धनबाद में एक व गिरिडीह जिले में पांच मामले दर्ज हैं। घोर नक्सल प्रभावित झुमरा व पारसनाथ का इलाका मिथिलेश लिए सबसे सुरक्षित रहा है।
भाकपा (माओवादी) के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई में सुरक्षाबलों को मिल रही लगातार सफलता (3/4) pic.twitter.com/BF6ZM986O9
— Jharkhand Police (@JharkhandPolice) February 10, 2023
झुमरा और लुगूपहाड़ क्षेत्र का चर्चित मिथिलेश सिंह
भाकपा माओवादी कि रीजनल कमेटी सदस्य मिथिलेश सिंह कई दशकों से लुगू पहाड़ और झुमरा पहाड़ में रहकर संगठन के लिए काम कर रहा था। सरेंडर करने के बाद मिथिलेश सिंह ने कहा कि वह लंबे समय से मुख्यधारा से जुड़नेकी सोच रहे थे। आज जितने भी नक्सली और माओवादी हैं, सभी को सरकार की सरेंडर पॉलिसी के बारे में विचार करना चाहिए। आनेवाले समय में युवाओं को इन संगठनों से नहीं जुड़ना चाहिए।
झारखंड पुलिस :: सेवा ही लक्ष्य
— Jharkhand Police (@JharkhandPolice) February 10, 2023
...(4/4) pic.twitter.com/gpUP96mTe9
1991 में नक्सली संगठन से जुड़ा था मिथिलेश
मिथिलेश ने कहा कि वर्ष 1991 में वह माओवादी संगठन से जुड़ा था। वर्ष 2004 में उन्हें तोपचांची से अरेस्ट किया गया था। वर्ष 2013 में जेल से छूटने के बाद फिर से नक्सली गतिविधियों में सक्रिय हो गया। उसके खिलाफ राज्य में कुल 104 केस दजर् है। बोकारो में 58, हजारीबाग में 26, चतरा में पांच, सरायकेला–खरसावां में चार, खूंटी में तीन, चाईबासा में दो, धनबाद में एक और गिरिडीह में पांच मामला दर्ज है।
मौके पर आइजी ऑपरेशन अमोल वीनुकांत होमकर, आइजी रांची पंकज कंबोज, डीआइजी सीआरपीएफ बीके शर्मा, डीआइजी झारखंड जगुआर अनूप बिरथरे, एसपी हजारीबाग मनोज रतन चोथे व एसपी बोकारो चंदन झा उपस्थित थे।
पुलिस के ऑपरेशन नई दिशा का असर
धनबाद के तोपचांची स्थित गेंदनावाडीह का रहनेवाला नक्सली मिथिलेश सिंह 15 लाख का इनामी नक्सली है। कहा जा रहा है कि पुलिस के ऑपरेशन नई दिशा से प्रभावित होकर मिथिलेश ने सरेंडर करनेका मन बनाया। इसके बाद पुलिस अफसरों के संपर्क में आया। इसी के तहत शुक्रवार नक्सली मिथिलेश सिंह नेपुलिस के समक्ष सरेंडर किया।
झारखंड में नक्सलवाद खात्मे की ओर
आईजी (ऑपरेशन) अमोल वीणुकांत होमकर ने बताया कि पिछले तीन साल से सरकार की सरेंडर एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर अब तक 50 से भी अधिक नक्सलियों ने सरेंडर किया है। वहीं, कई नक्सलियों को गिरफ्तार भी किया गया है। अब एक तरह से झारखंड में नक्सलवाद अपने खात्मे की तरफ है। मिथलेश सिंह झुमरा पहाड़ और लुगू पहाड़ क्षेत्र में काफी चर्चित नाम था। इसके सरेंडर करने से इस क्षेत्र में नक्सलवाद को बड़ा झटका लगा है। आनेवाले समय में और भी नक्सलीऑपरेशन नई दिशा से प्रभावित होकर सरेंडर करेंगे।
नक्सल विरोधी ऑपरेशन में पुलिस को सफलता
मौके पर आइजी अमोल वीनुकांत होमकर ने कहा कि झारखंड में नक्सली अपने अंतिम दिन गिन रहे हैं। एक-एक कर बड़े नक्सली या तो पकड़े जा रहे हैं या फिर आत्मसमर्पण कर रहे हैं। पिछले दो वर्षों में नक्सल विरोधी अभियान में पुलिस को भारी सफलता मिली है। अब निर्णायक लड़ाई चल रही है। बहुत जल्द ही झारखंड नक्सल मुक्त होगा, ऐसी उम्मीद है। पुलिस की दबिश और राज्य सरकार की सरेंडर एवं पुनर्वास नीति का ही नतीजा है कि मिथिलेश ने पुलिस के सामने हथियार डाला है। अब वह समाज की मुख्य धारा से जुड़कर अपने परिवार के साथ सामान्य जीवन जी सकेगा।
मैट्रिक व आइटीआइ पास है मिथिलेश
पुलिस पूछताछ के दौरान मिथिलेश ने बताया कि उसने मैट्रिक करने के बाद फीटर ट्रेड से आइटीआइ किया था। वह बेरोजगार था। उसके गांव में नक्सलियों का आना-जाना था। इसी दौरान 1991 में वह नक्सली संगठन में शामिल हो गया था। नक्सली संगठन में उसे आर्म्स चलाने से लेकर विस्फोटक प्लांट करने का ट्रेनिंग मिला। वह विभिन्न नक्सल ऑपरेशन शामिल रहा। वर्ष 2004 में उसे अरेस्ट किया गया था। इसके बाद पुन: वर्ष 2013 में जेल से छुटने के बाद दोबारा नक्सली बन गया।पुलिस के समक्ष सरेंडर करने वाले मिथिलेश सिंह उर्फ दुर्योधन पर तीन दशक में दर्ज सभी 104 कांडों में लूट, डकैती, आगजनी, जानलेवा हमला से लेकर बड़े नक्सली कांड तक शामिल हैं।मिथिलेश वर्ष 1992 में कुख्यात नक्सली सोहन मांझी के साथ झुमरा में सक्रिय था। सोहन के निष्क्रिय होने के बाद इसने संगठन की कमान अपने हाथ में ली थी।
माओवादियों के लेवी का मुख्य स्रोत कोयला परिवहन
मिथिलेश को आठ जिलों की पुलिस खोज रही थी। उस पर 104 कांड दर्ज है। वह झुमरा, पारसनाथ, लुगु पहाड़ी क्षेत्र में जो भी घटनाएं घटती, उसमें उसकी संलिप्तता सामने रहती थी। सब कुछ उसके संज्ञान में व उसके इशारे पर ही होता था। मिथिलेश ने बताया कि माओवादियों के लेवी का मुख्य स्रोत कोयला परिवहन था। जिस ट्रांसपोर्टर का जितना बड़ा कद, उसके अनुसार वे लेवी देते थे। प्रति वाहन 10 हजार से लेकर 30 हजार रुपये तक लेवी के रूप में मिलता था। ईंट भट्ठा के कारोबारी भी लेवी देते थे। लेवी के पैसे किसी एक नक्सली के पास नहीं, बल्कि यह राशि सभी साथी नक्सलियों में बंटती थी।1991 से भाकपा माओवादियों की पार्टी में सक्रिय रहे मिथिलेश का कद पार्टी में ऊंचा था। वह झारखंड रीजनल कमेटी के अंतर्गत उत्तरी छोटानागपुर क्षेत्र के शीर्ष नेता के रूप में सक्रिय रहा। उसका मुख्य कार्य माओवादी संगठन का विस्तार, नीति निर्धारण, लेवी उगाही आदि की योजना बनाना व उसे क्रियान्वित करना रहा।
पारसनाथ-कोल्हान का लिंकमैन था मिथिलेश
मिथिलेश सिंह उर्फ दुर्योधन माओवादी संगठन का स्तंभ था। उसकी पहचान संगठन में पारसनाथ व कोल्हान के लिंक मैन के रूप में थी। इस क्षेत्र में सक्रिय शीर्ष नक्सली कमांडर सैक सदस्य हितेश उर्फ नंदलाल मांझी (25 लाख के इनामी), रीजनल कमांडर दीपक उर्फ कारू यादव (15 लाख के इनामी) तथा रीजनल कमांडर कृष्णा हांसदा उर्फ अविनाश (15 लाख के इनामी) की पूर्व में सुरक्षा बलों के माध्यम से हुई गिरफ्तारी ने इस क्षेत्र में सक्रिय नक्सलियों की जड़ों को हिलाकर रख दिया था। अब मिथिलेश सिंह उर्फ दुर्योधन के आत्मसमर्पण ने माओवादी संगठन के उत्तरी छोटानागपुर क्षेत्र सहित पूरे झारखंड एवं बिहार को भारी झटका दिया है।
संगठन से रुपये लेकर भागने का आरोप बेबुनियाद
पूर्व में नक्सलियों ने प्रेस बयान जारी कर उसके संगठन से फरार होने की जानकारी दी थी।र उसे गद्दार घोषित किया था। माओवादियों के बयान के अनुसार गत 15 जनवरी, 2023 को दुर्योधन नक्सली संगठन से अलग हो गया था। भाकपा माओवादियों की उत्तरी छोटानागपुर जोनल कमेटी संगठन ने पर्चा जारी कर आरोप लगाया था कि दुर्योधन भाकपा माओवादी से गद्दारी करते हुए अपनी वाइफ ननकी कोड़ा उर्फ सुजाता को लेकर 15 जनवरी की रात भाग गया। वह पार्टी से 52 लाख 77 हजार रुपये नकद, एक टेबलेट, 83 हजार का एक मोबाइल फोन सहित कई डिजिटल उपकरण अपने साथ ले गया था। नक्सलियों के इन आरोपों को मिथिलेश सिंह उर्फ दुर्योधन ने बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि लेवी का पैसा संगठन के सभी सदस्यों में बंटता था, किसी एक व्यक्ति के पास इतनी बड़ी राशि कभी नहीं रही।
मिथिलेश कई बड़े नक्सली कांड शामिल
वर्ष 2004 में धनबाद व बोकारो पुलिस की ज्वाइंट ऑपरेशन के दौरान मिथिलेश की गिरफ्तारी हुई थी। उस समय धनबाद के एसपी संजय आनंदराव लाठकर व बोकारो के एसपी आरके मल्लिक थे। पुलिस ने मिथिलेश की निशानदेही पर झुमरा पहाड़ के एक बंकर से 50 बंदूक की बरामद किया था।
मिथिलेश के दस्ते ने फूंक दिये थे 27 डंपर
लेवी के लिए दहशत फैलाने के उद्देश्य से मिथिलेश के दस्ते ने वर्ष 2015 में बेरमो के खासमहल इलाके में 27 डंपर को फूंक डाला था। इसके बाद पुलिस हेडक्वार्टर लेवल से पूरे मामले की जांच कराई गई थी, जिसमें बोकारो की तत्कालीन एसपी ए. विजयालक्ष्मी पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए उनका ट्रांसफर दिया गया था।ए. विजयालक्ष्मी के बाद बोकारो एसपी के पद पर वाईएस रमेश की पोस्टिंग हुई थी। वाईएस रमेश ने योगदान देते ही जब मिथिलेश पर दबाव बनाया तो उसने क्षेत्र छोड़ दिया और सरायकेला-खरसांवा होते हुए सारंडा का रास्ता पकड़ लिया। करीब तीन साल के बाद यानी वर्ष 2018 में वह फिर बोकारो क्षेत्र में आया और सक्रिय हो गया।