Jharkhand Elections 2024: अजय कुमार सिंह के DGP पद पर नियुक्ति पर चुनाव आयोग की मुहर
भारत निर्वाचन आयोग ने झारखंड के डीजीपी के पद पर रेगुलर पोस्टिंग के लिए 1989 बैच के आइपीएस अफसर अजय कुमार सिंह के नाम पर स्वीकृति दे दी है।
- आयोग की मंजूरी के बाद डीजीपी के पद पर अजय कुमार सिंह की हुई रेगुलर पोस्टिंग
- झारखंड पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष का भी देखेंगे प्रभार
रांची। भारत निर्वाचन आयोग ने झारखंड के डीजीपी के पद पर रेगुलर पोस्टिंग के लिए 1989 बैच के आइपीएस अफसर अजय कुमार सिंह के नाम पर स्वीकृति दे दी है। अजय कुमार सिंह का इस पद पर पोस्टिंग अब रेगुलर हो गया है। श्री सिंह झारखंड पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक के प्रभार में भी रहेंगे।
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अजय कुमार सिंह पहले भी स्टेट के डीजीपी रह चुके हैं। गवर्नमेंट ने उन्हें 15 फरवरी 2023 को झारखंड का डीजीपी नियुक्त किया था। यूपीएससी के आदेश पर उन्हें दो साल के लिए डीजीपी बनाया गया था। हालांकि सरकार ने उन्हें 26 जुलाई 2024 को हटाकर झारखंड पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन लिमिटेड का अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक बना दिया था। श्री सिंह के स्थान पर 1990 बैच के आइपीएस अफसर अनुराग गुप्ता को झारखंड का प्रभारी डीजीपी बना दिया गया।
सीनीयर आइपीएस को डीजीपी का प्रभार देने का था आदेश
चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद भारत निर्वाचन आयोग ने आइपीएस अफसर अनुराग गुप्ता के पुराने मामले को देखते हुए 19 अक्टूबर को डीजीपी के पद से हटा दिया था। आयोग ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि किसी सीनीयर आइपीएस अफसर को उनके स्थान पर डीजीपी का प्रभार दें। डीजीपी के पद पर नियमित पदस्थापन के लिए आइपीएस अफसरों का एक पैनल 21 अक्टूबर को दिन के 11 बजे तक भेजें ताकि उसपर आयोग निर्णय ले सके। आयोग के इस निर्देश के बाद राज्य सरकार ने अजय कुमार सिंह को डीजीपी पद का प्रभार सौंपा था। आयोग को आइपीएस अधिकारियों का पैनल भेजा था। उक्त पैनल में भी अजय कुमार सिंह का नाम था, जिसपर आयोग ने अंतिम रूप से मुहर लगा दी। इसके बाद अजय कुमार सिंह एक बार फिर अगले आदेश तक के लिए राज्य के नियमित डीजीपी बन गये हैं।
EC ने अनुराग गुप्ता को प्रभारी DGP पद से हटाया
चुनाव आयोग ने अनुराग गुप्ता को हटाने संबंधित आदेश में यह जिक्र किया था कि अनुराग गुप्ता के पुराने विवादित इतिहास को देखते हुए उन्हें हटाया गया है। उनपर स्पेसळ ब्रांच के एडीजी रहते हुए पद के दुरुपयोग का आरोप था। उनपर राज्यसभा चुनाव 2016 में बीजेपी कैंडिडेट के पक्ष के वोट देने के लिए बड़कागांव की तत्कालीन कांग्रेस एमएलए निर्मला देवी को लालच देने व उनके हसबैंड एक्स मनिस्टर योगेंद्र साव को धमकाने का भी आरोप लगा था। भारत निर्वाचन आयोग के आदेश पर ही उनके विरुद्ध रांची के जगन्नाथपुर थाने में 29 मार्च 2018 को एफआइआर दर्ज की गई थी। हालांकि, रांची पुलिस ने जांच में उन्हें क्लीन चिट दे दी थी। वर्ष 2019 में भी लोकसभा चुनाव के वक्त भारत निर्वाचन आयोग ने उन्हें चुनाव कार्य से हटाते हुए झारखंड से बाहर करते हुए उन्हें स्थानिक आयुक्त नई दिल्ली में पदस्थापित किया था। वे चुनाव की समाप्ति के बाद झारखंड आये थे।