Jharkhand: चारा घोटाले के अंतिम मामले में 36 अभियुक्तों को मिली चार-चार साल की सजा, भारी जुर्माना भी लगा
चारा घोटाले के अंतिम मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने दोषी करार 36 अभियुक्तों को चार-चार साल कारावास की सजा सुनाई है। साथ में जुर्माना भी लगाया है। तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी गौरी शंकर प्रसाद पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। अन्य सभी पर तीन-तीन लाख का जुर्माना लगाया है।
- तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी गौरी शंकर प्रसाद पर एक करोड़ का जुर्माना लगा
- अन्य सभी को तीन-तीन लाख का जुर्माना देना होगा
रांची। चारा घोटाले के अंतिम मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने दोषी करार 36 अभियुक्तों को चार-चार साल कारावास की सजा सुनाई है। साथ में जुर्माना भी लगाया है। तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी गौरी शंकर प्रसाद पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। अन्य सभी पर तीन-तीन लाख का जुर्माना लगाया है।
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सजा पाने वालों में नित्यानंद सिंह, डा. जुनूल भेंगराज, डा. केएम प्रसाद, डा. राधा रमण सहाय, डा. गौरी शंकर प्रसाद, डा. रवींद्र कुमार सिंह, डा. फणिंद्र कुमार त्रिपाठी, आपूर्ति कर्ता महेंद्र प्रसाद, देवेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव, अशोक यादव, राम नंदन सिंह, डा. बिजयेश्वरी सिन्हा, अजय सिन्हा, राजन मेहता, रवि नंदन कुमार सिन्हा, राजेंद्र कुमार हरित, अनिल कुमार, त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, दयानंद प्रसाद कश्यप, शरद कुमार, मो. सईद, मो. तौहिद, संजय कुमार, रामा शंकर सिंह, उमेश दुबे, अरुण कुमार वर्मा, डा. अजित कुमार वर्मा, सुशील कुमार सिन्हा, जगमोहन लाल कक्कड़, श्याम नंदन सिंह, मोहिंद्र सिंह बेदी, प्रदीप कुमार चौधरी, सत्येंद्र कुमार मेहरा, मदन मोहन पाठक एवं प्रदीप वशिष्ठ शामिल हैं।
सीबीआई के स्पेशल जज विशाल श्रीवास्तव की कोर्ट ने सभी को दोषी करार दिया था। सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए एक सितंबर की तिथि निर्धारित की गई थी। सजा के बिंदु पर सुनवाई के दौरान सभी अभियुक्तों को जेल से कोर्ट लाया गया, जहां अदालत ने सजा का एलान किया। इनमें से एक अभियुक्त डा. केएम प्रसाद रिम्स में इलाजरत है। उनकी ओर से आवेदन देकर वीसी से सजा सुनाने का अनुरोध किया गया था।
डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी का है मामला
मामले में आठ अभियुक्त लोक सेवक एवं 28 अभियुक्त आपूर्तिकर्ता हैं। यह मामला डोरंडा कोषागार से 36.59 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है। सीबीआई ने मामले में कांड संख्या (आरसी 48ए/96) के तहत 1996 में एफआइआर दर्ज की थी। प्रारंभ में इस मामले में 192 को आरोपित बनाया गया था। मामले में नवंबर, 2001 में चार्जशीट दाखिल की गई। अप्रैल, 2005 को आरोपितों पर आरोप गठित किया गया था। ट्रायल में 56 आरोपितों की मौत हो गई।