माइंस लीज व शेल कंपनी मामले में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से झटका,अंतरिम आदेश से इनकार
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के करीबि यों द्वारा शेल कंपनी में निवेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सीएम हेमंत सोरेन की ओर सीनीयर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने समय की मांग की, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। अब मामले की सुनवाई 11 जुलाई को होगी।
- अब 11 जुलाई को सुनवाई
रांची। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के करीबि यों द्वारा शेल कंपनी में निवेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सीएम हेमंत सोरेन की ओर सीनीयर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने समय की मांग की, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। अब मामले की सुनवाई 11 जुलाई को होगी।
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी को भ्रष्टाचार के मामले में सिर मुड़ाते ही ओले पड़ गए,माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने माननीय उच्च न्यायालय झारखंड की सुनवाई पर फ़िलहाल हस्तक्षेप करने से मना कर दिया ।यानि झारखंड में सुनवाई जारी रहेगी
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) June 17, 2022
माइंस लीज केस में सुप्रीम कोर्ट से तत्काल राहत की उम्मीद कर रही झारखंड सरकार को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जांच का अनुरोध करने वाली याचिका को सुनवाई योग्य बताने के झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर अंतरिम आदेश देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई एसएलपी पर जल्द सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेके महेश्वरी एवं जस्टिस हिमा कोहली की बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता मुकुल रहतोगी ने पक्ष रखा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की SLP पर सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख़ मुकर्रर की है।इस मामले में प्रार्थी शिवशंकर शर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की गई है।
झारखंड गवर्नमेंट ने सुप्रीम कोर्ट में दी है चुनौती
शेल कंपनी मामले में झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट द्वारा मेटेनबिलिटी की बिंदु पर आदेश दिए जाने के बाद से ही यह क़यास लगाया जा रहा था कि सरकार हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायेगी। इस बीच झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर कर हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दे दी है।झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के करीबियों द्वारा शेल कंपनियों में ब्लैक मनी इन्वेस्ट करने के मामले कीजांच को लेकर दाखिल याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना था। राज्य सरकार ने शेल कंपनी वाले मामले मेंऔर हेमंत सोरेन के माइंस लीज आवंटित करने के मामले में दाखिल याचिका पर आपत्ति जताते हुए सुनवाई योग्य नहीं होने की बात कही थी।
जस्टिस जे. के. माहेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट को इस मामले में फैसला करने दें। इस पर अलग-अलग विचार की जरूरत नहीं है। राज्य सरकार की ओर से पेश सीनीयर एडवोकेट मुकुल रोहतगी के अनुरोध पर शीर्ष अदालत ने गर्मी की छुट्टियों के बाद मामले को उपयुक्त पीठ के सामने सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।रोहतगी ने कहा था कि मुख्यमंत्री के खिलाफ मामला सरकार को अस्थिर करने के लिए राजनीति से प्रेरित है। रोहतगी ने कहा कि हाई कोर्ट हर दिन मामले पर सुनवाई कर रहा है। उन्हें समझ नहीं आता कि मामले में इतनी त्वरित सुनवाई की क्या आवश्यकता है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह मामले में त्वरित सुनवाई की आवश्यकता के बारे में जानकारी देंगे।