बिहार के गया से अरेस्ट भाकपा माओवादी मिथिलेश मेहता को रांची लेकर पहुंची झारखंड पुलिस, पूछताछ
बिहार पुलिस की स्पेशल टीम द्वारा गया से अरेस्ट प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी सेंट्रल कमेटी सदस्य मिथिलेश मेहता को लेकर झारखंड पुलिस की टीम रांची पहुंच गयी है। मिथिलेश से गुप्त ठिकाने पर रखकर पूछताछ जारी है।
- बूढ़ा पहाड़ का आतंक कहे जाने वाले मिथिलेश पर एक करोड़ रुपये का इनाम रखने की चल रही थी तैयारी
- भाकपा माओवादी का केंद्रीय कमेटी सदस्य है मिथिलेश
रांची। बिहार पुलिस की स्पेशल टीम द्वारा गया से अरेस्ट प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी सेंट्रल कमेटी सदस्य मिथिलेश मेहता को लेकर झारखंड पुलिस की टीम रांची पहुंच गयी है। मिथिलेश से गुप्त ठिकाने पर रखकर पूछताछ जारी है।
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झारखंड पुलिस व आइबी की सूचना पर ही बिहार पुलिस ने उसे दबोचा था। माओवादी संगठन में उसे मिथिलेश मेहता उर्फ भिखारी उर्फ अभिषेक दा उर्फ गेहु दा के नाम से जाना जाता है। मिथिलेश बिहार के औरंगाबाद जिले के कुटुंबा पुलिस स्टेशन एरिा स्थित खैरा का निवासी है। बूढ़ा पहाड़ पर एक करोड़ रुपये के इनामी सेंट्रल कमेटी सदस्य अरविंद की मौत के बाद वहां के नक्सलियों के नेतृत्व की कमान उसे ही मिली थी। मिथिलेश मेहता भले ही सेंट्रल कमेटी सदस्य है, लेकिन अब तक उसपर इनाम की राशि की घोषणा नहीं हुई है। उसपर एक करोड़ रुपये का इनाम रखने की तैयारी चल रही थी।
बूढ़ा पहाड़ पर अब गिने-चुने नक्सली
सेंट्रल कमेटी सदस्य मिथिलेश मेहता ने पुलिस को जानकारी दी है कि बूढ़ा पहाड़ पर अब गिने-चुने नक्सली ही बचे हैं। वहां 25 लाख रुपये के इनामी सौरभ उर्फ मरकस बाबा, नवीन यादव, मृत्युंजय भुइया सहित 18-20 कमांडर ही बचे हैं। मिथिलेश पिछले दो साल से बूढ़ा पहाड़ पर ही रह रहा था। इस इलाके से माओवादी बिहार-झारखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ सीमा पर अपनी गतिविधि का संचालन करते हैं। इन इलाकों में पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला, सिमडेगा, चतरा, छत्तीसगढ़ का बलरामपुर व बिहार का गया, औरंगाबाद, रोहतास, सासाराम का इलाका शामिल है।
माओवादियों के कमांडरों का एक-दूसरे से भरोसा उठ
मिथिलेश ने पुलिस को बताया है कि अब माओवादियों के कमांडरों का एक-दूसरे से भरोसा उठ गया है। यही वजह है कि कई नक्सली कैडर झारखंड, बिहार, उत्तरी छत्तीसगढ़ के प्रमुख होते हुए भी उनकी बातों को अनसुनी करते थे। पिछले माह 27 फरवरी की रात ही उसने बूढ़ा पहाड़ छोड़ दिया था।मिथिलेश मेहता को 2020 के अंतिम महीनों में बूढ़ापहाड़ का टॉप कमांडर बनाया गया था। मिथिलेश वर्ष 2021 से ही बूढ़ापहाड़ पर रह रहा था। इसी इलाके से माओवादी बिहार झारखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ सीमा पर अपनी गतिविधि का संचालन करते हैं। इस इलाके के अंतर्गत पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला, सिमडेगा, चतरा, छत्तीसगढ़ का बलरामपुर और बिहार का गया ,औरंगाबाद ,रोहतास, सासाराम का इलाका शामिल है।
डबल बुल के बाद अब सारंडा बनेगा पुलिस के नक्सल विरोधी ऑपरेशन का सेंटर
झारखंड पुलिस को नक्सलियों के खिलाफ लगातार एक के बाद एक बड़ी सफलताएं हाथ लग रही है। पुलिस ने पहले एक करोड़ रुपये के इनामी प्रशांत बोस, उसकी पत्नी शीला मरांडी को अरेस्ट किया। इसके बाद महाराज प्रमाणिक, बैलुन सरदार, सूरज सरदार व उसकी पत्नी का सरेंडर हुआ। फिर सुरेश मुंडा व लोदरो लोहरा जैसे कुख्यात नक्सलियों के सरेंडर से भाकपा माओवादियों को झटका लगा। आपरेशन डबल बुल में तीन बड़े इनामी नक्सलियों सहित दर्जनभर के दबोचे जाने व दो दर्जन से अधिक आधुनिक आर्म्स की बरामदगी भी पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि है। अब झारखंड पुलिस का फोकस सारंडा की ओर जोने वाला है, जहां एक करोड़ के इनामी मिसिर बेसरा व अनल जैसे कुख्यात शरण लिए हुए हैं।