झारखंड: हाईकोर्ट ने ईडी से खूंटी में मनरेगा योजनाओं में गड़बड़ी पर चार सप्ताह में मांगा जवाब
हाईकोर्ट में गुरुवार को खूंटी जिले में मनरेगा की योजनाओं में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो को प्रतिवादी बनाने और ईडी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
- अब तक जांच में क्या मिला?
- MGNREGA Job Card मामले में चार सप्ताह बाद होगी सुनवाई
रांची। हाईकोर्ट में गुरुवार को खूंटी जिले में मनरेगा की योजनाओं में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो को प्रतिवादी बनाने और ईडी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अरुण कुमार दुबे की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की कोर्ट ने यह निर्देश देते हुए सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की।
कोर्ट ने ईडी से अब तक की जांच रिपोर्ट का निष्कर्ष बताने का निर्देश दिया है। अब इस मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी जनहित याचिका दायर करने वाले अरुण कुमार दुबे को नियमों के अनुसार अपना पूरा ब्योरा भी बताने का निर्देश दिया है। याचिका में खूंटी जिले में मनरेगा की योजनाओं में हुई गड़बड़ी के मामले में तत्कालीन डीसी पूजा सिंघल के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर जांच करने का आग्रह किया गया है। प्रार्थी के एडवोकेट राजीव कुमार ने अदालत को बताया कि मनरेगा योजनाओं की गड़बड़ी के लिए खूंटी जिले में 16 एफआइआर दर्ज की गई है, लेकिन इसमें एक में भी तत्कालीन डीसी को आरोपी नहीं बनाया गया है।
मनरेगा योजनाओं में गड़बड़ी की भूमिका
उल्लेखनीय है कि खूंटी की तत्कालीन डीसी पूजा सिंघल पर मनरेगा योजनाओं में गड़बड़ी की भूमिका की जांच सीबीआई और ईडी से कराने की मांग को लेकर झारखंड हाईकोर्ट का में याचिका दाखिल की गयी है।
18 करोड़ 76 लाख रुपये के फर्जीवाड़े का आरोप है
उल्लेखनीय है कि इसी मामले में इंजीनियर राम विनोद सिन्हा पर खूंटी जिला परिषद के मनरेगा योजना से जुड़े 18 करोड़ 76 लाख रुपये के फर्जीवाड़े का आरोप है।एसीबी की जांच में इसकी पुष्टि हुई थी।फर्जीवाड़ा का यह मामला वर्ष 2006 से 2010 के बीच का है।अब तक ईडी ने आरोपी की तीन करोड़ से ज्यादा की सम्पति जब्त की है।