झारखंड: सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े शेल कंपनी मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई अब 23 जून को
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े शेल कंपनी मामले में शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस एसएम प्रसाद की बेंच में राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश पक्ष व सीएम हेमंत सोरेन की ओर से अमृतांश वत्स सुनवाई में शामिल हुए। बेंच ने कहा कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही किसी फैसले तक पहुंचेंगे। सुनवाई की अगली तारीख 23 जून को मुकर्रर कर दी गयी।
रांची। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े शेल कंपनी मामले में शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस एसएम प्रसाद की बेंच में राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश पक्ष व सीएम हेमंत सोरेन की ओर से अमृतांश वत्स सुनवाई में शामिल हुए। बेंच ने कहा कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही किसी फैसले तक पहुंचेंगे। सुनवाई की अगली तारीख 23 जून को मुकर्रर कर दी गयी।
यह भी पढ़ें:माइंस लीज व शेल कंपनी मामले में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से झटका,अंतरिम आदेश से इनकार
झारखंड गवर्नमेंट की ओर से पक्ष रख रहे एडवोकेट आशुतोष आनंद ने कोर्ट को बताया कि महाधिवक्ता और सरकार का पक्ष रख रहे वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल कोरोना पॉजिटिव हो गये है। इसलिए इस मामले की सुनावाई स्थगित कर दी जाये।हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा जा सकता है तो हाईकोर्ट में क्यों नहीं रखा जा सकता है। सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए किसी अन्य अधिवक्ता को यहां रखना चाहिए।
ईडी ने कोर्ट में बताया कि उसके मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ और उसे मिटाने की कोशिश हो सकती है। हाईकोर्ट ने भी ईडी की इस दलील को स्वीकारा। प्रार्थी की ओर से पक्ष रख रहे एडवोकेट राजीव कुमार ने कहा कि सुनवाई टलने की वजह से मधु कोड़ा केस के कई अभियुक्त फरार हैं। विदेश में बैठकर सबूत मिटाने की कोशिश कर रहे हैं।
पहले भी की थी सुनवाई टालने की मांग
झारखंड गवर्नमेंट की ओर से बीते बुधवार को राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में आइए दायर किया गया। इसमे सुनवाई टालने की मांग की.थी. लेकिन कोर्ट ने इससे इंकार कर दिया था। पूर्व की सुनवाई में भी राज्य सरकार की ओर से सुनवाई टालने की मांग की गयी थी, लेकिन कोर्ट ने इससे सिरे से खारिज करते हुए सुनवाई जारी रखा है।
कोर्ट ने माना मेंटेंएबल है याचिका
पिछली सुनवाई मे हाईकोर्ट ने दोनों याचिका को मेंटनेबल बताते हुए सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया था। इसके पहले मामला सुप्रीम कोर्ट गया था, जहां कोर्ट ने सुनवाई के लिए हाईकोर्ट रेफर किया था।
माइनिंग लीज से जुड़ा मामला
झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गयी है। प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि सीएम हेमंत सोरेन के जिम्मे खनन और वन पर्यावरण विभाग भी हैं। उन्होंने स्वंय पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया और माइनिंग हासिल की। ऐसा करना पद का दुरुपयोग और जनप्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है। इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराई जाए। प्रार्थी ने याचिका के माध्यम से हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी की है।
शेल कंपनी से जुड़ा है मामला
एकअन्य याचिका भी याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा ने अधिवक्ता राजीव कुमार के माध्यम से जनहित याचिका दायर की थी। इसमें आरोप लगाया गया है कि सीएम हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए राजधानी रांची के चर्चित बिजनेसमैन रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल एवं अन्य को दिया जाता है. यह पैसा 24 कंपनियों के माध्यम से दिया जा रहा है। इन कंपनियों के माध्यम से ब्लैक मनी को वाइट मनी बनाया जा रहा है। इसलिए याचिका के माध्यम से हाई कोर्ट से जांच की मांग की गई है। सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स से पूरी संपत्ति की जांच की मांग की गई है। इस मामले में झारखंड सरकार के मुख्य सचिव, सीबीआई, ईडी, हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन, रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवालष राजीव अग्रवाल एवं अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है।